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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व से दुनिया में भारत तीसरी महाशक्ति बना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए विदेश यात्राओं का मतलब देश के हितों को साधने के लिए वैश्विक शक्तियों से तालमेल बैठाना होता है। देश की 130 करोड़ जनता की आकांक्षाओं को पूरा करना इन विदेश यात्राओं की प्रथामिकता होती है, इसलिए उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल के मात्र छ महीनों के अंदर ही बारह देशों की यात्राऐं कीं, जो सभी बहुत ही महत्वपूर्ण थीं। जहां एक ओर सऊदी अरब को रणनीतिक साझेदार बनाने के लिए ऐतिहासिक समझौता किया वहीं 2 नवंबर से 4 नवंबर के बीच थाइलैंड़ की यात्रा पर देशवासियों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते से बाहर रहने का निर्णय लिया। डब्लूटीओ के बाद से विश्व के दूसरे बड़े आर्थिक समझौते से बाहर रहने का निर्णय कठिन था लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी ही थे जिन्होंने समझौते में भारत के हित पूरी तरह से नहीं सधने की वजह से समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राऐं अन्य राष्ट्राध्यक्षों की तरह से सामान्य नहीं होती हैं इनमें राष्ट्रीय स्तर से लेकर विश्व स्तर तक सभी के लिए एक कूटनीतिक संदेश होता है जो किसी न किसी समस्या के समाधान की ओर उठा एक कदम होता है। आइए, आपको प्रधानमंत्री मोदी की ऐसी उन बारह यात्राओं के बारे में बताते हैं जिन्होंने भारत के भविष्य को बदलने का प्रयास किया-

    प्रधानमंत्री मोदी की बारहवीं विदेश यात्रा

02- 04 नवंबर, 2019, थाइलैंड़

प्रधानमंत्री मोदी ने 2 नवंबर से 4 नवंबर तक बैंकाक, थाइलैंड की यात्रा पर थे। यह यात्रा देशवासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी क्योंकि 04 नवंबर को बैंकाक में 16 देशों की तीसरी RCEP की बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्णय ऐतिहासिक होने वाला था। इस निर्णय पर ही भारत के डेयरी, कपड़ा, फार्मा, स्टील इत्यादि उद्योगों से जुड़े करोड़ों भारतीयों का भविष्य टिका हुआ था।

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2 नवंबर को बैंकाक में पहुंचते ही सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने थाइलैंड में रहने वाले लाखों भारतीयों से सीधा संवाद किया। यह पहला अवसर था जब देश का प्रधानमंत्री थाइलैंड में रह रहे भारतवंशियों से बातचीत किया। यह भावनाओं को लबरेज कर देने वाला कार्यक्रम था। ‘स्वस्दी पीएम मोदी’ में प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम की मर्यादा और भगवान बुद्ध की करुणा हमारी साझी विरासत है। करोड़ों भारतीयों का जीवन जहां रामायण से प्रेरित होता है, वही दिव्यता थाईलैंड में रामातियन की है। भारत की अयोध्या नगरी थाईलैंड में अयुथ्या हो जाती है। जिन नारायण ने अयोध्या में अवतार लिया, उनके पवित्र वाहन गरुड़ के प्रति थाईलैंड में श्रद्धा है। हम भावना के स्तर पर भी बहुत नजदीक हैं। जैसे आपने मुझे कहा, स्वस्दी मोदी। यह संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ है, सु+अस्ति यानी कल्याण, आपका स्वागत हो। पिछले 5 साल की उपलब्धियों से विश्वभर में रहने वाले मेरे भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने 03 नवंबर और 04 नवंबर को भारत -आशियान शिखर सम्मेलन के कई कार्यक्रमों को संबोधित किया। इस व्यस्त 35 वें भारत-आशियान शिखर सम्मेलन के अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी ने थाइलैंड के प्रधानमंत्री, जापान के प्रधानमंत्री, सिंगापुर के प्रधानमंत्री, म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू के अतिरिक्त अन्य देशों के राष्ट्रध्यक्षों से द्विपक्षीय मुलाकात की।
04 नवंबर को भारत-आशियान शिखर सम्मेलन के तहत हुए तीसरे RCEP बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आरसीईपी समझौते को लेकर चल रही वार्ताओं में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों और चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है। इसके मद्देनजर भारत ने इससे अलग रहने का फैसला किया है। पीएण मोदी ने कहा, ”आरसीईपी करार का मौजूदा स्वरूप पूरी तरह इसकी मूल भावना और इसके मार्गदर्शी सिद्धान्तों को परिलक्षित नहीं करता है। इसमें भारत द्वारा उठाए गए शेष मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक समाधान नहीं किया जा सका है। ऐसे में भारत के लिए आरसीईपी समझौते में शामिल होना संभव नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”भारत व्यापक क्षेत्रीय एकीकरण के साथ मुक्त व्यापार और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पक्षधर है। आरसीईपी वार्ताओं की शुरुआत के साथ ही भारत इसके साथ रचनात्मक और अर्थपूर्ण तरीके से जुड़ा रहा है। भारत ने आपसी समझबूझ के साथ ‘लो और दो की भावना के साथ इसमें संतुलन बैठाने के लिए कार्य किया है।
पीएम मोदी ने कहा, ”जब मैं आरसीईपी करार को सभी भारतीयों के हितों

