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मोदी सरकार का विजन आया काम, खेलों में बढ़ा है देश का मान

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सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार देश में खेल के क्षेत्र में विकास के लिए मिशन मोड में जुटी हुई है। इसके लिए एकीकृत योजना को लागू करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। अभी से 2020, 2024 और 2028 ओलंपिक खेलों का लक्ष्य सामने रखकर खेल नीतियों को लागू किया जा रहा है। दरअसल तीन साल पहले तक देश में क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलों के प्रति उत्साह की कमी थी। इसका परिणाम ये हुआ कि 125 करोड़ की जनसंख्या होते हुए भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हमारा प्रदर्शन उत्साहवर्धक नहीं रहा। जब से मोदी सरकार आई है विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं के आयोजन से लेकर युवाओं में खेल की प्रतिभा के चयन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देने के लिए व्यवस्था को दुरुस्त किया गया है। बीते तीन सालों में मोदी सरकार ने युवाओं में खेल के प्रति रुचि पैदा करने और खेलों के विकास के लिए जो तमाम तरह के कार्य किये हैं, वो इस प्रकार हैं-

टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना
राष्ट्रीय खेल विकास कोष से शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन में सुधार करके पदक तालिका में अच्छा स्थान प्राप्त करना है। इसके लिए उन खेलों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है जिसके लिए देश में अच्छी प्रतिभाएं हैं। ये खेल हैं- एथलेटिक्‍स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, मुक्‍केबाजी, कुश्‍ती, भारोत्तोलन और निशानेबाजी। इस योजना के तहत चयन किए गए खिलाडियों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से संपन्न संस्थानों में प्रशिक्षण देने के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। 2016 ओलंपिक खेलों के लिए 106 खिलाडियों का चयन किया गया था, जिसके लिए सरकार ने 185 करोड़ रुपये दिये थे। लेकिन 2016 रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इसको लेकर सरकार में गहन विचार-विमर्श हुआ और 2020, 2024 और 2028 ओलंपिक खेलों के लिए मिशन मोड में तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं।

एथलेटिक्‍स में विदेशी कोचों की नियुक्ति
एथलेटिक्स में युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए विदेशी कोचों की नियुक्तियां की गई हैं। विदेशी कोचों और सपोर्ट स्‍टाफ की नियुक्तियां 2020 ओलंपिक तक के लिए की गई हैं। इस दौरान उनके कार्य प्रदर्शन की वार्षिक समीक्षा भी होगी। ये कोच हैं- दवे स्मिथ, ऑस्‍ट्रेलिया- रेस वॉकिंग, गलीना पी. बुखारीना,अमेरिका- 400 मीटर तथा 400 मीटर रिले, दमित्री किसलेव, रूस-मसाज, एलमीरा किसलेवा, रूस-मसाज।

ओलंपियनों को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बनाया
अगले तीन ओलंपिक्स के लिए खेलों के पर्यवेक्षकों की भूमिका में देश के पूर्व ओलंपियनों को शामिल किया गया है। ओलंपिक खेलों के तैयार हो रही कार्ययोजना में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। विभिन्न खेलों के लिए निम्न पर्यवेक्षक चुने गये हैं-

• एथलेटिक्स- पी. टी. ऊषा, अंजू बॉबी जॉर्ज
• तीरंदाजी- डॉ. संजीव कुमार सिंह
• बैडमिंटन- अपर्णा पोपट
• मुक्केबाजी- मेरीकॉम, अनिल कुमार
• हॉकी- जगबीर सिंह
• शूटिंग- अभिनव बिंद्रा
• टेनिस- सोमदेव बर्मन
• भारोत्तोलन- कर्णम मल्लेश्वरी
• कुश्ती- सुशील कुमार
• फुटबॉल- आई. एम. विजयन
• तैराकी- खजान सिंह
• टेबल टेनिस- कमलेश मेहता

खिलाड़ियों/ टीमों के चयन की कसौटी
अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में खिलाडियों और टीमों के चयन में अब तक हो रही मनमानी को रोकने के लिए 10 मार्च 2015 को नया मापदंड लागू कर दिया गया। इसके तहत ही अब खिलाडियों और टीमों का चयन हो रहा है। इसके तहत ओलंपिक खेलों, शीतकालीन ओलंपिक-एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई युवा खेल, राष्ट्रमंडल खेल, पैरा एशियाई खेलों जैसे आयोजनों को शामिल किया गया है। इसके अनुसार व्यक्तिगत स्पर्धाओं में खिलाड़ियों का प्रदर्शन खेल आयोजन शुरू होने से पहले की 12 महीनों की अवधि में छठे स्थान से कम नहीं होना चाहिए। जबकि टीम खेलों के लिए एक साल में आठवें रैंक से कम नहीं होना चाहिए।

पदक विजेताओं- प्रशिक्षकों की पुरस्कार राशि बढ़ाई गई
अंतरराष्ट्रीय खेलों में युवाओं का उत्साह बढ़ाने के लिए सरकार ने दी जाने वाली पुरस्कार राशि में बढ़ोत्तरी कर दी है। ओलंपिक खेलों के पदक विजेताओं के लिए पुरस्‍कार राशि को 50 लाख रुपये (स्‍वर्ण पदक), 30 लाख रुपये (रजत पदक) एवं 20 लाख रुपये (कांस्‍य पदक) से बढ़ाकर क्रमश: 75 लाख, 50 लाख एवं 30 लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह एशियाई खेलों और राष्‍ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं के लिए पुरस्‍कार राशि को 20 लाख रुपये (स्‍वर्ण पदक), 10 लाख रुपये (रजत पदक) एवं 6 लाख रुपये (कांस्‍य पदक) को बढ़ाकर क्रमश: 30 लाख, 20 लाख एवं 10 लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह बाकी प्रतियोगिताओं के लिए भी पुरस्कार राशि बढ़ा दी गई है।

