उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार वेंकैया नायडू और विपक्ष की तरफ से गोपाल कृष्ण गांधी ने नामाकंन भर दिया है। इसके साथ ही दोनों ही प्रत्याशियों की जीत -हार को लेकर कयास लगाये जाने का भी सिलसिला शुरू है। एनडीए के उम्मीदवार वेंकैया नायडू का राजनीतिक जीवन बेदाग है और उनके राजनीतिक-सामाजिक जीवन पर कोई सवाल नहीं है। लेकिन कांग्रेस के गोपाल कृष्ण गांधी को लेकर शिवसेना ने कुछ सवाल उठाए हैं। शिवसेना के सवाल से एक और सवाल ने जन्म लिया है कि क्या गोपाल कृष्ण गांधी उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्य उम्मीदवार हैं?
गोपाल गांधी ने की थी याकूब की फांसी रोकने की मांग
दरअसल याकूब मेनन 1993 मुंबई ब्लास्ट का दोषी था। उसे यूपीए सरकार के दौरान फांसी देने का एलान किया गया था। लेकिन गोपाल कृष्ण गांधी ने मुंबई में 1993 में हुए धमाके के दोषी याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था। ऐसे याकूब की फांसी रोकने के लिए गोपाल गांधी ने पूरी ताकत लगा दी थी और राष्ट्रपति को भी लेटर लिखा था और देश के सामने कहा था कि उनकी फांसी रुकनी चाहिए। जाहिर है गोपाल कृष्ण गांधी ने क्या सोचकर ऐसा किया वे तो वही बता सकते हैं, लेकिन यह देश की भावना के खिलाफ था। ऐसे में शिवसेना के सवाल मौजू हैं।
Madam ji(Sonia Gandhi)you elected Gopalkrishna Gandhi
as VP candidate, he used all his power to save Yakub Memon from death penalty: S.Raut pic.twitter.com/tHOfKjAzKL— ANI (@ANI_news) July 17, 2017
राष्ट्रद्रोहियों का साथ देने में गोपाल गांधी को गुरेज नहीं
गोपाल कृष्ण गांधी महात्मा गांधी के पौत्र हैं। लेकिन गांधी जी की सोच के विपरीत उन्होंने उस कांग्रेस पार्टी के समर्थन से राज्यपाल बनना स्वीकार किया था जिसे बापू खत्म करना चाहते थे। नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता बने गोपाल कृष्ण गांधी का एक और रूप तब देखने को मिला था जब उन्होंने जेएनयू में उन स्टूडेंट्स के साथ खड़े हुए थे जिन्होंने राष्ट्रविरोधी कार्य किए थे।
देशद्रोही कन्हैया को बताया था भावी पीढ़ी का नेता
वर्तमान दौर के राजनीतिज्ञों में गोपाल गांधी को जेएनयू प्रोडक्ट कन्हैया में देश का भावी पीढ़ी का नेता दिखता है। देश के टुकड़े करने वालों का साथ देकर गोपाल गांधी आखिर क्या जताना चाहते हैं? इतना ही नहीं गोपाल गांधी को अरविंद केजरीवाल टाइप की ‘अराजक’ राजनीति भी पसंद है। जाहिर तौर पर सवाल उठते हैं कि जो देश के टुकड़े करने वालों को पसंद करता हो और देश के संविधान को चोट पहुंचाने वालों के साथ हो, क्या वह उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्य उम्मीदवार हैं?
लोकतंत्र का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं गोपाल गांधी
गोपाल कृष्ण गांधी कांग्रेस के प्रभाव में रहे हैं और कांग्रेस की सरकार ने ही उन्हें पश्चिम बंगाल में राज्यपाल नियुक्त किया था। शायद इसलिए वह अपनी लेखन कला का इस्तेमाल कांग्रेस के प्रोपेगेंडा मशीनरी के तौर पर करते हैं। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभाली तो इन्हीं गोपाल गांधी ने एक Open letter लिखा था। गोपाल गांधी का यह पत्र न सिर्फ पीएम मोदी का अपमान था बल्कि देश के करोड़ों मतदाताओं के विचारों का भी अपमान था। जाहिर है जिसे देश की लोकंतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं वह लोकंतंत्र के शीर्ष पर बैठ कर देश का क्या भला कर पाएंगे?
पीएम मोदी की इजरायल यात्रा का किया विरोध
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल का ऐतिहासिक दौरा किया था। पूरे विश्व की इस यात्रा पर नजर थी। लेकिन इस सफल यात्रा पर गोपाल गांधी ने लेख लिखकर न सिर्फ सवाल उठाए। बल्कि मोदी सरकार की विदेश नीति को ही कठघरे में खड़ा किया। जरा सोचिए जिस शख्स ने हाल ही में भारत की विदेश नीति की इस तरीके से आलोचना की हो, उसे उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना कहां तक सही है?
वंशवाद के प्रतीक हैं गोपाल कृष्ण गांधी
जिस वंशवाद, परिवारवाद का विरोध करते हुए महात्मा गांधी ने अपना सारा संघर्ष किया आज उन्हीं के पौत्र इसे झूठा करार दे रहे हैं। दरअसल कांग्रेस ने गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार इसलिए बनाया है कि वह बापू के नाम को बेच सके। लेकिन क्या यह विडंबना नहीं है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को गांधी के वंशज का सहारा लेना ही पड़ा। यह कैसी विडबंना है कि कांग्रेस को अपनी विचाधारा बचाने के लिए भी गांधी शब्द का सहारा लेना पड़ रहा है। बहरहाल कम से कम कांग्रेस की इस कुत्सित साजिश का सहभागी तो नहीं बनते गोपाल कृष्ण गांधी।