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प्रधानमंत्री मोदी ने महागठबंधन को क्यों कहा पानी और तेल के मेल, पढ़िये 5 कारण

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी महागठबंधन को ‘तेल और पानी का मेल बताया है। दैनिक जागरण अखबार को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि ये ऐसा मेल-मिलाप है जिसमें न तेल काम का बचता है और न ही पानी किसी योग्य। प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों कहा इसके वाजिब कारण हैं। दरअसल  मोदी विरोध के नाम पर विपक्ष का कुनबा परस्पर अंतर्विरोधी है और पहले आपस में ही एक दूसरे से लड़ता भी रहा है। बहरहाल आइये हम तथ्यात्मक नजरिये से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कैसे ये महागठबंधन पानी और तेल का मेल है।

कारण नंबर- 1
पीएम पद के 11 उम्मीदवार
संभावित गठबंधन में अधिकतर दल के नेता स्वयं को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान रहे हैं। राहुल गांधी पहले ही पीएम पद के लिए खुद के नाम का एलान कर चुके हैं, वहीं शरद पवार और ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षाएं भी जगजाहिर हैं। माना जा रहा है कि प्रस्तावित महागठबंधन में 19 दल शामिल हैं, लेकिन इनमें से 11 दलों के शीर्ष नेताओं ने 2019 में गठबंधन की सरकार बनने की सूरत में खुद को पीएम पद के तौर पर पेश करने के लिए भी कमर कस ली है।

कारण नंबर- 2
राहुल गांधी पर नहीं ऐतबार
कांग्रेस बार-बार कहती है कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व में गठबंधन की अगुआई करेगी, लेकिन हकीकत ये है कि ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू जैसे दिग्गज नेताओं ने विपक्ष के नेता के रूप में राहुल की भूमिका को पूरी तरह से नकार दिया है। जाहिर है इन नेताओं के रूख से स्पष्ट है कि काग्रेस अध्यक्ष 2019 की लड़ाई में अलग-थलग पड़े दिखाई देंगे। दूसरी तरफ कांग्रेस बिना राहुल गांधी के चेहरे के आगे बढ़ने को तैयार नहीं है, ऐसे में विपक्षी दल जिस मोर्चे की कवायद में जुटे हैं वह सिर्फ कागजों पर ही हकीकत लग रही है।

कारण नंबर- 3
अंतर्विरोध और आपसी रार
2019 के लोकसभा चुनावों में यूपी में महागठबंधन को लेकर मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट कहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हैसियत सिर्फ दो सीटों की है। ममता बनर्जी और शरद पवार ने भी कहा है कि पीएम पद को लेकर कोई बात नहीं की जाएगी। संदेश यह भी कि ये नेता खुद को इस गठबंधन की अगुआई के दावेदार भी बता रहे हैं। एक हकीकत ये है कि इसमें कई दल ऐसे हैं जो एक साथ एक दूसरे से पास भी आना चाहते हैं दूर-दूर दिखना भी चाहते हैं। अरविंद केजरीवाल की आप और राहुल की कांग्रेस का संबंध तो यही अंतर्विरोध जाहिर कर रहा है।

कारण नंबर- 4
विपक्ष का सिमटता जनाधार
प्रधानंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और एनडीए ने देश के हर चुनाव में लगातार जीत हासिल की है, फलस्वरूप 19 राज्यों में बीजेपी और एनडीए की सरकार है। देश के 74 प्रतिशत भू-भाग पर एनडीए का शासन है। यह इसलिए संभव हो सका है कि वाम दल, एनसीपी, टीएमसी, एसपी, बीएसपी, आरजेडी जैसी पार्टियों के जनाधार में कमी आई है, यानि ये दल अपने-अपने प्रभाव वाले राज्यों में भी जनाधार खो चुके हैं।

कारण नंबर- 5
मोदी विरोध या विपक्ष का अहंकार
कई विरोधी दल चूंकि विपक्ष में इसलिए महज विरोध करने के नाम पर एक दिखना चाहते हैं, लेकिन इसकी कमी यह है कि मोदी विरोध की राजनीति पर चलते हुए रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभा पाने में विफल साबित हो रहे हैं। दरअसल मोदी विरोध का आलम यह है कि केंद्र सरकार कितनी भी अच्छी नीतियां देशहित में क्यों न बना लें, विपक्ष उसके विरोध में हो-हल्ला करता ही है। गलत नीतियों, विचारों का विरोध तो जरूरी है, लेकिन हितकारी नीतियों पर जबरदस्ती विरोध कर देशहित को नुकसान पहुंचाना समझ से परे है।

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