Home समाचार मोदी सरकार के अध्यादेश से अपराध के दायरे में आया ट्रिपल तलाक

मोदी सरकार के अध्यादेश से अपराध के दायरे में आया ट्रिपल तलाक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बड़े और कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। 19 सितंबर भी एक ऐतिहासिक निर्णय के दिन के रूप में याद किया जाएगा। इसी दिन मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक पर एक अध्यादेश जारी किय। दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने Protection of Rights on Marriage Bill-2017 बिल के लिए ट्रिपल तालक (तलाक ए बिद्दत) अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश से अब ट्रिपल तलाक देना अपराध के दायरे में आ गया है। 

आपको बता दें कि कांग्रेस के विरोध के कारण संसद के दोनों सदनों में पारित होने में विफल हो गया था। अब इस अध्यादेश के बाद ट्रिपल तालाक को दंडनीय अपराध के रूप में माना जाएगा। गौरतलब है कि ट्रिपल तालाक को अपराधी बनाने के लिए बिल संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस ने अड़ंगा लगा दिया।

दरअसल मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक आधार पर अत्याचार झेलना पड़ता है। लगातार संघर्ष करती आ रही महिलाओं को पीएम मोदी के रूप में आशा की एक नई किरण दिखी। उन्होंने पीएम मोदी के सामने आवाज उठाई, जिसे उन्होंने सुनी ही नहीं बल्कि उसका समाधान भी ले आए। 

 

बहरहाल यह अध्यादेश छह महीने के लिए मान्य है, लेकिन सरकार संसद में शीतकालीन सत्र में संसद में ट्रिपल तालाक बिल पारित करने का इरादा रखती है।

अध्यादेश की प्रमुख बातें

  • यह अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला खुद शिकायत करेगी या फिर खून के रिश्तेदारी में कोई शिकायत करेगा।
  • इसमें जमानत मिल सकती है, मैजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष सुनने के बाद चाहे तो बेल दे सकता है।
  • महिला और बच्चों के भरण-पोषण की रकम मैजिस्ट्रेट द्वारा ही तय की जाएगी, छोटे बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी।
  • महिला अगर चाहे तो समझौते का विकल्प भी खुला है, पत्नी की पहल पर हो सकता है समझौता।

समझौते कि लिए ये है शर्त

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बिल महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए है। कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है। पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मैजिस्ट्रेट के द्वारा उचित शर्तों के साथ।

बेल के लिए ये है शर्त

कानून के तहत मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है, लेकिन पत्नी का पक्ष सुनने के बाद। केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह पति-पत्नी के बीच का निजी मामला है। पत्नी ने गुहार लगाई है, इसलिए उसका पक्ष सुना जाना जरूरी होगा।

सामने आए 3 तलाक के आंकड़े

सरकार ने अध्यादेश पर जानकारी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब तक तीन तलाक के आंकड़े भी जारी किए। जनवरी 2017 से 13 सितंबर 2018 तक 430 तीन तलाक की घटनाएं हुईं। इनमें से 229 सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से पहले के हैं, जबकि 201 जजमेंट के बाद के हैं। 3 तलाक के सबसे ज्यादा मामले यूपी में आए। यूपी में जनवरी 17 से पहले 126 केस आए। फैसले के बाद 120 केस सामने आए। 

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