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देश के लिए सोनिया गांधी के ‘बलिदान’ को देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे…

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 10 मई को कहा,  ”मेरी मां इटली की हैं. लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा यहां बिताया है। जितने लोगों को मैंने देखा है, उनमें बहुत से भारतीयों की तुलना में वे ज्यादा भारतीय हैं। मेरी मां ने इस देश के लिए बलिदान दिया है, इसके लिए पीड़ा सही है।”

राहुल गांधी का यह बयान उनका अपनी माता के लिए प्यार का प्रदर्शन है। जाहिर है यह अच्छी बात है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में मां के प्रति सम्मान, स्नेह और समर्पण परंपरागत रूप से है और राहुल गांधी भी इसी जमीन पर पले-बढ़े हैं।

उनकी बातें अच्छी तो हैं, परन्तु सच्ची नहीं है। 18 वर्ष पहले 1998 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी तब से लेकर अब तक देश के लिए जो ‘योगदान’ है, वह देश के लिए धब्बा है। आइये हम उनके ऐसे ही पांच बलिदान पर नजर डालते हैं-

पहला बलिदान- नेशनल हेराल्ड घोटाला

नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप सोनिया गांधी एंड फैमिली पर लगा है। सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी ने नेशनल हेराल्ड प्रकाशित करने वाली कंपनी Associated Journals Limited (AJL)) की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

दूसरा बलिदान- ऑगस्ता वेस्टलैंड घोटाला

भारत ने फरवरी 2010 में इटली की अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 12 हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 36 अरब रुपए के सौदे पर दस्तखत किए।इतालवी कोर्ट ने माना कि भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दिए गए। सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर कमीशन लेने के आरोप लगे। इतालवी कोर्ट ने सोनिया सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं।

तीसरा बलिदान- कॉमन वेल्थ घोटाला

सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए के चेयर पर्सन रहते 2010 का कॉमनवेल्थ घोटाला हुआ। 70 हजार करोड़ के इस स्कैम में राजनेताओं, नौकरशाहों और कॉर्पोरेट्स का बड़ा नेक्सस शामिल था। कांग्रेस नेता और कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, दिल्ली की तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का इस स्कैम से सीधा संबंध था।

चौथा बलिदान- टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला

टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला कहा जाता है जो सोनिया गांधी के यूपीए चेयर पर्सन रहते हुए हुआ था। एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में पूरी कांग्रेस सरकार ही कठघरे में खड़ी थी। तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा की अगुवाई में हुए इस घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी बार-बार तत्कालीन डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। सुप्रीमकोर्ट ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाया था।

पांचवां बलिदान- कोलगेट घोटला

मार्च 2012 में सीएजी ने रिपोर्ट दी कि 2004 से 2009 के बीच कोयला ब्लॉक का आवंटन में घोटाला हुआ।  सरकारी खजाने को 1 लाख 86,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। गौरतलब है कि उस समय भी अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार सोनिया गांधी के अधीन ही चल रही थी। एनटीपीसी, टाटा स्टील, भूषण स्टील, जेएसपीएल, एमएमटीसी और सीईएससी जैसी सरकारी और प्राइवेट- दोनों कंपनियों को बिना किसी नीलामी के कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिए गए थे।

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