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देखिए किस तरह कांग्रेस ‘मॉब लिंचिंग’ के बहाने रच रही है हिंदुओं को हत्यारा साबित करने की साजिश

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किसी भी व्यक्ति की हत्या मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख देती है, मरने वाला चाहे किसी भी धर्म, जाति या रंग का हो। परन्तु कांग्रेस पार्टी समाज के हर व्यक्ति के धर्म, जाति और रंग को आधार बनाकर राजनीतिक निर्णय लेती है। सत्ता के लोभ में डूबी हुई कांग्रेस के लिए ऐसी राजनीति करना आसान है क्योंकि इसमें भावनात्मक मुद्दों की कोई कमी नहीं है। दूसरी तरफ विकास की राजनीति करने के लिए कर्मठता, त्याग और विवेक की जरूरत होती है।

समाज को धर्म, जाति में बांटकर देखने की कांग्रेस की सोच के कारण देश को आजादी से आज तक कई घाव सहने पड़े हैं। सत्ता के लोभ में देश को बंटाने से लेकर वर्तमान में ‘मॉब लिंचिंग’ पर समाज को हिन्दू-मुसलमान में बांटने का काम कांग्रेस कर रही है। ‘मॉब लिंचिंग’ को समाज की विकृति न मानकर, इसे एक विशेष धर्म से जोड़ दिया है, जबकि ‘मॉब लिंचिंग’ या दंगा किसी भी धर्म का कोई भी सिरफिरा व्यक्ति कर देता है।

कांग्रेस ने हिंसा के लिए हिन्दुओं को दोषी माना– सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने किसी भी प्रकार की सामाजिक हिंसा में हिन्दुओं को ही दोषी मानने का एक पूर्वाग्रह बना रखा है। देश में यह कैसी विडंबना है कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के कारण ही देश में सभी धर्म हजारों सालों से पल्लवित और पुष्पित हो रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसी धर्म को देश में दंगा या ‘मॉब लिंचिंग’ के लिए दोषी मानती है। मुसलमानों का वोट पाने के लिए, हिन्दुओं के खिलाफ इस तरह का नैरेटिव बनाना कांग्रेस का राजनीतिक हथकंडा है। इस देश ने 60 और 70 के दशक का वह दौर भी देखा है, जब विभिन्न राज्यों में दंगे होते थे और कांग्रेस मुसलमानों को हिन्दुओं से सुरक्षित रखने के नाम पर वोट मांगकर चुनाव जीतती थी। दंगों के लिए भी कांग्रेस हिन्दुओं को ही दोषी मानती थी। आज, कांग्रेस दंगों की ही तरह  ‘मॉब लिंचिंग’ को भी सत्ता पाने का हथियार बना रही है।

2011 में कांग्रेस ने हिन्दुओं को प्रताड़ित करने के लिए कानून तैयार किया
कांग्रेस ने हिन्दुओं के प्रति पूर्वाग्रह को कानून में भी बदलने का प्रयास किया, लेकिन वह कानून नहीं बन सका।  सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने 14 जुलाई 2010 को सांप्रदायिक एव लक्षित हिंसा रोकथाम (न्याय एवं क्षतिपूर्ति) विधेयक का खाका तैयार करने के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया और 28 अप्रैल 2011 की एनएसी की बैठक के बाद नौ अध्यायों और 135 धाराओं में इस कानून के प्रारूप को तैयार किया गया। 22 जुलाई 2011 को कमेटी ने कानून सरकार को सौंप दिया। इस कानून को बनाने वाली कमेटी में हर्ष मंडेर, अनु आगा, तीस्ता शीतलवाड़, फराह नकवी, सैयद शहाबुद्दीन, जॉन दयाल, शबनम हाशमी और नियाज फारुखी थे, ये सभी सदस्य हिन्दुओं के प्रति विशेष प्रकार का वैर भाव रखते हैं। आखिर में कैबिनेट ने 16 दिसंबर 2013 को इस विधेयक को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में यह मान लिया गया था कि हिन्दू बहुसंख्यक ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करते हैं और इसके लिए कड़े प्रावधान बना दिए गए। इनमें आरोपी को अपनी बेगुनाही का सबूत देने का प्रावधान बनाया गया। इस विधेयक के माध्यम से मुसलमानों के खिलाफ बोलना, लिखना उनका किसी भी तरह से विरोध करना अपराध बना दिया गया। कांग्रेस ने इस कानून के जरिए देश में हिन्दू मुसलामानों के बीच वैमनस्य के भाव को चिरस्थायी करने का आधार तैयार कर दिया ताकि उसकी सत्ता में पकड़ कभी ढीली न पड़े।

