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दुनिया को भारत की अनमोल भेंट है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

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21 जून, 2015- ये वो तारीख है जो स्वयं ही एक यादगार तिथि बनकर इतिहास का हिस्सा बन गई है। इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आगाज हुआ और पूरी दुनिया में भारत का डंका बजने लगा। दुनिया के 192 देशों के लोगों ने भारत की प्राचीन विरासत को अपनाया तो हर हिंदुस्तानी का मस्तक ऊंचा हो गया। पूरा विश्व जब एक साथ सूर्य नमस्कार और अन्य योगासनों के जरिये ‘स्वस्थ तन और स्वस्थ मन’ के इस अभियान से जुड़ा तो हर एक भारतवासी के लिए ये अद्भुत अहसास का दिन था।

लेकिन ये सब आसान नहीं था, इसके पीछे एक शख्सियत की संकल्प शक्ति का अहम योगदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम से आज भारत की इस प्राचीन विरासत की ताकत का अहसास पूरी दुनिया को हो रहा है।.

नमो की मुहिम रंग लाई
भारतीय ऋषि-मुनियों की देन योग भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। पांच हजार साल पहले से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा योग भारत के साथ जापान, चीन, तिब्बत, म्यांमार थाईलैंड जैसे देशों में भी पहले से विद्यमान है। लेकिन पूरी दुनिया ने योग के महात्म्य को अब अलग नजरिये से देखना शुरू कर दिया है। 27 सितम्बर, 2014 का वो पल जब पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की 69वीं आमसभा को संबोधित किया तो उन्होंने कहा,

“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। …तो आएं एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन की दिशा में काम करते हैं।”

प्रधानमंत्री के संयुक्त राष्ट्र संघ के 27 सितंबर के संबोधन के आधार पर 21 जून को विश्व योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ के उसी 69वें सत्र में भारत के राजदूत अशोक मुखर्जी ने रखा। इस प्रस्ताव को रखते वक्त अशोक मुखर्जी ने कहा,
संस्कृत में योग का अर्थ है – शामिल होना। हम आशा करते हैं कि इस संकल्प का प्रभाव वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे हमारे प्रयासों पड़ेगा

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष, सैम कहाम्बा कुटैसा ने कहा, यह दर्शाता है कि किस प्रकार योग के मूर्त और अप्रत्यक्ष लाभ दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करते हैं।

महासचिव बान की मून ने कहा,
योग सम्मिलित तरीके से समुदायों को साथ ला सकता है, जो सम्मान उत्पन्न करता है और शांति और विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और लोगों को आपात स्थितियों में तनाव से निपटने में मदद भी कर रहे हैं।

अद्भुत एकता की मिसाल बना योग प्रस्ताव
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के इस प्रस्ताव के समर्थन में आम सभा में सभी क्षेत्रिय समूहों के देशों ने समर्थन किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी पांच स्थायी सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। इस समर्थन से भारत के योग के प्रति सभी संस्कृतियों में सम्मान के बात की पुष्टि होती है, और यह स्थापित करता है कि विश्व भारत को योग के संरक्षक के रुप में आज भी देखता है।

नमो के आह्वान को दुनिया ने माना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी, उनका कर्तव्य के प्रति समर्पण और उनकी कर्मठता ने देश ही नहीं दुनिया में भरोसा जगाया है। दुनिया का कोई भी ऐसा देश नहीं है जो मोदी की नेतृत्व क्षमता को न मानता हो। दुनिया के हर कोने के लोग पीएम मोदी की नेतृत्व कुशलता के कायल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर दुनिया साथ हो गई, योग शब्द का उद्देश्य पूरा होता दिखाई देने लगा।

योग में विश्व को जोड़ने की शक्ति
दरअसल योग संस्कृत के युज धातु से बना हुआ शब्द है, जिसका अर्थ है जोड़ना। पूरी दुनिया को जोड़ने का एक जरिया योग बन गया और अमेरिका, सीरिया, रूस, ब्रिटेन, चीन, फिलीपींस जैसे विरोधी नीतियों वाले देशों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और 11 दिसंबर, 2014 को यूएन महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

रिकॉर्ड समय में प्रस्ताव हुआ पास
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को जब 193 ने अपना समर्थन दिया तो ये अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया। ‘विश्व स्वास्थ्य और विदेश नीति (‘Global Health and Foreign Policy) की कार्यसूची के तहत अंगीकार किया गया। इसके साथ ही 177 देशों ने इसका सह-प्रायोजक बनना स्वीकार किया। सबसे खास ये रहा कि इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 75 दिन में ही पूर्ण बहुमत से पारित कर दिया गया। ये संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी प्रस्ताव के पारित होने का सबसे कम समय है।

21 जून को इसलिए मनाते हैं योग दिवस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने के आह्वान के पीछे प्रकृति से प्रेम की सोच थी। दरअसल 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और समझा जाता है कि इस दिन सूरज, रोशनी और प्रकृति का धरती से विशेष संबंध होता है। इस दिन को किसी व्यक्ति विशेष को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि प्रकृति को ध्यान में रख कर चुना गया है।


दिल्ली के राजपथ पर भी बना रिकॉर्ड
पहले अंतर्राष्ट्रीय दिवस की जबरदस्त तैयारियां की गई। इस दिन दिल्ली के राजपथ का दृश्य भी अद्भुत था। यहां दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड एक साथ बना। पहला यह कि इस समारोह में विश्व भर के 36 हजार प्रतिभागियों ने एक साथ आसन प्रक्रिया में भाग लिया और दूसरा 84 देश आधिकारिक रूप से इसमें शामिल हुए।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों?

  • इसके अद्भुत और प्राकृतिक गुणों और इसके लाभ बताना
  • योगाभ्यास के जरिये प्रकृति के पास आना।
  • चुनौतीपूर्ण रोगों की दर में कमी लाना ।
  • शांतिपूर्ण और सह अस्तित्व के आधार पर विकास की प्रवृति पर जोर।
  • स्ट्रेस से भरे जीवन को सहज कर आनंदमय जीवन जीने को प्रेरित करना।

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