Home समाचार जेडीयू नेताओं के बदले बयान, रमई राम हो गए पलटू राम

जेडीयू नेताओं के बदले बयान, रमई राम हो गए पलटू राम

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17 जुलाई को जब जेडीयू के रमई राम लालू प्रसाद से मिलने के बाद निकले तो अंदाज बदला-बदला था। उनसे मीडिया कर्मियों ने पूछा कि चार दिनों के अल्टीमेटम का क्या हुआ?… पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाए फिर अल्टीमेटम वाली बात पर पलटी मार दी। उन्होंने कहा कि हमने चार दिन का कोई अल्टीमेटम नहीं दिया, बल्कि हमने राजद को चार दिन में सफाई देने की बात कही थी। तो क्या रमई राम की इस पलटी के साथ ही बिहार की राजनीति भी फिर से पलट गई है? क्या महागठबंधन पर से टूट का खतरा फिलहाल टल गया है?

महागठबंधन बचाना बन गई मजबूरी
एक तरफ नीतीश की इमेज है तो दूसरी तरफ लालू प्रसाद का सत्ता से प्यार। एक तरफ भ्रष्टाचार है तो दूसरी तरफ करप्शन पर जीरो टॉलरेंस वाले नीतीश कुमार। जेडीयू कहता है कि अपराधी कोई हो बख्शा नहीं जाएगा। इससे कहा जा सकता है कि जेडीयू और आरजेडी के राजनीतिक सिद्धातों और आचरण में बड़ा अंतर है। दोनों पार्टियां एक दूसरे को जान भी रही हैं, लेकिन यह भी तय है कि सत्ता की मजबूरी है, इसमें राजनीतिक समझौते तो करने ही होंगे।

लालू के आगे नतमस्तक हो गए नीतीश
लालू प्रसाद यादव के मंत्री पुत्रों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव की बेनामी सम्पति उजागर हो गई है। लालू एंड फैमिली के अन्य मेंबर, बेटी मीसा भारती से आयकर विभाग की पूछताछ चल रही है। छापे पर छापे भी डाले जा रहे हैं। लालू प्रसाद की 2006 में अघोषित 46 लाख की सम्पत्ति 10 वर्षों में बढ़ कर एक हजार करोड़ रुपये हो गई है। लेकिन नीतीश कुमार की सरकार उसे जब्त करने या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का झूठा दावा
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है। लेकिन नीतीश कुमार की सरकार चुप्पी लगाए बैठी है। जाहिर है सवाल उठ रहे हैं कि क्या भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जीरों टॉलरेंस का दावा महज दिखावा बनकर रह गया है। लालू प्रसाद यादव एंड फैमिली आयकर विभाग के शिकंजे में बुरी तरह फंसी हुई है। लगातार छापेमारी से साफ है कि लालू फैमिली पर लग रहे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं। जाहिर है जेडीयू की खामोशी और नीतीश कुमार कि चुप्पी सवालों के घेरे में है।

चेहरा बचाने की कोशिश में सिद्धांतों की बलि
तेजस्वी की कुर्सी खतरे की बात कही जा रही है, लेकिन यह भी एक तथ्य सामने आ रहा है कि महगठबंधन बचा रहेगा। दरअसल ये लड़ाई राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की नहीं बल्कि महज इमेज और अहं की है। हालांकि एक विकल्प ये है कि तेजस्वी को इस्तीफा देने को कहा जाए और लालू  परिवार से किसी अन्य को डिप्टी सीएम बनवा दिया जाए। लालू की बेटी रोहिणी यादव का नाम भी चर्चा में है। बहरहाल अगर ऐसा होता है तो यह नीतीश कुमार के लिए दुविधाजनक जरूर होगा और उनपर समझौतावादी होने का आरोप लगेगा।

भ्रष्टाचारियों का साथ अच्छा है…
नीतीश और लालू का अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहने की बात भले ही दिख रही हो। लेकिन किसी भी सूरत में ये दोनों ही महागठबंधन टूटने नहीं देना चाहते। इसलिए हो सकता है कि तेजस्वी का इस्तीफा भी हो जाए और अपनी साख बचाने के लिए आरजेडी के सभी मंत्री भी इस्तीफा दे दें और नीतीश को बाहर से समर्थन जारी रखें। बावजूद इसके नीतीश कुमार के सामने संकट उनकी अपनी साख को लेकर भी है, क्योंकि सरकार तो भ्रष्ट साथियों के सहयोग से ही चलाना पड़ेगा।

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