सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो जैसे देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार होते हैं। हद तो ये हो गई है कि हिंदुओं के अपने देश भारत में भी इस समुदाय से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। सेकुलर राजनीति की आड़ में हिंदुओं का सरेआम तिरस्कार किया जाता है। आलम ये है कि राजनीतिक दल हत्या जैसे मामलों में भी धर्म के आधार पर भेदभाव कर रहे हैं। ताजा मामला दिल्ली के अंकित सक्सेना मर्डर केस का है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हिंदुओं को एक बार फिर यह बात याद दिला दी कि वोटों की राजनीति में उनकी अहमियत नहीं है।
धर्म देखकर मुआवजे की कीमत लगाते हैं केजरीवाल !
दिल्ली के रहने वाले 23 साल के युवक अंकित सक्सेना को अल्पसंख्यक समुदाय की एक लड़की से प्रेम संबंधों की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। कुछ दिन पहले ही लड़की के परिजनों ने अंकित की हत्या कर दी थी। हालांकि हत्या के कई दिनों बाद तक सरकार का कोई नुमाइंदा अंकित के घर नहीं पहुंचा था, लेकिन सियासत का मौका ढूंढ कर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी अंकित की 13वीं में आयोजित शोकसभा में पहुंचे। हालांकि यहां उन्होंने ऐसी हरकत कर दी की उनकी पूरी राजनीति की पोल खुल गई।
दरअसल अंकित के परिजनों ने जब कहा की जीवनयापन मुश्किल हो रहा है आप एक सहायता राशि की घोषणा कीजिए तो उनके बोलते हुए ही केजरीवाल सभा से उठ के चल दिए। अंकित के पिता पीछे से उन्हें पुकारते रहे और अंत में उन्हें कहना पड़ा कि मेरे साथ गेम मत खेलो। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा द्वारा शेयर किए गए वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि कैसे केजरीवाल मुआवजे की बात सुनते ही शोकसभा से रुखसत हो लिए।
किसी के जवान बेटे की शोकसभा से उठकर चले जाना #AnkitSaxena के पिता बुलाते रह गए
शोकसभा से ऐसे जाना अपमान करने के समान, आपत्तिजनक
“धर्म” देखकर मुआवजे की कीमत लगाते है केजरीवाल जी https://t.co/RzVFgoh4E7
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) 13 फ़रवरी 2018
एमएम खान, तंजिल को केजरीवाल ने दिया था एक-एक करोड़ का मुआवजा
2 जुलाई, 2016 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एनडीएमसी के दिवंगत अधिकारी एमएम खान और एनआईए अधिकारी तंजील अहमद के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये के मुआवजे के चेक सौंपा था। इन दोनों की की श्रद्धांजलि सभा में भी शिरकत की थी, परन्तु सवाल अंकित सक्सेना के बारे में कोई घोषणा नहीं करने को लेकर है। उल्टा उनका ये बयान कि मुआवजे की घोषणा से विवाद हो सकता है उनकी छोटी सोच और कुत्सित राजनीति का ही उदाहरण है।
भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़ती रही है कांग्रेस
केजरीवाल ही नहीं कांग्रेस सहित तमाम सेकुलर जमात देश में इसी तरह की राजनीति करती रही है। हिंदुओं से भेदभाव और उन्हें जाति में बांटकर मुस्लिमों के वोट पाने की राजनीति। इसी राजनीति ने देश के हिंदुओं को भगवा आतंकवादी तक ठहरा दिया।
दरअसल हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था। मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं। जिन बेगुनाहों हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हो रहे हैं।
हिंदुओं के विरुद्ध साजिश रचती रही रही है कांग्रेस
- कांचीपुरम के वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररामण की हत्या 3 सितंबर 2004 को कर दी गई थी। इस हत्याकांड में कांचि कामपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वगती को प्रमुख आरोपी बनाया गया था। इस मामले में 2009 से ले कर 2012 तक 189 गवाहों से पूछताछ की गई फिर 27 नवंबर 2013 को पुडुचेरी की अदालत ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को बरी कर दिया।
- 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया। इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद को अमली जामा पहनाया जा सके।
- यूपीए सरकार के दौरान मालेगांव ब्लास्ट मामले में उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की साजिश रची गई थी।
हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करती रही है कांग्रेस
- 17 दिसंबर, 2010… विकीलीक्स ने राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई, 2009 को हुई बातचीत का एक ब्योरा दिया। राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ”भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं।”
- 16 मई, 2016 को सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि जिस तरह राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल हैं उसी तरह तीन तलाक और हलाला मुसलमानों की आस्था का मसला है। साफ है कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाती है।
- आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी।
- हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का जवाहरलाल नेहरू ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिरों पर खर्च नहीं होना चाहिए।
हिंदू आस्था को ठेंगे पर रखते हैं वामपंथी दल
वामपंथी दलों का इतिहास रहा है कि वह हिंदू धर्म को लेकर तमाम बुराइयां निकालता रहता है। इस क्रम में आज तक वामपंथियों की हिम्मत नहीं हुई कि किसी दूसरे धर्म के बारे में एक शब्द भी बोल पाए। मां दुर्गा, मां सरस्वती की अश्लील तस्वीर बनाने से लेकर महिषासुर पूजन तक सब कुछ करते हैं वामपंथी। इसी तरह केरल में जब सरेआम गाय का कत्ल किया जाता है तो वामपंथी जश्न मनाते हैं। चेन्नई के आईआईटी कैंपस में बीफ पार्टी भी वामपंथियों को खूब भाती है।
हिंदुओं के त्योहारों पर प्रतिबंध लगाती है ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्य के कई इलाकों में दुर्गा पूजन पर भी रोक लगा दी गई है। हिंदू स्कूलों में भी मिलाद उद नवी मनाने का फरमान जारी कर दिया है और स्कूलों में सरस्वती पूजा करने की मनाही कर दी गई है। ममता बनर्जी के राज में रामनवमी से लेकर हनुमान जयंती तक मनाने के लिए अदालतों की शरण में जाना पड़ता है। हिंदू आस्था से किस तरह ममता बनर्जी खिलवाड़ करती हैं इसका उदाहरण ये है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने कई बार राज्य सरकार को इस मामले पर फटकार भी लगाई है।
राष्ट्रवादी मुसलमानों को नमाज नहीं पढ़ने देते माणिक सरकार
दक्षिणी त्रिपुरा में करीब 25 मुस्लिम परिवारों को भाजपा का समर्थन करने के कारण मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ने दी गई, जिससे चलते इन लोगों को अपनी अलग मस्जिद का निर्माण करना पड़ा है। दरअसल सूबे में शांतिबाजार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव मोईदातिला के 100 परिवारों में करीब 83 परिवार मुस्लिम समुदाय से आते हैं। इनमें 25 मुस्लिम परिवारों ने इस बार चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का फैसला लिया, इन परिवारों का कहना है कि वो भाजपा कार्यकर्ता है। जिसके चलते इन्हें अपनी अलग मस्जिद बनानी पड़ी। इतना कुछ जानते हुए भी माणिक सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।