देश में हिंदुओं को तो संविधान और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन मुसलमानों और ईसाईयों के कुकर्मों पर हमेशा पर्दा डाल दिया जाता है। कठुआ कांड के बाद हाल में ही कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे ये बात साफ हो गई है कि ईसाई मिशनरियां मानव तस्करी के साथ दुष्कर्म का अड्डा बन गई हैं। मदर टेरेसा की संस्था ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के रांची सेंटर में बच्चे बेचे जाने का मामला सामने आने के बाद पहली बार लोगों को पता चला है कि मानवता और समाज सेवा के नाम पर दरअसल क्या हो रहा था। जाहिर है देश के लिए इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि धर्म की आड़ में बच्चे बेचने का रैकेट चले। उससे भी खतरनाक इस मसले पर सेक्यूलर ब्रिगेड की हैरतअंगेज खामोशी है! हालांकि कुछ ऐसे भी हैं जो इसे ईसाईयत का रंग देकर इससे कुछ अलग ही एंगल देने की कोशिश में हैं। इसी सेक्यूलर ब्रिगेड में से एक हैं राजदीप सरदेसाई।
Missionaries of Charity baby selling scandal is shocking. But should the criminal act of a few be allowed to tarnish legacy of Mother Teresa or to make this about ‘Christianity’ instead of crime? Would a robbery in Tirupati temple tomorrow become about Hinduism?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 10 July 2018
सरदेसाई का कहना है कि मिशनरी में अपराध होता है तो क्या हो गया। इससे आप मदर टेरेसा की ईसाईयत पर सवाल नहीं उठा सकते। जाहिर है सेक्यूलर ब्रिगेड का दर्द समझा जा सकता है क्योंकि यही लोग ते जब कठुआ कांड में हिंदुओं और मंदिरों के खिलाफ एक महीने तक कैंपेन चला रहे थे।
मानव तस्करी में आरोपी मदर टेरेसा की ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ पर चुप्पी
जिस तरह से बच्चों की कीमत लगाई जा रही थी, ये 2-3 नन का काम नहीं हो सकता। दरअसल पूरी संस्था इसके लिए एक नेटवर्क की तरह काम करती है। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कामकाज पर नजर रखने वाले कुछ पत्रकार मदर टेरेसा का असली चेहरा सामने लाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक लोग उन पर यकीन नहीं करते थे।
‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की पोल खोलने वाली किताब को दबा दिया गया
भारतीय मूल के लेखक और फिजीशियन डॉक्टर अरूप चटर्जी ने सबसे पहले ये खुलासा किया था कि मदर टेरेसा दरअसल गरीब भारतीय परिवारों के बच्चों को पश्चिमी देशों में ले जाकर बेच रही हैं। उन्होंने इसकी पूरी जानकारी उन्होंने 2003 में आई अपनी किताब ‘मदर टेरेसा- द फाइनल वर्डिक्ट’ में दी है।
किताब में उन्होंने मदर टेरेसा के आश्रमों की हालत और वहां की गतिविधियों की पूरी जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने बच्चे बेचने की घटनाओं के बारे में मीडिया से मदद लेने की कोशिश की थी, लेकिन ईसाई मिशनरी और ऊपर से मदर टेरेसा से जुड़ा मामला होने के कारण मीडिया ने उन पर चुप्पी साध ली। सरकार और पुलिस की तरफ से भी मदर टेरेसा और उनकी संस्था को खुली छूट मिली हुई थी।
2016 में अरूप चटर्जी ने ‘मदर टेरेसा- द अनटोल्ड स्टोरी’ नाम से एक और किताब लिखी, जिसमें उन्होंने उन बच्चों के नाम तक लिखे हैं जिनको बिकते उन्होंने देखा। इसमें उन्होंने 1980 की एक घटना का ब्योरा दिया है, जब मदर टेरेसा ने 7 साल के बच्चे सोनातन धर को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेल्जियम के एक कैथोलिक ईसाई परिवार को 1 लाख 25 हजार रुपये में बेच दिया था।
विदेशी चंदों के इस खेल को समझने की जरूरत
‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ को बीते 10 साल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कोलकाता रीजन के लिए अकेले 9 अरब 18 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा मिला। इस रीजन में झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार की मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थाएं आती हैं। ये सारा चंदा एफसीआरए के तहत लाया गया है, जबकि इस कानून के तहत सिर्फ महिला सशक्तिकरण, मानवाधिकार और शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ विदेशी फंड ला सकते हैं।
अब यह मांग हो रही है कि ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के इस पूरे रैकेट की जांच सीबीआई को दी जाए ताकि बीते 3-4 दशकों में इसके क्रिया-कलापों की जांच की जा सके। यह भी गौर करने वाली बात है कि ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ सबसे ज्यादा बंगाल में सक्रिय है और चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में बंगाल ही देश में सबसे ऊपर है। हालांकि सेक्यूलर ब्रिगेड इस मामले पर अब भी चुप है।