से जोड़कर देखता हूं, तो मुझे सकारात्मक जवाब नहीं मिलता। ऐसे में न तो गांधीजी का कोई जंतर और न ही मेरी अपनी अंतरात्मा आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति देती है।
इस तरह से देश को शक्तिशाली नेतृत्व देने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार अपने दृढ़ निर्णय से भारत के भविष्य को सुरक्षित रखते हुए वर्तमान की चुनौतियों के लिए रास्ता निकाला।

    प्रधानमंत्री मोदी की ग्यारहवीं विदेश यात्रा

28- 29 अक्टूबर, 2019, सऊदी अरब 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अक्टूबर को अपनी दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे। रियाद के किंग खालिद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत गवर्नर फैसल अल सऊद ने किया।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विशेष अतिथि होने के कारण उन्हें किंगडम में ठहराया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 29 अक्टूबर से शुरु होने वाले सऊदी अरब के बहुचर्चित सालाना वित्तीय सम्मेलन को संबोधित करने के लिए विशेष रुप से आमंत्रित किया गया। इस वार्षिक सम्मेलन ‘फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम’ को ‘दावोस इन द डेजर्ट’ भी कहा जाता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य सऊदी अरब की तेल आधारित अर्थव्यवस्था को विविध रूप देने में मदद के लिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना है। सऊदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए भारत का पूरा सहयोग चाहता है और भारत अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सऊदी अरब से निवेश का सहयोग चाहता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है। इससे पहले वह वर्ष 2016 में अरब की यात्रा पर गये थे।  इस साल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस भी भारत दौरे पर आए थे। पिछले कुछ सालों से दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। आज सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। सऊदी अरब ने भारत के पेट्रो केमिकल, रिफाइनिंग, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा क्षेत्र में करीब 100 अरब डॉलर के निवेश करने की घोषणा पहले ही कर चुका है।
इस व्यापारिक रिश्ते को मजबूत करने के लिए 29 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भारत-सऊदी अरब काउंसिल बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। रणनीतिक साझेदारी के लिए बनी इस काउंसिल की अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री और किंग सलमान करेंगे। इसके जरिए सरकार टू सरकार मैकेनिज्म बनाया जाएगा, जो दोनों देशों के बीच विकास, रणनीतिक समझौतों को आगे बढ़ाएगा। सऊदी अरब से पहले भारत ने इस प्रकार का समझौता तीन और देशों के साथ किया है, जिसमें जापान, रूस और अमेरिका शामिल हैं। सऊदी अरब चौथा देश है, जिसके साथ भारत ने ये समझौता किया है।
29 अक्टूबर को ही प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सौद से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर बातचीत की।

               प्रधानमंत्री मोदी की दसवीं विदेश यात्रा

21- 27 सितंबर, 2019, अमेरिका 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में पद ग्रहण करने के बाद पहली बार अमेरिका का दौरा किया। पीएम मोदी 21 से 27 सितंबर तक अमेरिका के दौरे पर रहे। यह दौरा ‘बेहद सफल’ रहा। इस दौरान पीएम मोदी ने जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और दुनिया को संदेश दिया, उससे एक वैश्विक नेता के रूप में उनकी छवि और मजबूत हुई।

