Home समाचार हिंसक और ‘कुकर्मी’ केरल सरकार को बर्खास्त क्यों न किया जाए?

हिंसक और ‘कुकर्मी’ केरल सरकार को बर्खास्त क्यों न किया जाए?

केरल की वामपंथी सरकार के षडयंत्र का खुलासा करती रिपोर्ट

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केरल, पंजाब, कर्नाटक जैसे गैर बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। बीते शनिवार को केरल में एक और आरएसएस कार्यकर्ता का कत्ल कर दिया गया। लेकिन लगातार हो रही राजनीतिक हिंसा की घटनाओं पर राज्य की CPI-M सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। हालांकि इस मसले पर केरल के राज्यपाल ने सीएम पी विजयन को समन भी जारी किया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी केरल में राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमलों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक हिंसा अस्वीकार्य है।

‘कुकर्मों’ पर पर्दा डालने में लगी राज्य सरकार
दरअसल शनिवार की रात तिरूवनंतपुरम के पास आरएसएस के कार्यकर्ता राजेश की धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई। नौ बजे रात को हुए इस हमले में 34 वर्षीय राजेश का बायां हाथ काट दिया गया था और बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। आरोप सीपीएम से जुड़े एक हिस्ट्रीशीटर की अगुवाई वाले गिरोह पर है। लेकिन राज्य सरकार इसे व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला बता रही है। जाहिर है बिना जांच के ही राज्य सरकार द्वारा ऐसा कहना उसके अपने ‘कुकर्मों’ पर पर्दा डालने जैसा ही है। इतना ही नहीं बजाय कार्रवाई के ऐसा कहकर वह अपने कार्यकर्ताओं को आरएसएस-बीजेपी कार्यकर्ताओं पर और हमला करने के लिए बढ़ावा दे रही है।

बर्खास्त क्यों न कर दिया जाए केरल सरकार?
दरअसल बीते कई दशकों से वामपंथियों का गढ़ रहा केरल में राजनीति का आधार ही नफरत की बुनियाद पर टिका है। केरल में हर रोज बीजेपी-आरएसएस कार्यकर्ताओं को राजनीतिक दुश्मनी के चलते मारा जा रहा है। वामपंथी इस ‘हेट थ्योरी के तहत माताओं-बहनों और मासूम बच्चों तक को नहीं छोड़ते हैं। रोज हो रही हिंसा पर मानवाधिकार आयोग, ओबीसी आयोग एससी-एसटी आयोग, न्यायालय अब तक चुप क्यों है? आखिर हेट थ्योरी की बुनियाद पर खड़ी केरल की राजनीतिक विरासत को इसकी सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए? क्या हिंसा रोक पाने में नाकाम राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं कर दिया जाना चाहिए?

114 पूर्व सैनिकों ने के लिए चित्र परिणाम

सवालों का जवाब ढूंढती हत्याएं…
बड़ा सवाल यह है कि क्या आरएसएस कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जाना किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है? बीजेपी-आरएसएस पर फासीवाद, हिटलरशाही, साम्प्रदायिक से लेकर असहिष्णुता तक के आरोप लगाने वाली तथाकथित बौद्धिक जमात का इन हत्याओं पर मौन संघ के प्रति हिंसक हमलों का समर्थन है? क्या राष्ट्रवाद की विचारधारा के विस्तार और उसके बढ़ते प्रभाव से वामपंथी और कांग्रेसी बौखलाए हुए हैं? क्या तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली सियासी जमात अब राष्ट्रवाद की विचारधारा को हिंसा से रोकने की कोशिश में लगी है?

सीपीएम की गुंडागर्दी के तार सीएम से जुड़ते हैं!
केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन राजनैतिक विरोधियों से निपटने के लिए हत्या ही एकमात्र उपाय के अविष्कारक रहे हैं। उन पर केरल में पहली राजनीतिक हत्या का आरोप है। आरएसएस कार्यकर्ता वडिकल रामकृष्णन की हत्या 28 अप्रैल 1969 को हुई थी। यह केरल राज्य में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या की पहली घटना है। तब से लेकर अब तक 172 आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या का केस पुलिस की फाइलों में दर्ज है। एक आंकड़े के मुताबिक हर पांच में से चार घटनाओं के लिए सीपीएम कार्यकर्ता कसूरवार है।

केरल में सीपीएम की गुंडागर्दी के लिए चित्र परिणाम

सीपीएम की हिंसा के पांच दशक
केरल में वामपंथी गुंडागर्दी का दौर करीब पांच दशक से चल रहा है। दरअसल कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इस प्रदेश में सबसे ज्यादा संघ की शाखाएं लगती हैं। 1940 से ही केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता संघ के सदस्यों को निशाना बनाते रहे हैं। 1948 में तिरूवनंतपुरम में गोलवलकर की एक सभा में हमला हुआ था । जाहिर है बीते कई दशकों से केरल में लेफ्ट का जंगलराज चल रहा है।

कन्नूर में सबसे ज्यादा कत्लेआम
कन्नूर जिला केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन का गृह जनपद है और विडंबना है कि केरल के कन्नूर जिले में ही सबसे ज्यादा राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। कन्नूर में जनवरी 1997 से मार्च 2008 के बीच 56 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी। मार्च 2015 तक खूनी वार में लगभग 200 कार्यकर्ताओं की जान गयी थी। आंकड़ों पर गौर करें तो कन्नूर जिले में सिर्फ आठ महीने में 300 से अधिक राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हुईं। 1 मई, 2016 से 16 सितंबर के बीच केवल कन्नूर जिले में राजनीतिक हिंसा की कुल 301 वारदातें घटित हुईं। दर्ज रिपोर्ट होने के बाद सर्वाधिक 485 सीपीएम से जुड़े नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।

