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योग दिवस विशेष: 21 जून की तिथि तय करने के पीछे रही है एक वैज्ञानिक और तर्कसंगत सोच

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21 जून तो पहले भी आता था लेकिन 2015 से यह तिथि बहुत विशेष बन गई। सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए भारत की ओर से 21 जून की तारीख की पेशकश के पीछे जो कारण थे वो इतने वैज्ञानिक और तर्कसंगत थे कि उस पर संयुक्त राष्ट्र की मुहर लगने में जरा भी देरी नहीं हुई।  

योग दिवस के दिन पृथ्वी पर सूर्य की मौजूदगी सर्वाधिक
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के पीछे प्रमुख कारण यह है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होती है। सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू करता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानि रूपांतरण (Transformation) के लिए यह बेहतर समय होता है। ग्रीष्म संक्रांति का यह दिन पूरे वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। सूर्य का उदय जल्दी होता है और यह देरी से ढलता है यानि पृथ्वी पर सूर्य की मौजूदगी सबसे अधिक समय तक होती है।

जब प्रधानमंत्री ने कहा: खुशी जताने के लिए शब्द नहीं
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की नींव 27 सितंबर 2014 के दिन तब पड़ी थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने पहले ही भाषण में इसका प्रस्ताव रखा। प्रधानमंत्री ने योग को संपूर्ण मानवता के स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण का समग्र दृष्टिकोण बताते हुए प्रस्ताव पेश किया था। सदस्य देश इस प्रस्ताव से इस इतने आश्वस्त हुए कि ढाई महीने में इसके 177 देश सह-प्रस्तावक बनकर सामने आ गए। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए अपनी सहमति जाहिर कर दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस निर्णय से उन्हें इतनी खुशी हुई है जिसे व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं।   

इतिहास रचते हुए पारित हुआ योग दिवस का प्रस्ताव
193 सदस्य देशों में से 177  देशों का सह-प्रस्तावक बनना, यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास में सह प्रस्तावकों की सबसे बड़ी संख्या है। इतना ही नहीं योग दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को 90 दिनों के भीतर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, वह भी संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस के प्रस्ताव के पारित होने में लगा सबसे कम समय है।

21 जून 2015 के पहले योग दिवस ने भी रचा इतिहास
योग को लेकर हर तरफ किस प्रकार के उत्साह का संचार हुआ है इसकी बानगी पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ही सामने आ चुकी थी। देश-विदेश के आयोजनों में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। दिल्ली के राजपथ पर हुए समारोह की अगुवाई स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। राजपथ के आयोजन ने भी रिकॉर्ड रचकर रख दिया। यहां 84 देशों के प्रतिनिधियों और 35,985 लोगों की भागीदारी रही जिससे गिनीज बुक में दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। प्रधानमंत्री ने पहले योग दिवस पर कहा था: ‘’आज 21 जून से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से न सिर्फ एक दिवस मनाने का प्रारंभ हो रहा है, बल्कि शांति-सद्भावना इन ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए मानव मन को ट्रेनिंग करने के लिए एक नए युग का आरंभ हो रहा है।‘’

जाहिर है 21 जून अब युग-युगांतर तक योग दिवस की विशेष तिथि बनकर आता रहेगा।

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