रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे। श्री कोविंद 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद जीत गए हैं। उन्हें 7,02,044 वोट मिले जबकि मीरा कुमार को 3,67,314 वोट मिले। उन्हें कुल 65.65 प्रतिशत वोट मिले। रामनाथ कोविंद को 522 सांसदों का समर्थन मिला है, मीरा कुमार को 225 जबकि 21 सांसदों के मत रद्द किए गए है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 17 जुलाई को हुआ था। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि गरीबी से उठकर कच्चे घर में पलकर आज यहां तक पहुंचा हूं। राष्ट्रपति भवन में ऐसे गरीबों का प्रतिनिधि बनकर जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि ‘इस पद पर चुना जाना न कभी मैंने सोचा था और न कभी मेरा लक्ष्य था लेकिन देश के लिए अथक सेवा भाव मुझे यहां तक ले आया। इस पद पर रहते हुए संविधान की रक्षा करना और उसकी मर्यादा बनाए रखना मेरा कर्तव्य है। राष्ट्रपति पद पर मेरा चयन भारतीय लोकतंत्र की महानता का प्रतीक है। मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सर्वे भवंतु सुखिन: की तरह मैं भी बिना भेदभाव के देश की सेवा में लगा रहूंगा।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई दी है।
Congratulations to Shri Ram Nath Kovind Ji on being elected the President of India! Best wishes for a fruitful & inspiring tenure.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 20, 2017
Gladdened by the extensive support for Shri Ram Nath Kovind Ji among MPs & across various states. I thank members of the electoral college.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 20, 2017
20 years ago and the present…always been a privilege to know you, President Elect. pic.twitter.com/IkhnOtYf8N
— Narendra Modi (@narendramodi) July 20, 2017
रामनाथ कोविंद
रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में हुआ। यूपी से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। पेशे से वकील कोविंद ऑल इंडिया कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं। इन्होंने कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी।
रामनाथ कोविंद ने इसके बाद दिल्ली में वकालत शुरु कर दी। 1971 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया में अपना पंजीकरण कराया। वह दिल्ली उच्च न्यायलय और सर्वोच्च न्यायलय दोनों ही जगहों पर वकालत करते थे। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने। 1977 में वे केन्द्र सरकार की तरफ से दिल्ली उच्च न्यायलय में वकील नियुक्त हुए और इस पद पर 1979 तक रहे। वकालत के दौरान कोविंद ने गरीब-दलितों के लिए मुफ्त में कानूनी लड़ाई लड़ी।
कोविंद वर्ष 1994 से 2006 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। राज्यसभा की सदस्य के रुप में अनुसूचित जाति और जनजाति की कल्याण समीतियों के सदस्य थे। इसके अतिरिक्त वह गृह, पेट्रोलियम और अन्य समितियों के सदस्य रहे। वह राज्य सभा की हाउसिंग कमेटी के भी अध्यक्ष थे। 2010 में जब नितिन गडकरी भाजपा के अध्यक्ष थे तो उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। 8 अगस्त 2015 को उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया। कोविंद की शादी 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुई। इनके एक बेटे प्रशांत हैं और बेटी का नाम स्वाति है।
रामनाथ कोविंद ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की बेहतरी और दलितों के उत्थान के लिए काम करते रहे हैं। दलित नेता होने के बावजूद वो स्वभाव से काफी मिलनसार है और उनका हमेशा से ही संगठित होकर काम करने में विश्वास रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पर रहा जोर
राज्यसभा सांसद रहते हुए रामनाथ कोविंद ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के विकास और विस्तार के लिए सबसे ज्यादा कार्य किया। उनके 12 साल के सांसद निधि के रिकार्ड की जब जांच की गई, तो सामने आया कि ज्यादातर सांसद निधि का पैसा गांवों में शिक्षा के क्षेत्र पर खर्च किया गया।
दलितों के लिए हमेशा उठाई आवाज
दलितों की भलाई के लिए वो हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने ही एक बार 1000 के नोट पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर छापने की मांग की थी। बीजेपी नेता होने के साथ वो पार्टी के दलित मोर्चा के प्रमुख भी थे।
राज्यपाल के तौर पर निष्पक्ष भूमिका
जहां राजभवन हमेशा से ही राजनीतिक पार्टियों की लड़ाई का अखाड़ा बना रहता है, वहीं बिहार के राज्यपाल के तौर पर उनकी भूमिका की सराहना सभी ने की। खुद मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने कोविंद को निष्पक्ष और सबसे बेहतरीन राज्यपाल की संज्ञा दी। जिस कारण जेडीयू ने कोविंद के राष्ट्रपति पद के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर दी।
नियमों के आधार पर ही लेते हैं निर्णय
कोविंद जी बहुत शांत स्वभाव के हैं लेकिन जब कोई सार्वजनिक कार्यक्रम या फिर किसी निर्णय लेने की बात आती है तो वो हमेशा रुल बुक के मुताबिक ही निर्णय लेते हैं। उनके लिए नियमों से ऊपर कोई नहीं है।
बिहार में विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर किया सुधार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2012-13 में नियुक्त हुए उप-कुलपतियों की नियुक्ति रद्द होने के बाद राज्यपाल बने कोविंद ने नियुक्तियों में पारदर्शिता बरती और यही नहीं उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षिक कैलेंडर में भी सुधार किया और इसे सख्ती से लागू किया और साथ ही बंद पड़े दीक्षांत समारोह को अपनी देख-रेख में फिर से शुरू करवाया।
सामाजिक सरोकारों से रहा जुड़ाव
समाज में चाहे किसी भी तरह की बुराई हो कोविंद जी उसका हमेशा विरोध करते थे। यही कारण है कि टीवी में बढ़ती अश्लीलता को रोकने के खिलाफ भी उन्होंने आवाज उठाई और शिकायत भी दर्ज की।