27 सितंबर: न्यूयॉर्क : अमेरिकी दौरे के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में 17 मुद्दों पर मजबूती से भारत का पक्ष रखा। जहां पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने आतंक को पालने-पोसने वाले और दोहरा मापदंड अपनाने वाले देशों को दो टूक संदेश दिया, वहीं अन्य देशों को आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिए हैं। हमारी आवाज में आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता और आक्रोश दोनों हैं। आतंकवाद मानवता और दुनिया के लिए चुनौती हैं।

वहीं जलवायु परिवर्तन, सिंगल प्लास्टिक यूज के अलावा भारत में चल रहे स्वचछता अभियान, स्वास्थ्य कार्यक्रमों का जिक्र करके स्पष्ट संदेश दिया कि भारत एक देश के रूप में अपनी प्राथमिकताएं अपने लोगों का कल्याण और विश्व कल्याण समझता है। भारत दुनिया की चुनौतियों का सामना करने में न सिर्फ सक्षम है बल्कि वह उसका नेतृत्व करने का माद्दा भी रखता है।

UNGA में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया। अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कूटनीतिक जाल बिछाया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उसमें फंंस गए और उनकी सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। अमेरिका में ही इमरान खान को मानना पड़ा कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के भारत के फैसले को ज्यादातर देशों ने समर्थन किया है और पाकिस्तान को किसी भी मंच पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग नहीं मिल पाया है। इमरान खान को ट्रंप से भी निराशा हाथ लगी।

26 सितंबरः न्यूयॉर्क : कश्मीर मुद्दे पर अपने मित्र देश पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे तुर्की को प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीतिक भाषा में बेहद करारा जवाब दिया। पीएम मोदी ने दो बेहद छोटे, लेकिन तुर्की के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले देशों आर्मेनिया और साइप्रस के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मुलाकात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच आतंकवाद, व्यापार समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा भी की गई। दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह और इसकी महत्ता पर चर्चा की।

25 सितंबरः न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने आतंकवाद से निपटने को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई। ट्रंप ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी इस्लामी आतंकवाद से निपटने में सक्षम हैं और वह इसका समाधान जरूर करेंगे। इसके साथ ही ट्रंप ने पीएम मोदी को ‘फादर ऑफ इंडिया’ बताया। ट्रंप ने कहा कि पीएम मोदी भारत में अमेरिकी रॉकस्टार एलविस प्रेस्ली की तरह ही लोकप्रिय हैं। मैं पीएम मोदी और भारत को बहुत पसंद करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूयार्क में कैरेबियन देशों के नेताओं के साथ इंडिया-कैरिकॉम की बैठक में हिस्सा लिया। यह न्यूयॉर्क में पहला भारत-कैरिबियाई नेता शिखर सम्मेलन था। इस बैठक में 15 कैरेबियाई देशों के नेताओं ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूयॉर्क में 20 क्षेत्रों से संबंद्ध उद्योगों के वैश्विक प्रमुखों के साथ एक विशेष गोलमेज चर्चा की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की बड़ी कंपनियों के सीईओ से व्यापार के लिए अनुकूल भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। 

24 सितंबरः न्यूयॉर्क : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत में पचास करोड़ लोगों को स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार को 130 करोड़ भारतीयों को समर्पित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में महात्मा गांधी की 150वी वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान 50 किलोवाट के ‘गांधी सोलर पार्क’ का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिज़नेस फोरम को संबोधित किया। उन्होंने भारत के विकास के लिए अहम 4 फैक्टरों के बारे में बताते हुए कहा कि डेमॉक्रेसी, डेमॉग्रफी, डिमांड और डिसाइसिवनेस के चलते हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो आपको भारत आना चाहिए।

23 सितंबरः न्यूयॉर्क : प्रधानमंत्री मोदी ने यहां जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि अब धरती की सेहत पर बात नहीं बल्कि काम करने का वक्त आ गया है। पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मौजूदा खतरे से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से प्राकृतिक आपदा प्रबंधन से जुड़ने का आह्वान किया।

