Home तीन साल बेमिसाल पीएम मोदी का नोटबंदी का फैसला भारत के लिए लाभदायक- विश्वबैंक

पीएम मोदी का नोटबंदी का फैसला भारत के लिए लाभदायक- विश्वबैंक

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आखिरकार विश्व बैंक ने भी मान लिया है कि मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला बिल्कुल सही कदम था। 8 नवंबर, 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000, 500 के नोट बंद करने का निर्णय लिया, देश-विदेश के कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे घातक कदम बताना शुरू कर दिया। इसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संकट कहा गया। लेकिन, करीब 6 महीने बाद ही दुनिया अपना नजरिया बदलने के लिए मजबूर हो गई। सबने ये मानना शुरू कर दिया है कि पीएम मोदी का साहसिक फैसला कुछ समय बाद देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती की बुनियाद बनेगा। ये बातें सरकार की ओर से पहले दिन से ही कही जा रही थी। लेकिन मोदी विरोध में अंधा होकर कुछ लोग कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थे।

भारतीय अर्थव्यवस्था दुरुस्त होगी
विश्वबैंक की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी का निर्णय भारतीय अर्थव्यस्था के लिए बहुत ही लाभदायक रहा। इसके चलते भारत की अर्थव्यवस्था अधिक व्यवस्थित होगी और नियमों से संचालित होगी। इससे सरकारी खजाने में संग्रह भी बढ़ेगा और ऑनलाइन वित्तीय लेन-देन को भी बढ़ावा मिला है। ये रिपोर्ट 29 मई, 2017 को विश्व बैंक की ओर से ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट-2017’ के नाम से जारी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, पहले भारत में जनवरी 1978 में भी 1000, 5000 और 10000 के नोट बंद किये गये थे, जो देश में कुल कैश के मात्र 1.7 प्रतिशत ही थे। उनको बदलने के लिए भी लंबा समय भी दिया गया था। लेकिन 2016 की नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट देश में मौजूद कुल कैश के 86 प्रतिशत थे और देश में मौजूद कुल नोट की संख्या का 39 प्रतिशत। भारत की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का लगभग 12.5 प्रतिशत कैश में है, जो विश्व में सबसे अधिक है।

दुनिया में जो नहीं हुआ पीएम मोदी ने कर दिखाया
देश में 1000 और 500 रुपये की नोटबंदी का कदम विश्व का सबसे बड़ा नोटबंदी का कार्यक्रम था। इस काम को निपटाने लिए मात्र तीन महीनों का समय दिया गया। इससे पहले भी विश्व के अन्य देशों में नोटबंदी हुई है लेकिन इतने बडे पैमाने पर और इतने कम समय के अंदर नहीं हुआ है। ब्राजील में 1980 और 1990 के दशक में दो बार और फिलीपींस में 2010 में एक बार नोटबंदी की गई थी, लेकिन इन देशों में नोट बदलवाने के लिए काफी लंबा समय दिया गया। जैसे फिलीपींस ने 2010 में जो नोटबंदी का फैसला लिया था, जिसके लिए नोट बदलवाने का समय जनवरी, 2017 तक दिया गया।

अर्थशास्त्रियों की आशंकाओं को बेकार साबित किया 
विश्व बैंक ने कहा है कि दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण नोटबंदी कार्यक्रम को भारत ने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से लागू किया। जैसे इसके चलते कृषि क्षेत्र आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी को लागू करने की प्रक्रिया में जो सूझबूझ दिखाई गई, उसी का परिणाम है अर्थव्यव्स्था की हालत वैसे नहीं बिगड़ी, जैसा शुरुआत में अनुमान लगाए गए थे। रिपोर्ट में इसके लिए मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जमकर सराहना की गई है।

रिपोर्ट में मोदी सरकार के कुछ कदम की चर्चा की गई है, ये कदम हैं—

• महंगाई को नियंत्रित रखा
• नोटबंदी के साथ ही साथ कैश को तेजी से सर्कुलेशन में वापस लाना
• इलेक्ट्रोनिक पेमेंट को बढ़ाया
• किसानों को पुराने नोट से बीज-खाद खरीदने की छूट देना। इसके चलते इस साल रबी फसल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
• टोल पर पुराने नोट लेने की छूट दी, जिससे जरूरी सामानों की आपूर्ति बनी रही।

डिमांड एवं सप्लाई का चेन नहीं टूटने दिया
सरकार की इन कोशिशों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डिमांड और सप्लाई का चेन बरकरार रहा, जिससे अर्थव्यवस्था को अनुमान के विपरीत नुकसान नहीं हुआ। अनाजों की अच्छी पैदावार हुई और गांवों में कृषि एवं अन्य कार्यों में रोजगार की उपलब्धता बनी रही। दूसरी तरफ शहरों में भी अनुमानों के विपरित मांग में मामूली कमी आयी। क्योंकि, मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया था और डिजिटल पेपेंट के इस्तेमाल पर पूरा जोर लगा दिया था।

यही कारण है कि अक्टूबर-दिसंबर, 2016 की तिमाही में जीडीपी की विकास दर अनुमानों के विपरीत थोड़ी ही धीमी रही, जो 7 प्रतिशत थी। लेकिन गांवों और शहरों में मांग बरकरार रहने से आर्थिक विकास की गति फिर से रफ्तार पकड़ चुकी है ।

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