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‘जनधन’ योजना बनी महिला सशक्तीकरण का आधार, आधे खाते महिलाओं के नाम पर खुले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का जोर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आर्थिक तौर पर संपन्न बनाने के लिए काफी काम किया है। मोदी सरकार की हर योजना में महिला सशक्तीकरण पर जोर रहता है। यही वजह है कि आज चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र सभी जगह महिलाओं प्रगति की ओर अग्रसर हैं। बीते साढ़े तीन साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनसे न सिर्फ महिलाओं में विश्वास जागा है, बल्कि वो आत्मनिर्भर भी हुईं हैं। देश की आधी आबादी यानी महिला शक्ति के साथ खड़ी मोदी सरकार लगातार उनके सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान में लगी है। केंद्र सरकार लगातार महिलाओं के विकास के लिए बड़े फैसले ले रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए महात्वाकांक्षी जनधन योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत जीरो बैलेंस पर कोई भी आम आदमी अपना खाता बैंक में खुलवा सकता है। इस योजना के तहत 31 करोड़ से अधिक जनधन खाते खुल चुके हैं। इन खातों से जहां देश के सामान्यजन को आर्थिक आजादी मिली है वहीं सरकारी योजनाओं की सब्सिडी भी डीबीटी के जरिए सीधे उनके खातों में जा रही है, यानी भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम भी लगी है।

जनधन योजना के आधे से ज्यादा खाते महिलाओं के नाम से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के बाद 15 दिसंबर 2014 को महात्वाकांक्षी जनधन योजना की घोषणा की थी और 28 अगस्त 2014 को इस योजना का शुभारंभ किया था। इसके बाद से ही यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यजन को आर्थिक रूप से सशक्त करने का माध्यम बन गई है। इस योजना के तहत अब तक 31 करोड़ से ज्यादा लोग बैंकिंग सिस्टम से जुड़ चुके हैं, यानी करोड़ों-करोड़ लोगों ने पहली बार बैंक में प्रवेश किया है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सलाहकार फर्म माइक्रोसेव के एक सर्वेक्षण के अनुसार इन खातों में से आधे से ज्यादा खाते महिलाओं के नाम पर खुले हैं। इतना ही नहीं इन महिलाओं ने सिर्फ नाम के लिए खाते नहीं खुलवाए हैं, बल्कि इन खातों से लगातार लेनदेन भी किया जा रह है। ‘स्टेट ऑफ दि एजेंट नेटवर्क 2017’ के नाम से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से 2017 के बीच इन खातों में रुपये के लेनदेन में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

ग्रामीण महिलाओं की मिली आर्थिक आजादी

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार समाजिक सुरक्षा के तहत दी जाने वाले तमाम पेंशन, खाद्यान्न सब्सिडी, गैस सब्सिडी आदि का पैसा इन्हीं जनधन खातों के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुंचा रही है। अब ग्रामीणों के खातों में बगैर किसी भ्रष्टाचार के सब्सिडी की रकम पहुंच रही है, यह भी एक बड़ा कारण है कि जनधन खातों में रुपयो का लेनदेन लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 31.07 करोड़ जनधन खातों में कुल 74,534.79 करोड़ रुपये जमा हैं। जनधन खातों को खुलवाने और खाताधारकों की मदद के लिए 1.26 लाख बैंक मित्र बनाए गए हैं। सर्वेक्षण कि रिपोर्ट के अनुसार इन बैंक मित्रों में सिर्फ 2 प्रतिशत महिलाएं, अगर महिला बैंक मित्रों की संख्या बढ़ा दी जाए तो महिला खाताधारकों की संख्या और बढ़ाई जा सकती है। बहरहाल इस सर्वेक्षण से साफ हो गया है कि जनधन योजना से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में बढ़ोतरी हुई है, और आज गांव-देहात की महिलाओं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनी हैं।

*ग्रामीण महिलाओं को चूल्हें के धुंए से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू की गई उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है। उज्जवला योजना के तहत मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन योजना का लाभ अब 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ गरीब महिलाओं को दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

*मोदी सरकार ने महिलाओं की गरिमा को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2018-19 में 1.88 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार अब तक 6 करोड़ शौचालयों का निर्माण करवा चुकी है। वहीं वर्ष 2018-19 में ग्रामीण क्षेत्रों में 51 लाख आवास बनाए जाएंगे। इसमें भी ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित होंगी।

*सौभाग्य योजना के तहत मोदी सरकार ने 4 करोड़ ग्रामीण आवासों में मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जाहिर है कि गांवों में बिजली पहुंचने से सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण महिलाओं को होगा।

*स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलों के जीवन में बड़े बदलाव आ रहे हैं और वो स्वरोजगार से जुड़ रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को मार्च 2019 तक 75 हजार करोड़ ऋण देने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन का बजट भी बढ़ाया है, इसके लाभार्थियों में महिलाओं की संख्या अधिक है।

*बजट में ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई है।

*ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं मत्स्य पालन और पशुपालन से जुड़ी हुई हैं। बजट में मछली व पशुपालन पर खास जोर दिया गया है। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा।

*महिला सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार हमेशा से गंभीर रही है। बजट में भी यह देखने को मिला है। आम बजट में महिला सुरक्षा के लए 1,366 करोड़ का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्ष यह 1,089 करोड़ रुपये था। निर्भया फंड के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

*महिलाओं एवं किशोरियों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत 3,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह रकम पिछले वर्ष से दोगुनी है।

*आम बजट में एक वर्ष में 70 लाख नई नौकरियां सृजित करने का एलान का गया है, जाहिर है इसमें भी महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बड़ी संख्या में महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी।

*आम बजट में ईपीएफ में महिलाओं का योगदान 12 से 8 फीसद करने का ऐलान किया गया है। अब नौकरी करने वाली महिलाएं अपनी मर्जी से कम ईपीएफ कटवा सकेंगी। इससे उनके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे आएंगे।

*केंद्र सरकार ने नई महिला कर्मचारियों के ईपीएफ में 3 वर्षों तक 8 प्रतिशत का योगदान देने का भी ऐलान किया है।

*नौकरीपेशा महिलाओं की मेटर्निटी लीव को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह किया गया है, ताकि महिलाओं को बच्चे की परवरिश के लिए ज्यादा वक्त मिल सके और उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी मिल सके।

*आम बजट में अल्पसंख्यक महिलाओं पर भी विशेष फोकस किया गया है। अल्पसंख्यक मामलों के लिए बजट में 4,700 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जएगा।

*मुस्लिम लड़कियों और लड़कों की शिक्षा को ध्याम रखकर 7 नई परियोजनाएं शुरू की जाएगी। इन योजनाओं के लिए 2453 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। मुस्लिम लड़के और लड़कियां पढ़ाई बीच में न छोड़ दें, इसके लिए 980 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी। 522 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को दी जाएगी।

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