पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर से मुस्लिम तुष्टिकरण का चेहरा दिखाया है। रविवार को फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट डाले जाने के बाद दो हजार से अधिक मुस्लिम परिवारों ने एक घर पर हमला कर दिया। हमले की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची तो उपद्रवियों ने पुलिस के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने पोस्ट डालने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया। उसे 4 दिन के रिमांड पर भेज दिया गया। इसके बाद भी इलाके में हिंसा का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इस दौरान आसपास के दुकानों, मकानों में जमकर लूटपाट की गई। 24 परगना जिला का इलाका बांग्लादेश से सटा हुआ है। यहां की आबादी में मुसलमानों की जनसंख्या 26 फीसदी से अधिक है।
This scary scene is not from Bangladesh, but from #Bengal.
Do Hindu lives matter in India?#BengalTension #ModiInIsrael #BengalRiotCoverup pic.twitter.com/0FbAiIk4Er— ShankhNaad (@ShankhNaad) July 5, 2017
फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट के बाद बांग्लादेश की सीमा के सटे क्षेत्र जामुड़िया, बशीराहट और स्वरूप नगर में हिंसा शुरू हो गई। पुलिस के मूकदर्शक बने रहने के बाद भी वहां अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती नहीं की गई।
A mob of some 200 Muslims attacked Hindu homes in Bengal’s Basirhat. Cops remained mute spectators. #BasirhatRiots pic.twitter.com/qc3OP0oAF1
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 4, 2017
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद आए दिन राज्य में दंगा- फसाद होते रहते हैं। सलेक्टिव सेक्युलर के कारण राज्य की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने जब इस बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी मांगी तो उन्होंने अपनी नाकामी छिपाने के लिए राज्यपाल पर ही सनसनीखेज आरोप लगा दिए।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल उनसे एक स्थानीय भाजपा नेता की तरह बात कर रहे थे। ममता बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें धमकी दी और अपमानित किया। ममता ने पत्रकारों से कहा, ‘राज्यपाल मुझसे इस तरह बात नहीं कर सकते। मैं चुनकर आई जनप्रतिनिधि हूं, जबकि वह नॉमिनेटेड हैं।’ ममता बनर्जी को ये तो याद रहा कि वह नोमिनेटेड नहीं हैं लेकिन वह यह भूल रही हैं कि वह ना किसी एक समुदाय के वोट से जीतीं है और ना ही एक समुदाय के वोट से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह पश्चिम बंगाल में रहने वाले सभी नागरिकों की मुख्यमंत्री हैं।
वहीं, राजभवन ने ममता बनर्जी के आरोपों का खंडन किया है। राजभवन से जारी बयान में राज्यपाल त्रिपाठी ने कहा, ‘हमारी बातचीत में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे ममता बनर्जी को लगे कि उन्हें धमकाया गया या उन्हें अपमानित किया गया।’ त्रिपाठी ने साथ में यह भी कहा कि राज्य के मामलों को लेकर वह मूकदर्शक बने नहीं रह सकते।
ममता बनर्जी का मुसलमानों के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। उनके सरकारी फैसले का अगर एक अवलोकन किया जाए तो संभवतः निष्कर्ष यही निकलेगा कि चाहे पूरी दुनिया नाराज हो जाए, मुसलमानों को नाराज होने नहीं देना है। मुस्लिम तुष्टिकरण के कुछ फैसले उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हैं-
Hindu in West Bengal is not Safe?Police charge on Hindu peaceful procession during Hanuman Jayanti procession in Birbhum
— AMIT MAJUMDAR (@kingslg) April 11, 2017
हाईकोर्ट के आदेश से हो सकी रामनवमी की पूजा
सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये सच्चाई है कि पश्चिम बंगाल में अब हिंदुओं की पूजा और उपासना की स्वतंत्रता खतरे में पड़ चुकी है। बात-बात में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश के टुकड़े करने की बात करने वालों पर ममता बरसाने वाली पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों पर आए दिन रोक लगा रही है। कोलकाता के दक्षिणी दमदम नगरपालिका में ‘लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने पिछले 22 मार्च को पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया था। लेकिन जब राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी तो याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जज न्यायमूर्ति हरीश टंडन ने नगरपालिका के रवैये पर नाखुशी जताते हुए पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
हिन्दू पर्व पर रोक, मुस्लिम त्योहार को सरकारी खजाने से फंडिंग
ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा पर इसलिए प्रतिबंध लगा देती हैं क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय की भावना को ठेस पहुंचती है। वही सरकार आदेश जारी करके प्रदेश में चलने वाले सभी 2480 पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य कर दिया। इतना ही नहीं इसे मनाने के लिए सरकारी खजाने से फंड देने की भी व्यवस्था की गई है। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के एक ट्वीट से मिलती है।
NabiDibas & Eid made mandatory in 2480 Govt Libraries of WB•BUT NO Saraswati Pujo•Only cultural program allowed#Shame pic.twitter.com/eEgQEeNsWL
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) February 18, 2017
ऐसे में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार से सवाल लाजिमी है कि क्या वह केवल मुसलमानों की मुख्यमंत्री हैं?
