किसी कार्य से केवल जुड़ना भर ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि इसके प्रति समर्पण का भाव होना ज्यादा जरूरी है। समर्पण भाव का अर्थ है कार्य के प्रति श्रध्दा भाव होना। सरल शब्दों में कहें तो कार्य को पूजनीय बना लेना। ऐसा करके हम ईश्वर से जुड़ जाते हैं, और तब इसके सुपरिणाम प्रकट होने लग जाते हैं। – नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से देश की कमान संभाली है उनकी हर कोशिश देश में सकारात्मक माहौल बनाने की होती है। उनके कथन ‘मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ का मूल भाव भी यही है कि देश के लोगों को सरकार से जुड़ाव पैदा हो। देश के हर नागरिक को लगे कि प्रधानमंत्री देश का राजा नहीं प्रधान सेवक है। लेकिन कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों को प्रधानमंत्री के हर कदम में खोट ही नजर आती है। लेखिका रूपा सुब्रमण्या भी उन्हीं में से एक हैं। पीएमओ की सक्रियता को ही सवालों में खड़ा करने की कोशिश की है। उन्होंने पीएम के उस कदम में भी कमी निकालने की कोशिश की है जिसमें पीएमओ ने सुमित ठाकुर नाम के एक छात्र को बैंक से कर्ज दिलाने में मदद की थी।
पढ़ें स्टोरी –
सुमित का MBA का सपना पीएम मोदी ने किया पूरा
रूपा सुब्रमण्या ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल से छात्र के कर्ज को स्वीकृति मिलना दुखद है।
.@PMOIndia Sadly @OpIndia_com which claims to be libertarian writes a story approvingly of @pmoindia ‘s intervention in student loan issue. ?? pic.twitter.com/ZEdNX84xD4
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) May 2, 2017
This old fashioned feudalistic patronage shouldn’t happen in a modern state where the subject approaches king for largesse. https://t.co/j65kjZBjmq
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) March 23, 2017
जाहिर है रूपा सुब्रमण्या के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उनकी बातों से साफ है कि वो प्रधानमंत्री कार्यालय की इस सक्रियता को नापसंद करती हैं। दरअसल देश में नकारात्मक व्यवस्था का हिस्सा रहीं रूपा सुब्रमण्या ये क्यों भूल गई हैं कि एक वक्त वह भी था जब प्रधानमंत्री कार्यालय में कोई सुनवाई नहीं होती थी। सालों साल तक धक्का खाते और अधिकारियों की झिड़की सुनते ही लोगों का वक्त गुजर जाता था। प्रधानमंत्री कार्यालय में मदद के लिए लोगों का आना भी बेहद कम हो गया था। लेकिन रूपा सुब्रमण्या जैसे लोगों के लिए तो शायद वो व्यवस्था अच्छी थी। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएमओ के वर्क कल्चर में कितने बड़े बदलाव आए हैं।
जन शिकायतों का निदान प्रथम लक्ष्य
देश में सरकार नाम की कोई चीज भी है इस बात का अहसास जनता को कराना बड़ा काम है। वर्तमान दौर में प्रधानमंत्री ने जहां मन की बात जैसे कार्यक्रम के जरिये देश की 99 प्रतिशत जनता से सीधा संवाद स्थापित किया है, वहीं माय गॉव और नरेंद्र मोदी एप के जरिये लोगों की शिकायतों से सीधे रूबरू होते हैं। ट्वीटर और फेसबुक पर हमेशा सक्रिय रहने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय का हेल्पलाइन नंबर भी है। पीएम मोदी देश की जनता से सीधे जुड़े रहने की हर वो प्रयास करते हैं जिससे जनता को उनसे जुड़ाव महसूस हो।
चिट्ठियों की संख्या में छह गुना वृद्धि
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब यूपीए सत्ता में था, तब औसतन करीब एक लाख अर्जियां हर साल आती थीं। लेकिन पिछले दो साल से तकरीबन 6 लाख अर्जियां सालाना आ रही हैं। एक जून 2014 से 31 जनवरी 2016 के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय में 10 लाख से अधिक शिकायतें और याचिकाएं आईं। ये सब सिर्फ इसलिए हो पाया है कि शिकायत निवारण प्रणाली के इस कायाकल्प की जड़ें प्रधानमंत्री की प्रबंधन शैली से जुड़ी हैं। यहां अर्जियों के निपटारे की प्रक्रियाओं को नए सिरे से गढ़ा गया है। यहां समस्या को लटकाए रखने की नहीं निदान करने की परंपरा विकसित हो चुकी है।
जन शिकायत की सीधी निगरानी
प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन अर्जी के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इसे केंद्रीकृत जन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) से जोड़ दिया गया, जो एक ऑनलाइन प्रकोष्ठ है। इसे प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत महकमा (डीएआरपीजी) चलाता है। यह पीएमओ के नए बनाए गए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की केंद्रीय मेल प्रबंधन इकाई (सीएमएमयू) का हिस्सा है। इससे यह पक्का हो गया कि ऐसे सभी ई-मेल एक ही जगह पर आएं और संबंधित अधिकारी उनकी सीधी निगरानी कर सकें। प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्रों के विषय में सुविधा नंबर 011-23386447 डॉयल कर नागरिक टेलीफोन के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
ज्यादा एक्टिव है जन शिकायत प्रणाली
पीएमओ दरख्वास्तों से अब कहीं ज्यादा तेजी से निबट रहा है। 50 सदस्यों की एक टीम इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हरेक अर्जी को दर्ज करने और संभालने का काम कर रही है। एसएमएस पर और ऑनलाइन स्टेटस अपडेट के जरिए दो दिनों के भीतर हरेक अर्जी का जवाब दे दिया जाता है। अर्जी भेजने वाले अब अपनी याचिका पर नजर रख सकते हैं, हिदायत दे सकते हैं या याद दिला सकते हैं और यहां तक कि संबंधित महकमे की कार्रवाई रिपोर्ट भी देख सकते हैं।
पीएमओ में बदला वर्क कल्चर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना आर्थिक और सामाजिक सुधारों पर जोर देते हैं उतना ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए हैं। साउथ ब्लॉक का पीएमओ कार्यालय जनता से सीधे जुड़ा है आपको ये जाते ही अहसास होगा। टेक्नोलॉजी प्रेमी प्रधानमंत्री का कार्यालय ऑनलाइन के जरिये भी आम लोगों से ज्यादा जुड़ा हुआ है। पहले की तुलना में निजी शिकायतों से कहीं ज्यादा दक्षता से निबट रहा है।
इतनी सक्रियता के बावजूद तथाकथित बुद्धिजीवियों को पीएम की नीयत में खोट नजर आती है। उन्हें इसमें राजतंत्र जैसी व्यवस्था का आभास होता है और हिटलरशाही के आने का खतरे का अंदेशा होता है। कहा भी गया है कि आप जिस रंग का चश्मा पहनकर संसार देखना चाहेंगे आपको वैसा ही संसार दिखेगा। लेकिन जनसरोकारों से जुड़े प्रधानमंत्री सकारात्मक सोच और चिंतन के साथ जनसरोकारों से आमजन को जोड़ने