22 सितंबरः ह्यूस्टन : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में पचास हजार से अधिक लोगों को संबोधित किया। जब पीएम मोदी बोल रहे थे तो माहौल में चमत्कार हो रहा था। पीएम मोदी ने बदलते भारत की तस्वीर पेश की। इस दौरान मोदी-ट्रंप की जुगलबंदी खूब दिखने को मिली। अपने संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को अमेरिका का करीबी सहयोगी बताया। 

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में कई परंपराएं टूटीं। ऐसा पहली बार हुआ,जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘साझा प्रतीक चिन्ह’ वाले मंच से भाषण दिया। अमेरिकी प्रेसिडेंट न्यूयॉर्क से बाहर किसी देश के प्रधानमंत्री से मिले। दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों का पहली बार संयुक्त मेगा रैली हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीनेटरों के साथ ऑडिएंस में बैठकर भाषण सुना। इस कार्यक्रम की जहां दुनिया भर में चर्च हुई, वहीं इसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी सकारात्मक असर डाला। 

21 सितंबरः ह्यूस्टन: प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन में अमेरिका की 17 बड़ी ऊर्जा कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की। इन कंपनियों के अधिकारियों से मिलकर प्रधानमंत्री मोदी ने देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए दीर्घकालीन व्यापारिक संबंध बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में इसके पहले कभी भी इतनी बड़ी पहल नहीं हुई है। इससे न केवल हमारी तेल-गैस की आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि व्यापार संतुलन बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी। दूसरी ओर भारत को भी अमेरिका के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने से काफी फायदा है। वह इसका सहारा लेकर तेल बेचने वाले देशों से मोलभाव कर सकता है और अपनी शर्तें मनवा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऊर्जा का सहारा लेकर अमेरिका से अपने रिश्ते और मजबूत करने का एक ठोस जरिया ढूंढ़ा है।

              प्रधानमंत्री मोदी की नौवीं विदेश यात्रा

4-5 सितंबर, 2019, रूस 

ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 4 से 5 सितंबर,2019 तक रूस के दो दिवसीय दौरे पर रहे। रूस और भारत की दोस्ती में 4 सितंबर को उस समय एक नया अध्याय जुड़ा, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच रक्षा से लेकर गगनयान तक 13 बड़े समझौते हुए। रूस के पोर्ट टाउन व्लादिवोस्तोक में रूस और भारत के डेलिगेशन के बीच 20वें राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद दोनों देशों ने रक्षा, तकनीक, एनर्जी से लेकर स्पेस मिशन तक अहम समझौते किए। रूस ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट ऐंड्रू द अपोस्टल’ देने का ऐलान किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि स्पेस में हमारा लंबा सहयोग नई ऊंचाइयों को छू रहा है। गगनयान यानी भारतीय ह्यूमन स्पेस फ्लाइट के लिए भारत के ऐस्ट्रॉनॉट्स रूस में ट्रेनिंग लेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस दौर के आखिरी दिन 05 सितंबर को पांचवें ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को चीफ गेस्ट के रूप में संबोधित किया। इस दौरान पीम मोदी ने पूरे विश्व के सामने भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने फोरम को संबोधित करते हुए कहा की भारत, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने पूर्वी हिस्से में विकास के लिए एक अरब डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट देने का ऐलान किया। भारत पहला देश है जिसने यहां पर अपना दूतावास खोला है। प्रधानमंत्री मोदी रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र (फार ईस्ट रीजन) की यात्रा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री ने पुतिन को अपना अभिन्न मित्र बताते हुए कहा कि ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम के लिए उनसे मिला निमंत्रण बेहद सम्मान का विषय है।


             प्रधानमंत्री मोदी की आठवीं विदेश यात्रा

25-27 अगस्त, 2019,  बियारित्‍ज,फ्रांस 
जी-7 के शिखर सम्‍मेलन

भारत ने जी 7 देशों का सदस्य ना होने के बावजूद इस सम्मेलन में भाग लिया, इसका सबसे बड़ा कारण है फ्रांस और भारत की बढ़ती दोस्ती। प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के निमंत्रण पर पहुंचे।

जी 7 समूह दुनिया के सात विकसित राष्ट्रों का एक समूह है, इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इन 7 देशों का दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी पर कब्जा है।

जी 7 देशों के समूह सम्मेलन में पीएम मोदी को आमंत्रित किया जाना दुनिया में भारत की बढ़ती पहचान को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ,कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष को कष्ट न करने का संदेश देकर अमेरिका को इस द्विपक्षीय मुद्दे से दूर रहने का संकेत दिया।