हिन्दुओं के खिलाफ ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं 
इस देश में डॉयन, बच्चा चुराने या अन्य किसी भी अापराधिक कृत्य के लिए भीड़ द्वारा मार डालने की घटानाएं होती रही हैं, लेकिन आज भीड़ द्वारा की गई हत्या को सांप्रदायिक रंग देकर ‘मॉब लिंचिंग’ कहा जा रहा है। केरल से लेकर पश्चिम बंगाल तक न जाने कितनी ही ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें भीड़ ने एक हिन्दू को पीट-पीटकर मारा डाला है। आइए, उन कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं, जिसमें हिन्दू ‘मॉब लिंचिंग’ के शिकार हुए हैं-

21 जुलाई 2018- राजस्थान के बाड़मेर जिले के 22 साल के युवक को मुस्लिम परिवार के लोगों ने पीट-पीट कर मारा डाला, क्योंकि दलित युवक मुस्लिम परिवार की लड़की से प्यार करता था।

• 21मई 2017- महाराष्ट्र के उल्हास नगर में मुसलमानों ने आठ वर्ष के दो दलित बच्चों की चकली मांगने पर पिटाई कर दी। इतना ही नहीं इसके बाल काट दिए गए और चप्पलों की माला पहना कर सड़कों पर घुमाया गया।

24 मार्च, 2016 – दिल्ली के विकासपुरी में डेंटिस्ट डॉ. पंकज नारंग को 15 मुसलमानों की भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, इनमें से चार नाबालिग थे। हत्या केवल इसलिए कर दी गई की सड़क पर गाड़ी से टकरा जाने पर झड़प हुई थी।

11 मई, 2016 – पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक हिंदू आईआईटी छात्र कौशिक पुरोहित पर भैंस चोरी का आरोप लगाकर मुसलमानों की भीड़ ने मार डाला। इस भीड़ की अगुवाई टीएमसी नेता तपस मलिक कर रहे थे।

नवंबर, 2016 – पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में इंद्रजीत दत्ता को मुसलमानों की भीड़ ने सिर्फ इसलिए मार डाला, क्योंकि उसने मोहर्रम का चंदा देने से मना कर दिया था।

5 अक्टूबर 2015- को भाजपा नेता और एक पूर्व सरपंच, कपूरचंद ठाकरे की मुसलमानों ने गोली मारकर हत्या कर दी। कार से मोटरसाइकिल टच हो जाने के बाद झगड़ा बढ़ा और मुसलमानों ने पहले सामूहिक रूप से ठाकरे की पिटाई की और बाद में गोली मारकर हत्या कर दी।

• 24 अक्टूबर 2015– उत्तर प्रदेश के कन्नौज में मुसलमानों ने दुर्गा पूजा के जुलूस को रोक दिया और मुसलमानों ने हिंदू युवक को सरेआम मार डाला

कांग्रेस की ‘मॉब लिंचिंग’ की राजनीति- आज भी कांग्रेस अपने पुराने फार्मूले को नए रुप में प्रयोग कर रही है। पहले, जहां दंगों पर राजनीतिक सत्ता पाने का खेल खेलती थी आज ‘मॉब लिंचिंग’  को सत्ता का हथियार बना रही है। कांग्रेस ने ‘मॉब लिंचिंग’ को हिन्दू बनाम मुसलमान बना दिया है, ताकि मुसलमानों की असुरक्षा को वोट में बदला जा सके। मुसलमानों में असुरक्षा के भाव को गहरे करने का काम कांग्रेसी पत्रकार सोशल मीडिया पर करते हैं और केवल उन्हीं घटनाओं को हवा देते हैं, जिसमें किसी मुसलमान की भीड़ ने हत्या कर दी हो। ये कांग्रेसी पत्रकार उन घटनाओं को भुला देते हैं, जहां किसी हिन्दू को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला हो, क्योंकि इससे कांग्रेस को राजनीतिक फायदा नहीं मिलता है।

देश में किसी भी प्रकार के सामूहिक अपराधिक कृत्य का राजनीतिक लाभ लेने के लिए, कांग्रेस हमेशा से तैयार रहती है, क्योंकि यह इसके डीएनए में है। कांग्रेस कभी उन मुद्दों को राजनीतिक हथियार नहीं बनाती, जिनसे सबका विकास हो और सब एक दूसरे के साथ चलें।

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