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जल्द ही सामने आएंगे उन दो कांग्रेसी नेताओं के नाम, जो ‘अर्बन नक्सल’ की मदद को थे बेताब!

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नक्सली लिंक के आरोपियों से कांग्रेस की सहानुभूति अब किसी से छुपी नहीं रही है। पुलिस कह रही है कि जिन लोगों को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उनसे संबंधित साक्ष्यों की कमी नहीं, लेकिन कांग्रेस उन्हें क्लीन चिट देन में जुटी है। इस मामले में कांग्रेस का दोहरा चरित्र भी उजागर हो चुका है क्योंकि जिस प्रकार के आरोपियों के बचाव में आज वह खड़ी नजर आ रही है, वैसे ही आरोपियों को उसने अपनी सरकार के रहते बेहद खतरनाक बताया था।  सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने एफिडेविट में तब की यूपीए सरकार ने माना था कि शहरों के कुछ एकेडमिशियन्स और एक्टिविस्ट मानवाधिकार की आड़ में ऐसे संगठनों को चला रहे हैं, जिनका संपर्क माओवादियों से है।  

‘पुलिस के रडार पर दो कांग्रेसी नेता’
जी मीडिया ने सूत्रों का हवाला देकर जो जानकारी दी है, उसकी पुष्टि होते ही कांग्रेस की मुसीबत कई गुना बढ़ सकती है। इसके मुताबिक प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) में अर्बन लीडरशिप के सीनियर कॉमरेड्स नवंबर, 2017 से मई, 2018 के बीच कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं के साथ निरंतर संपर्क में थे। इतना ही नहीं अपने प्रॉपेगैंडा में कानूनी और आर्थिक मदद पाने के लिए दिसंबर, 2017 से जनवरी, 2018 के बीच कांग्रेस के दो नेताओं के साथ मुंबई और दिल्ली में इनकी कई बैठकें भी हुई थीं। जांच अधिकारियों ने ये तो साफ किया है कि ये बैठकें हथियारों की खरीद-फरोख्त के सिलसिले में तो नहीं हुई थीं, लेकिन इस प्रकार की बैठक होना ही अपने आपमें बेहद संगीन है।

‘फोन कॉल डिटेल से उभरे हैं कई संदेह’
बताया गया है कि पुणे पुलिस ने जून, 2018 में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उनकी फोन कॉल डिटेल से यह भी पता चला है कि सीनियर कॉमरेड्स और इन दो कांग्रेसी नेताओं के बीच दर्जनों बार फोन पर बातचीत हुई है। पुलिस को संदेह है कि इस प्रकार की बातचीत की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए इन लोगों ने खुद के मोबाइल फोन के बजाय दूसरे मोबाइल नंबर का इस्तेमाल भी किया हो सकता है।

नाम के खुलासे का इंतजार
जब इतनी सारी संदेह भरी गतिविधियां हुई हों, तो सहज जिज्ञासा यही बनती है कि आखिर वे दोनों कांग्रेसी नेता कौन हो सकते हैं? पुलिस इनके नाम का खुलासा अभी तो नहीं कर रही है, लेकिन माना जा रहा है कि हाऊस अरेस्ट में रखे गए पांच आरोपियों की पुलिस कस्टडी मिलने के बाद इनके बारे में भी जानकारियां जल्द ही सामने आ सकती हैं। जरूरत पड़ने पर इन कांग्रेसी नेताओं को पूछताछ के लिए समन भी जारी किया जा सकता है।

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