               प्रधानमंत्री मोदी की सातवीं विदेश यात्रा

23-25 अगस्त 2019, यूएई और बहरीन

कूटनीतिक दृष्टि से भारत के लिए यूएई और बहरीन खाड़ी के दो प्रमुख देश हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन दोनों ही देशों के साथ रिश्तों को और मजबूत करने के लिए यात्रा की।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। पीएम मोदी को यह सम्मान भारत और यूएई के आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया। यूएई के संस्थापक पिता शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के नाम पर यह देश हर साल ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ सम्मान देता है। इस साल यूएई शेख जायद का शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस कारण भी प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार मिलने के खास मायने हैं।

यूएई की यात्रा के बाद 24 अगस्त प्रधानमंत्री मोदी बहरीन पहुंचे। बहरीन की यात्रा करने वाले नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। 25 अगस्त को क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमाद बिन ईसा अल खलीफा से प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात की और क्राउन प्रिंस ने उन्हें ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे समय में ये दोनों सम्मान मिले, जब पाकिस्तान कश्मीर से धारा 370 हटाने का विश्व स्तर पर भारत का विरोध कर रहा था।

              प्रधानमंत्री मोदी की छठी विदेश यात्रा

22 अगस्त, 2019, फ्रांस

भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी बहुत ही मजबूत है। फ्रांस ने आतंकवाद की लड़ाई में भारत का विश्व के हर मंच पर साथ दिया है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस की यह यात्रा हर दृष्टि से महत्वपूर्ण रही।
इस दौरान प्रधान मंत्री मोदी की फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत हुई। फ्रांस ने भारत को 36 और राफेल लड़ाकू विमानों को देने का समझौता किया।

                  प्रधानमंत्री मोदी की पांचवीं विदेश यात्रा

17-18 अगस्त, 2019 भूटान यात्रा

यात्रा का महत्व-
भारत की ‘पहले पड़ोस’ की नीति पर काम करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान का दो दिवसीय दौरा किया। भूटान पहला देश था, जिसकी यात्रा साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद की थी। लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूटान नहीं गए थे। डोकलाम में चीन और भारत के बीच तल्ख हुए रिश्ते के बाद से ही प्रधानमंत्री ने भूटान का दौरा नहीं किया था। भूटान के प्रधानमंत्री त्सरिंग ने भी नवंबर-2018 में सरकार बनाने के बाद अपनी पहली यात्रा भारत ही की थी। इसी के साथ उन्होंने मई में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लिया था।

यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान में सिमकोझा जोंग में खरीदारी कर रुपे कार्ड लॉन्च किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान’ में युवा भूटानी छात्रों को संबोधित किया। दोनों देशों ने अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए 10 सहमति समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। इनमें अंतरिक्ष अनुसंधान, विमानन, आईटी, ऊर्जा और शिक्षा इत्यादि समझौते शामिल हैं। भारत ने भूटान के सामान्य लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एलपीजी की आपूर्ति को 700 से बढ़ाकर 1000 मिट्रिक टन प्रतिमाह करने का फैसला लिया। भूटान में दोनों देशों के सहयोग से हाइड्रो पॉवर उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट को पार कर आगे बढ़ गयी। भूटान में दक्षिण एशिया उपग्रह के इस्तेमाल हेतु इसरो के सहयोग के साथ विकसित ‘सैटकॉम नेटवर्क’ एवं ‘ग्राउंड अर्थ स्टेशन’ का भी संयुक्त तौर पर शुभारंभ किया गया।

                   प्रधानमंत्री मोदी की चौथी विदेश यात्रा

27-29 जून 2019, जापान
भारत जापान वार्षिक सम्मेलन
जी-20 शिखर सम्मेलनयात्रा का महत्व-
सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान की अपनी पहली यात्रा की थी और अब तक उनकी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ 12 बार बैठक हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-जापान के बीच वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो पहुंचे थे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई और द्विपक्षीय रिश्तों को कैसे और मजबूत बनाया जाए इस पर भी मंत्रणा हुई। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ओशाका में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह छठा अवसर था जब प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में शामिल हुए। भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वर्ष 2022 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

