बीते कुछ सालों में हमारे देश की टीवी चैनलों और अखबारों ने मीडिया एथिक्स को भुला दिया है। हाल की ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब यह लगा कि पत्रकारिता मिशन नहीं बल्कि व्यापार हो गया है। कठुआ में एक बच्ची पर जुल्मो सितम की बातें जब सामने आईं तो ‘भेड़चाल मीडिया’ ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए इसमें भी बाजार ढूंढ लिया। हालांकि इस बार कोर्ट ने सख्ती दिखाई है और मीडिया हाउसेज को उनके इस कुकृत्य के लिए दंडित करने का निर्णय लिया है।
दरअसल मीडिया के लिए निर्धारित मापदंड में यह तय है कि दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार की पहचान को उजागर नहीं किया जाता है। पर कठुवा के मामले में मीडिया ने एजेंडा चलाया और लड़की की पहचान उजागर किया। मीडिया के इस अनुचित कृत्य पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और कई मीडिया हाउसेस को कोर्ट ने नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि मीडिया संस्थानों ने नाबालिग पीड़िता की पहचान का खुलासा कर धारा 228 ए से ई तक के कानून का उल्लंघन किया है।
इसके बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने लड़की की पहचान को उजागर करने वाली मीडिया पर 10-10 लाख का जुर्माना लगा दिया। (पूरा आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- New Doc 2018-04-13 (1)) जाहिर है अब उन्हें जुर्माने की ये रकम कोर्ट में जमा कराने होंगे। इस रकम को जम्मू-कश्मीर पीड़ित सहायता कोष में भेजा जाएगा।
हालांकि जुर्माने के बाद मीडिया हाउसेज ने माफी मांग ली है, लेकिन कोर्ट ने इन्हें राहत नहीं दी है। कहा जा रहा है कि कोर्ट इन मीडिया हाउसेज के एंकर से लेकर संपादकों की सजा पर भी सुनवाई कर रहा है। इस मामले में इन्हें 6 महीने तक की सजा भी हो सकती है। बहरहाल आइये हम जानते हैं कि वे मीडिया हाउसेज कौन-कौन से हैं जिन्होंने पत्रकारीय मर्यादाओं को तार-तार किया है।
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