ईसाई पादरियों द्वारा बलात्कार की घटनाओं पर सेक्यूलर ब्रिगेड की चुप्पी
झारखंड के ही खूंटी में एक मिशनरी स्कूल के फादर पर 5 युवतियों का गैंग रेप करवाने का आरोप लगा था। दैनिक जागरण न्यूज पोर्टल के अनुसार पीड़िताओं का आरोप है कि वे मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए उनके स्कूल में नुक्कड़ नाटक कर रही थीं। इसी दौरान आरोपी वहां आए और फादर ने युवतियों को उनके साथ जाने को मजबूर किया। आरोपी फादर अल्फोंस आइंद पर ये भी आरोप है कि जब वहां मौजूद नन भी युवतियों के साथ चलने को तैयार हुईं तो फादर ने उन्हें रोक लिया। युवतियों ने फादर से बहुत विनती की लेकिन, फादर ने उनकी एक न सुनी। बाद में आरोपियों ने पांचों युवतियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उनके शरीर के साथ बहुत ही ज्यादती की। वापस आने पर फादर और ननों ने उन्हें इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताने के लिए आगाह किया। यह भी चेतावनी दी कि अगर कुछ बताया तो उनके परिजनों की हत्या तक हो सकती है।
केरल में 4 पादरियों ने किया महिला से रेप
केरल के कोट्टायम शहर में 4 पादरियों पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है। आरोपों के अनुसार इन पादरियों ने चर्च में ईश्वर के समक्ष पाप स्वीकार करने आई महिला का कई बार यौन उत्पीड़न किया। खबरों के मुताबिक आरोपियों ने महिला की स्वीकारोक्ति का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया और उसका रेप किया। हालांकि आश्चर्य की बात है कि केरल पुलिस ने अबतक पादरियों की गिरफ्तारी की कोई कार्रवाई नहीं की है और चर्च की आंतरिक जांच के भरोसे ही बैठी हुई लगती है। इस घटना के बाद केरल के एक महिला संगठन ने ईसाईयों में चर्च के सामने स्वीकारोक्ति की वर्षों पुरानी परंपरा में संशोधन कर ननों को भी बाकी महिलाओ की तरह प्रायश्चित का अवसर देने की मांग उठाई है। गौरतलब है कि इससे पहले भी चर्च में यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें आती रही हैं, लेकिन उसपर कोई कदम नहीं उठाया जाता है।
सवाल उठना लाजिमी है कि हर बात में कैंडल मार्च लेकर सड़कों पर उतरने वाला सेक्युलर गैंग, चर्चों और मिशनरियों में चल रहे पापों पर मौन क्यों है? अगर केरल में आरोपियों से नरमी बरते जाने का संदेह है तो वो वहां की सरकार पर ठोस कार्रवाई की मांग क्यों नहीं की जा रही है। क्या चर्च में ननों के होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता नहीं है?
जबरन धर्मांतरण का सोनिया गांधी कनेक्शन और सेक्यूलर जमात का मौन समर्थन
देश में धर्मांतरण का एक बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है। इस कारण देश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है। हिंदुओं के देश में ही आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। इसमें सबसे बड़ी भूमिका ईसाई मिशनरियों की सामने आती रही है। आरोप है कि इन मिशनरियों को कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की शह है। अरुणाचल प्रदेश में तो उनका इंट्रेस्ट जगजाहिर है। दरअसल सोनिया गांधी पर बीते 10 साल में ईसाई मिशनरियों के जरिये खुद वहां पर रहने वाली आदिवासी जातियों का धर्मांतरण करवाने के आरोप हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 प्रतिशत हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 फीसदी से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।
ईसाईयों मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण से बिगड़ गया देश में आबादी का समीकरण
कांग्रेस के कार्यकाल में ईसाई धर्म का लगातार विस्तार होता रहा है। देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। कभी चंद हजार ईसाई की संख्या थी परन्तु आज 2.80 करोड़ से अधिक ईसाई हैं। दरअसल कांग्रेस ने हमेशा से ईसाई धर्म को बढ़ाने के लिए कार्य किए हैं और हिंदुओं का विभाजन कर इस कार्य को अंजाम देते रहे हैं। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल से ही सोनिया गांधी ने पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों के फैलने में मदद की जिसने उन क्षेत्रों में आबादी का संतुलन ही बिगाड़ दिया। इसी का परिणाम है कि आज मेघालय में 75 प्रतिशत, मिजोरम में 87 प्रतिशत, नागालैंड में 90 प्रतिशत, सिक्किम में 8 प्रतिशत और त्रिपुरा में 3.2 प्रतिशत ईसाई आबादी हो गई है। इस साजिश को अंजाम देने के लिए कांग्रेस ने कभी माफी नहीं मांगी। वहीं केरल में भी करीब 24 प्रतिशत आबादी ईसाईयों की है।