Home विचार विरोधी विचारों को नीचा दिखाने का सिलसिला है पुराना…

विरोधी विचारों को नीचा दिखाने का सिलसिला है पुराना…

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मीडिया किसी भी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, लेकिन भारतीय लोकतंत्र की विडंबना देखिये… जिस राज्य के दर्द या खुशी को भारतीय मीडिया ने 70 साल में कभी खबर नहीं बनाया वहां आम लोगों ने एक मूर्ति की क्या तोड़ दी उसे 24 घंटे की राष्ट्रीय समस्या बना दिया गया। इस मीडिया का दोगला चरित्र तब भी जाहिर होता है जब हमारे सेनानायकों के सम्मान के लिए बने अमर जवान ज्योति स्मारक को तोड़ दिया जाता है और उसपर ये जमात चुप रहता है, लेकिन निरंकुश और क्रूर लेनिन की मूर्ति पर पूरे देश में बवाल खड़ा कर दिया जाता है।

दरअसल आज मीडिया का बड़ा हिस्सा वही कर रहा है जो उसके एजेंडे में फिट बैठता है। त्रिपुरा में मूर्ति टूट की घटना इसी एजेंडे का प्रकटीकरण है और यह साफ जाहिर करता है कि वामपंथी जमात ने इसे अपनी गिरफ्त में ले रखा है। 14 अगस्त, 2012 को मुंबई में आजाद मैदान के इस दृश्य को देखिये और वामपंथी जमात की चुप्पी का सबब समझिये। 

बहरहाल चार मार्च, 2018 को त्रिपुरा से शुरू हुई मूर्ति तोड़ने की राजनीति अब तेजी से देश के बाकी हिस्सों में भी फैल गई है। तमिलनाडु में पेरियार, कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, यूपी में डॉ अम्बेडकर और अब केरल में महात्मा गांधी की मूर्तियां या तो तोड़ी गईं या फिर उनपर कालिख पोत दी गई।

जाहिर है मूर्तियां तोड़ना कुछ उन्मादी लोगों की करतूत भर नहीं है बल्कि विरोधी विचारों को नीचा दिखाने और अपने खेमे को खुश करने का नया राजनीतिक तरीका बन गया है।  इससे पहले भी मूर्तियां तोड़ने और उसपर कालिख पोतने का सिलसिला चलता आ रहा है, लेकिन तब यही मीडिया खामोश रहा था। बहरहाल आइये हम नजर डालते हैं मूर्ति तोड़ने की कुछ घटनाओं पर-

21 जून 2008- छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव का गोपालपुर – बाबा साहेब की मूर्ति को चप्पल की माला पहनाई गई। 

10 मार्च 2011- तेलंगाना की मांग को लेकर आयोजित ‘Million March To Hyderabad’  के दौरान तेलगू महापुरुषों की 16 मूर्तियों को खराब या तोड़ा गया और कुछ को हुसैन सागर में फेंक दिया गया।

26 जनवरी 2012-  आंध्र प्रदेश में राजमुंदरी का डोलेश्वरम- डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर की मूर्ति को तोड़ा गया।

28 जनवरी 2012-  26 जनवरी की घटना की प्रतिक्रिया में  कांग्रेसी नेता एन जी रंगा एवं  वंगावीति रंगा की मूर्तियों को गूटूंर के तेनाली में को खराब किया गया।

23 जनवरी 2012- आंध्र प्रदेश के अमलापुरम के अलग-अलग गांवों में पांच दलित महापुरुषों की मूर्तियों को खराब किया गया।

26 जुलाई 2012- उत्तर प्रदेश के लखनऊ में  मायावती की मूर्ति से सिर तोड़ डाला गया।

05 अगस्त 2012-  उत्तर प्रदेश के जौनपुर, मऊ और सीतापुर में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडक की मूतियों को खराब किया गया।

02 अक्टूबर 2012- हिमाचल प्रदेश, शिमला के रिज में महात्मा गांधी की मूर्ति को खाली बोतलों की माला पहनाई गई।

14 जून 2015- पंजाब के फगवाड़ा, फलाही में  बाबा साहेब की मूर्ति को खराब किया गया।

01 दिसंबर 2016-  उत्तर प्रदेश के संत रविदास नगर में बाबा साहेब की मूर्ति को खराब किया गया।

30 जून 2017-  ब्रिटेन की राजधानी लंदन में महात्मा गांधी की मूर्ति को ‘Republic or Lynching’ की तख्ती पहनाई गई।

10 नवंबर 2017-  हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर गांधी चौक पर महात्मा गांधी की मूर्ति को खराब किया गया।

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