यात्रा का प्रभाव-
भारत और जापान ने आपस में 75 अरब डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया। यह सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था समझौतों में से एक है। इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

जी 20 समिट से अलग भारत, जापान और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई, जिसे JAI नाम से जाना गया। इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी के साथ चीन और रूस के नेताओं की अलग से बैठक हुई। इस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मात्र एक ऐसे नेता थे, जिनको दोनों ही गुटों का विश्वास मिला है।

                      प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी विदेश यात्रा

13-14 जून 2019, किर्गिस्तान
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलनयात्रा का महत्व-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए 13 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंचे। लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से दोबारा जीतने के बाद पहले बहुपक्षीय सम्मेलन में भाग लिया।यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन से पहले किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सोरोनबे जीनबेकोव से मुलाकात की। SCO समिट के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने बिना नाम लिए आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कोई मुलाकात नहीं की, जबकि विश्व के अन्य सभी नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें हुईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंका आदि नेताओं से मुलाकात की।

                    प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी विदेश यात्रा

09 जून 2019, श्रीलंका

यात्रा का महत्व-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2015 में श्रीलंका की अपनी ऐतिहासिक यात्रा की थी, जब 28 साल के अंतराल के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। इस तरह से पिछले कुछ सालों में भारत श्रीलंका के बीच रणनीतिक संबंध स्थापित हुए हैं। इसी सबंध को और प्रगाढ़ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी 9 जून, 2019 को एक दिन के दौरे पर श्रीलंका पहुंचे।

यात्रा का प्रभाव-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व के पहले नेता थे, जिसने 21 अप्रैल, 2019 को ईस्टर के दिन कोलंबो के सेंट एटोंनी चर्च में हुए बम धमाकों के बाद श्रीलंका का दौरा किया। यह दौरा मूलरूप से श्रीलंका के साथ आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाना था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका में वर्तमान सुरक्षा स्थिति में सामान्य स्थिति के संबंध में एक मजबूत संदेश देने का प्रयास किया, जिससे श्रीलंका में विदेशी पर्यटकों और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

                    प्रधानमंत्री मोदी की पहली विदेश यात्रा

08 जून 2019, मालदीव

8 सालों में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री की मालदीव की यह यात्रा थी। हालांकि पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति सोलेह के शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं पहुंचे थे, लेकिन ये औपचारिक यात्रा नहीं थी।

यात्रा का महत्व-
हिंद महासागर में 1200 द्वीपों वाले मालदीव का भारत के लिए महत्व का अंदाजा इस बात से लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी दूसरे कार्यकाल में अपनी पहली विदेश यात्रा पर मालदीव पहुंचे। मालदीव रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए काफी अहम है क्योंकि इसके समुद्री रास्ते से भारत को उर्जा की सप्लाई होती है। वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह से पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में वहां चीन का प्रभुत्व बढ़ गया था, जिससे भारत की सामरिक रणनीति कमजोर हो रही थी। लेकिन नवंबर 2018 में राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत की सामरिक रणनीति एक बार फिर जीवंत हो उठी है।

यात्रा का प्रभाव-
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मालदीव का सर्वोच्च सम्मान ‘रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन’ से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव की संसद मजलिस को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद सोलेह को भारतीय वर्ल्ड कप क्रिकेट टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर वाला बल्ला भेंट किया। राष्ट्रपति सोलेह क्रिकेट प्रेमी हैं और इसी दौरान इग्लैंड में क्रिकेट विश्व कप हो रहा था।

इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को कई सौगात दीं, जिनमें मालदीव में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण, विभिन्न द्वीपों पर पानी और सफाई की व्यवस्था,छोटे और लघु उद्योगों के लिए वित्त व्यवस्था, बंदरगाहों का विकास, कांफ्रेंस और कम्युनिटी सेंटर का निर्माण, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं, छात्रों के लिए फेरी की सुविधा आदि शामिल थी। इसके साथ ही अडू में बुनियादी ढांचा विकास और ऐतिहासिक जुमा मस्जिद के निर्माण में सहयोग का वादा भी किया। भारत ने मालदीव को करीब डेढ़ अरब डॉलर की वित्तीय मदद भी दी। अब तक मालदीव पर चीन का तीन अरब डॉलर का कर्ज है।

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