केरल में राजनीतिक हत्या के लिए चित्र परिणाम

2012 से अब तक की प्रमुख राजनीतिक हत्याएं
संतोष (कन्नूर) – 18 जनवरी, 2017 की रात घर में अकेला पाकर सीपीएम के गुंडों ने चाकूओं से गोदकर संतोष की हत्या कर दी। पुलिस को जानकारी मिलने पर अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले संतोष की मौत हो गई।

सी. राधाकृष्णन (पलक्कड़) – 28 दिसंबर, 2016 को सीपीएम कार्यकर्ताओं ने कोझिकोड के पलक्कड़ में 44 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता सी. राधाकृष्णन को उनके ही घर में जिंदा जलाने की कोशिश हुई। उनके घर के सामने खड़ी उनकी बाइक में पहले आग लगाई। फिर घर में गैस का छिड़काव करके घर में आग लगा दी। इस आगजनी में सी राधाकृष्णन सहित दो परिजन और बुरी तरह से झुलस गए। त्रिस्सुर जुबली मिशन हॉस्पिटल में 6 जनवरी, 2017 को उपचार के दौरान सी. राधाकृष्णन की मौत हो गई।

संतोष (कन्नूर) – 18 जनवरी, 2017 की रात घर में अकेला पाकर सीपीएम के गुंडों ने चाकूओं से गोदकर संतोष की हत्या कर दी। पुलिस को जानकारी मिलने पर अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले संतोष की मौत हो गई।

सी. राधाकृष्णन (पलक्कड़) 28 दिसंबर, 2016 को सीपीएम कार्यकर्ताओं ने कोझिकोड के पलक्कड़ में 44 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता सी. राधाकृष्णन को उनके ही घर में जिंदा जलाने की कोशिश हुई। उनके घर के सामने खड़ी उनकी बाइक में पहले आग लगाई। फिर घर में गैस का छिड़काव करके घर में आग लगा दी। इस आगजनी में सी राधाकृष्णन सहित दो परिजन और बुरी तरह से झुलस गए। त्रिस्सुर जुबली मिशन हॉस्पिटल में 6 जनवरी, 2017 को उपचार के दौरान सी. राधाकृष्णन की मौत हो गई।

रेमिथ (कन्नूर) अक्टूबर, 2016 में ही 26 साल के रेमिथ नामक युवक की हत्या कर दी गई। चौदह साल पहले उसके पिता को भी मार दिया गया था। ये दोनों बीजेपी-आरएसएस से जुड़े थे। ये हत्याएं पिनाराई गांव में हुई जो कि केरल के मुख्यमंत्री का गांव है।

कथिरूर मनोज (कन्नूर) तीन सितंबर, 2014 को कथित तौर पर सीपीएम कार्यकर्ताओं के हमले में आरएसएस कार्यकर्ता मनोज की मौत हो गई। इस मामले में वरिष्ठ सीपीएम नेता पी जयराजन को भी पुलिस हिरासत ने हिरासत में लिया था।

केके रंजन (कन्नूर) सीपीएम कार्यकर्ताओं की ओर से की गई पत्थरबाजी में केके रंजन के सिर पर गहरी चोट लगी और एक दिसंबर को उनकी मौत हो गई।

विनोद कुमार (कन्नूर) एक दिसंबर, 2013 को आरएसएस कार्यकर्ता विनोद कुमार की हत्या मार्च निकालने के दौरान सीपीएम कार्यकर्ताओं ने की।

सुजीत (कन्नूर) 19 फ़रवरी 2016 को आरएसएस कार्यकर्ता सुजीत की उनके परिवार के सामने ही कथित सीपीएम कार्यकर्ताओं ने गला काटकर हत्या कर दी।

नेडुमकंडम अनीश रंजन (इडुक्की) 18 मार्च, 2012 को एसएफआई के 23 साल के नेडुमकंडम अनीश रंजन की हत्या दो सीपीएम कार्यकर्ताओं ने चाकू मारकर की थी।

थिया समुदाय को निशाना बनाते हैं वामपंथी गुंडे
इन हत्याओं में मरने वालों में सबसे ज्यादा थिया जाति से हैं, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। दरअसल थिया समुदाय के लोगों के बीच कभी सीपीएम की अच्छी पकड़ रहती थी। लेकिन अब थिया समुदाय के लोग संघ की विचारधारा से प्रभावित हैं। दरअसल संघ और बीजेपी के बढ़ते जनाधार को देख सीपीएम खेमें में घबराहट पैदा हो गई है और अब वह इसे रोकने के लिए वे हिंसा का सहारा ले रहे हैं।

अवॉर्ड वापसी गैंग के लिए चित्र परिणाम

खामोश क्यों है अवार्ड वापसी गैंग?
किसी एक मुस्लिम की हत्या पर पूरे देश को सिर पर उठा लेने वाला सेक्युलर जमात चुप है। क्या केरल में रोज हो रही हत्याओं पर अवार्ड वापसी गैंग को इन घटनाओं में असहिष्णुता नजर नहीं आ रही है। एक संगठन और उसकी विचारधारा से जुड़े लोगों की हत्याएं हमारे बौद्धिक जगत को विचलित नहीं कर रही हैं। उनका मौन इस बात का सबूत है कि वह व्यक्तियों में पंथ, सम्प्रदाय, जाति और विचारधारा के आधार पर भेद करते हैं। जाहिर है संघ के खिलाफ यह हिंसक षड्यंत्र जितना निंदनीय है, उससे कहीं अधिक लानत की हकदार इस तथाकथित बौद्धिक जमात की खामोशी है।

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