पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जनाधार खिसक रहा है। अपना जनाधार बचाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के बल पर राज्य में भय का माहौल बनाए रखने के लिए प्रदेश को कत्लगाह बनाने पर तुली हुई हैं। राजनीतिक विरोध के चलते एक के बाद एक भाजपा व अन्य पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी के गुंडे कर रहे हैं और राज्य में खुलेआम घूम रहे हैं। राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। आज फिर एक भाजपा के कार्यकर्ता की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बंगाल पुलिस की लापरवाही एवं असहयोग से बंगाल में फिर एक बार लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। https://t.co/kxL5AAy4lB
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) July 28, 2018
घटना 24 परगना जिले की है। यहां मंदिर बाजार के पास घात लगाए कुछ लोगों ने भाजपा के मंडल सचिव शक्तिपद सरदार पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। भाजपा कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरदार की हत्या के पीछे टीएमसी का हाथ है।
इससे पहले भी बंगला में ममता राज में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। इन हत्याओं के पीछे भी टीएमसी का ही नाम आया है। टीएमसी के गुंडे बंगाल की जनता को डरा-धमकाकर गुलाम बनाए रखना चाहती है। खूनी घटनाओं पर एक नजर –
पुरुलिया में टीएमसी के गुंडों ने की पिता-पुत्र की हत्या
‘’भाजपा के ओबीसी कार्यकर्ता 27 साल के दीपक महतो और उनके पिता 52 वर्षीय लालमन महतो की टीएमसी के लोगों ने हत्या कर दी।” ये आरोप पश्चिम बंगाल भाजपा के महासचिव सायंतन बासु ने लगाए हैं। दरअसल मारे गए दोनों व्यक्ति पुरुलिया मंडल समिति के प्रभावी कार्यकर्ता थे और वे चावल वितरण में तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे। आरोप है कि इसी के चलते उनकी निर्मम हत्या की गई। हालांकि पुलिस इस मामले की भी लीपापोती करने में लग गई है।
पुरुलिया में18 साल के @BJP4Bengal के दलित कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या कर लाश पेड़ से लटका दी,उसके पीछे लिखा है “BJP के लिए काम करने का यही हश्र होगा” pic.twitter.com/dSKj6hYqRR
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) May 30, 2018
30 मई, 2018 को पुरुलिया में बीजेपी के एक दलित नौजवान कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या की गई। उसके बाद उसकी लाश को पेड़ से लटकाकर उसके पीछे यह लिखा गया कि बीजेपी के लिए काम करने का यही हश्र होगा।
भाजपा समर्थक महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश
बीते अप्रैल महीने में 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा की महिला कार्यकर्ता की सरेआम पिटाई की। महिला प्रत्याशी पर उस समय हमला हुआ जब वह बारुईपुर एसडीओ ऑफिस में नामांकन दाखिल करने पहुंची। टीएमसी कार्यकर्ताओं ने महिला को सड़क पर पटक कर मारा और उसके साथ बदसलूकी की। उसे निर्वस्त्र तक करने की कोशिश की गई। हैरानी की बात है कि महिला कार्यकर्ता की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया लोग वहां खड़े तमाशा देखते रहे।लेफ्ट के दो पार्टी कार्यकर्ताओं को टीएमसी सपोर्टर्स ने जिंदा जलाया
पंचायत चुनाव के दौरान बंगाल के रायगंज में तैनात चुनाव अधिकारी राजकुमार रॉय की हत्या इसलिए कर दी गई कि उसने निष्पक्ष चुनाव करवाने की कोशिश की। इसी तरह उत्तर 24 परगना में पंचायत चुनाव के दौरान ही सीपीएम के एक कार्यकर्ता के घर में आग लगी दी गई। इसमें कार्यकर्ता और उसकी पत्नी इसमें जिंदा जल गई। सीपीएम ने आरोप लगया कि इसमें टीएमसी का हाथ है।पंचायत चुनाव में ममता की पार्टी ने लोकतंत्र का किया था अपहरण
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में टीएमसी ने बिना एक वोट डाले ही 34.2 प्रतिशत सीटें जीत लीं। ऐसा इसलिए हुआ कि इन सभी ग्रामीण सीटों पर टीएमसी यानि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की दहशत के सामने कोई दूसरी पार्टी उम्मीदवार ही नहीं खड़ा कर पाई। जाहिर है राजनीतिक प्रतिशोध में मारपीट, हत्या, बलात्कार का दूसरा नाम बन चुके बंगाल में दूसरी पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने का साहस ही नहीं जुटा सका। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि पश्चिम बंगाल में जो रहा है वह लोकतांत्रिक मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
बंगाल, केरल,पूर्व की त्रिपुरा मे ऐसे ही दलित सहित अन्य हिन्दुओं को भी मारकर इसी प्रकार लटकाया जाता था ताकि वे दहशत में आकर बीजेपी को वोट न करें।किसी विपक्ष ने आजतक गलती से भी चू तक नहीं किया ।
औकात नहीं कि कोई संगठन सामने आए— Jitendra dev sharma (@JDsharma85) May 30, 2018
ममता और वाम दलों के शासन का खूनी इतिहास
बंगाल में राजनीतिक झड़पों का एक लंबा और रक्तरंजित इतिहास रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से झड़प की 91 घटनाएं हुईं और 205 लोग हिंसा के शिकार हुए। 2015 में राजनीतिक झड़प की कुल 131 घटनाएं दर्ज की गई थीं और 184 लोग इसके शिकार हुए थे। वर्ष 2013 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से 26 लोगों की हत्या हुई थी, जो किसी भी राज्य से अधिक थी। 1997 में बुद्धदेब भट्टाचार्य ने विधानसभा मे जानकारी दी थी कि वर्ष 1977 से 1996 तक पश्चिम बंगाल में 28,000 लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गये थे।