मुहर्रम के चलते दुर्गा विसर्जन पर लगाई थी रोक
पिछले शारदीय नवरात्रि की बात है। पंचांग के अनुसार मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए तय समय पर रोक लगाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसलिए उसकी समय-सीमा तय कर दी ताकि उसके अगले दिन मुहर्रम का जुलूस निकालने में कोई दिक्कत न हो। बंगाल के इतिहास में इससे बड़ा काला दिन क्या हो सकता है, क्योंकि दुर्गा पूजा बंगाल की अस्मिता से जुड़ा है, इसमें राज्य की पहचान और सदियों की संस्कृति छिपी है। हैरानी की बात तो ये है कि मुख्यमंत्री ने अपने तुष्टिकरण वाले फैसले का ये कहकर बचाव किया कि वो तो सांप्रदायिक सौहार्द के लिए ऐसा करती हैं।
लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने उसबार भी राज्य की मुख्यमंत्री के चेहरे पर से कथित धर्मनिर्पेक्षता का नकाब हटा दिया और जमकर फटकार लगाई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा था, “राज्य सरकार का यह फैसला, साफ दिख रहा है कि बहुसंख्यकों की कीमत पर अल्पसंख्यक वर्ग को खुश करने और पुचकारने वाला है।” कोर्ट ने यहां तक कहा कि, “प्रशासन यह ध्यान रख पाने में नाकाम रहा कि इस्लाम को मानने वालों के लिए भी मुहर्रम सबसे महत्वपूर्ण त्योहार नहीं है। राज्य सरकार ने लापरवाही से एक समुदाय के प्रति भेदभाव किया है ऐसा करके उन्होंने मां दुर्गा की पूजा करने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण किया।”
बंगाल में सरस्वती पूजा पर बैन! स्कूल में ताले, बच्चों पर बर्बरता
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सांसदों ने एक फरवरी 2017 को सरस्वती पूजा होने के नाम पर दिल्ली में बजट का बहिष्कार किया। उसी पार्टी के शासन वाले राज्य में सरस्वती पूजा पर रोक लगा दी। पूजा ना होने देने के विरोध में सड़क पर उतरे छात्रों पर पुलिस ने लाठी बरसाए और आंसू गैस के गोले दागे।
Pious TMC boycotts Budget to celebrate Saraswati Puja. In Bengal, Tehatta HS School shut down as Muslims won’t allow Saraswati Puja. pic.twitter.com/dvoYSh4e5V
— কাঞ্চন গুপ্ত (@KanchanGupta) February 1, 2017
WB police lathicharged, used tear gas n robber bullets to vandalize the tehatta school students agitation demanding saraswati puja pic.twitter.com/KIMFoiUlMW
— Debjani Ghosh (@deb1996gh) January 31, 2017
कहने को भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हर किसी को अपने धर्म के पालन की आजादी है। लेकिन पश्चिम बंगाल में शायद इसमें बहुसंख्यक हिंदू शामिल नहीं है।
मकर संक्रांति की सभा में डाला था अड़ंगा
इसी साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक रैली आयोजित की थी। लेकिन सारे नियमों और औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद भी राज्य की सरकार के दबाव में कोलकाता पुलिस इस रैली के लिए अनुमति नहीं दे रही थी। इस रैली को स्वयं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन जी भागवत को संबोधित करना था। लेकिन ममता सरकार को लग रहा था कि अगर रैली के लिए अनुमति दे दी तो उनका मुस्लिम वोट बैंक बिदक जाएगा। यही वजह है कि उसने सारी कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर रैली की अनुमति देने से साफ मना कर दिया। ममता बनर्जी सरकार के इस तानाशाही रवैए के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील दायर की गई और वहां से आदेश मिलने के बाद ही रैली संपन्न हो सकी।