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तेलंगाना में मुसलमान वोट के लिये सांप्रदायिक हथकंडे अपना रही है कांग्रेस, टीआरएस भी पीछे नहीं

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तेलंगाना में कांग्रेस और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति  के बीच मुसलमानों का वोट लेने के लिये सांप्रदायिकता का खुला खेल चल रहा है। मुसलमानों को लुभाने के लिए दोनों दल घोर साम्प्रदायिक तरीके अपना रहे हैं।  

कांग्रेस का कहना है कि सत्ता में आने पर वो तेलंगाना में मुसलमानों को पढ़ाई के अलावा सरकारी नौकरी, सरकारी लोन और सरकारी ठेके देने में सबसे ज्यादा प्राथमिकता देगी। इसके साथ ही कांग्रेस ने मस्जिदों और चर्चों में मुफ्त बिजली का भी वादा किया है। इसके बावजूद कहीं मुसलमान और ईसाई वोट किसी और के पाले में ना खिसक जाए, इसके कांग्रेस ने घोषणा पत्र में मस्जिदों के इमाम और चर्च के पादरियों को 6 हजार रुपये महीना तनख्वाह देने का भी वादा किया है।

सांप्रदायिकता के इस खेल में टीआरएस भी कांग्रेस से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति ने तेलंगाना के मुसलमानों को 12 फीसदी आरक्षण देने का चारा पहले ही फेंक रखा है, लेकिन मोदी सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है। अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव कह रहे है कि वो 2019 में मोदी सरकार को दोबारा सत्ता में आने ही नहीं देंगे ताकि तेलंगाना के मुसलमानों को 12 फीसदी आरक्षण मिल सके। इसके साथ ही मुसलमान वोटों पर और पकड़ बनाने के लिये मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने असदुददीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए मुत्ताहिदुल मुस्लमीन से हाथ मिला लिया है। ओवैसी को तेलंगाना के ज्यादातर मुसलमान मसीहा मानते हैं और हैदराबाद की एक लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर उनके उम्मीदवारों को एकतरफा वोट देते हैं।

मुसलमान वोटों के लिए मची इस होड़ में तेलंगाना का हिंदू पिस रहा है। दोनों दलों ने हिंदुओं के लिए अपने घोषणा पत्र कुछ खास वादे नहीं किये है। तेलंगाना में केवल बीजेपी ही ऐसी पार्टी है जो टीआरएस और कांग्रेस की इन सांप्रदायिक नीतियों का जमकर विरोध कर रही है। तेलंगाना के निजामाबाद में हुई रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा था कि तेलंगाना राष्ट्र समिति और कांग्रेस एक दूसरे की जीरॉक्स कॉपी है। इन दोनों में कोई फर्क नहीं हैं।

तेलंगाना में मुसलमान वोट

तेलंगाना की 119 विधानसभा क्षेत्रों में 40 फीसदी सीटों पर मुस्लिमों का वोट असर डालता है। इस राज्य में 12.7 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो राज्य के सभी जिलों में फैले हुए हैं। राजधानी हैदराबाद के अलावा  रंगारेड्डी, महबूबनगर, नलगोंडा, मेडक, निजामाबाद और करीमनगर जिलों में मुसलमानों की आबादी निर्णायक हैं। हैदराबाद में 24 विधानसभा सीट हैं, जिनमें से 10 विधानसभा सीट पर हारजीत का फैसला मुस्लिम वोटर ही करते हैं।

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