खेल के बुनियादी ढांचे का विकास

राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज योजना—2014-15 के बजट में राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज योजना की शुरुआत की गई थी,इस योजना के लिए 50 करोड़ रुपये की भी व्यवस्था तुरंत कर दी गई थी। इस योजना के तहत देश के प्रत्येक विद्यालय से 8-12 वर्ष की आयु वाले बच्चों चुनकर प्रशिक्षित किया जाता है।

खेलो भारत – देश के युवाओं में खेलों के प्रति आर्कषण पैदा करने और खेलों के विकास के लिए यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत तहसील स्तर पर खेलों के बुनियादी ढांचे को विकसित किया जा रहा है और जिला एवं राज्य स्तर पर प्रतिभाओं को पोषित करके आगे बढाया जाएगा।

मिशन 11 मिलियन —प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत देश में फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। फीफा और एआईएफएफ के सहयोग से देश के 30 शहरों में शुरु किए जा रहे इस कार्यक्रम में 1.10 करोड़ बच्चों को शामिल करने की योजना है। इस कार्यक्रम के लिए सरकार ने 12.55 करोड़ रुपये का रकम जारी किया है।
राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय-मोदी सरकार ने 2014-15 के बजट में मणिपुर में एक राष्ट्रीय खेल विश्वविघालय खोलने की घोषणा की थी। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट भी दिया था। इस विश्विघालय का निर्माण कार्य थाउबल जनपद में 336.93 एकड़ पर चल रहा है। इस विश्विविघालय से देश एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों के युवाओं को कोचिंग, फीजियोथेरेपी, फिटनेस, खेल-प्रबंधन, खेल पत्रकारिता आदि क्षेत्रों में बीपीएड, एमपीएड आदि क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के अवसर मिलेगें।

जम्मू कश्मीर में खेल के बुनियादी ढांचे का विकास
मोदी सरकार ने अपने पहले ही बजट में जम्मू-कश्मीर में खेल के बुनियादी ढांचों के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये दिये थे। राज्य के युवाओं को जीवन के सकारात्मक पक्ष से जोड़कर विकास की मुख्यधारा में लाना सबसे महत्वपूर्ण काम है। इस योजना के तहत 70 करोड़ रुपये की लागत से 500 खिलाडियों के लिए खेल छात्रावास का निर्माण करना है। साथ ही जम्मू और कश्मीर के इनडोर स्टेडियम का विकास, 2 करोड़ रुपये की लागत से श्रीनगर के मानसबल में जन खेल केंद्र का निर्माण भी शामिल है। इसके अतिरिक्त राज्य में आठ स्थानों पर चार करोड़ रुपये की लागत से इनडोर स्पोर्टस कॉम्पलेक्स का निर्माण शामिल है। यही नहीं राज्य में गांव के स्तर पर भी खेल प्रतियोगिताओं को आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार ने पांच करोड़ रुपये अलग से दिए हैं।

उषा स्कूल ऑफ एथलीट
उड़न परी पीटी उषा केरल में उषा स्कूल ऑफ एथलीट खोलने जा रही हैं। इसका उद्घाटन इसी साल 15 जून को होना है। इसमें नवोदित एथलीटों को प्रशिक्षित किया जाएगा। केरल के कोझीकोड जिले के किनालूर में 30 एकड़ क्षेत्र में यह अकादमी बन कर तैयार हो रही है। इसके लिए जमीन उन्हें केरल सरकार से मिली है और केंद्र सरकार की ओर से 8.5 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यहां 8 लेन का सिंथेटिक ट्रैक बनाया गया है। इसके अलावा यहां एक 40 बेड का हॉस्टल भी है।

फीफा अंडर -17 विश्व कप
इस साल 06 अक्टूबर से लेकर 28 अक्टूबर, के बीच देश के 6 शहरों दिल्ली, नवी मुंबई, कोलकाता, गोवा, कोच्चि और गुवाहाटी में फीफा अंडर-17 विश्व कप खेला जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मार्च, 2017 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में फीफा अंडर-17 वर्ल्‍ड कप का उल्‍लेख किया करते हुए कहा था कि, यह फुटबॉल को सबसे आगे ले जाएगा और युवाओं को खेलों से जोड़ने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा।

12 वां दक्षिण एशियाई खेल
फरवरी 2016 में गुवाहाटी और शिलॉन्ग में 12 वें दक्षिण एशियाई खेलों काआयोजन किया गया। देश को इन खेलों में रिकॉर्ड 308 पदक मिले। भारत ने 2010 में आयोजित इन खेलों के दौरान मात्र 175 पदक ही जीते थे।

ब्रिक्स अंडर-17 फुटबॉल टूर्नामेंट
पहली बार पांच ब्रिक्स देशों के बीच संबंधों को मजबूत करन के लिए अंडर -17 फुटबॉल टूर्नामेंट का अक्टूबर 2016 में गोवा में खेला गया। सभी पांच ब्रिक्स देशों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया।

अंतरराष्ट्रीय खेलों में बेहतर रहा प्रदर्शन
खेल के क्षेत्र में सरकार के ध्यान पड़ने के बाद से खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। देश और विदेश में खिलाड़ियों को आधुनिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का परिणाम हुआ है कि 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों और इंचियोंन के एशियाई और पैरा एशियाई खेलों में प्रदर्शन पहले से काफी अच्छा रहा। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत 64 पदकों के साथ पांचवें स्थान पर और एशियाई खेलों में 57 पदकों के साथ आठंवें स्थान पर रहा।

पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी की पारदर्शिता नीति पर काम करते हुए साल 2017 से राष्ट्रीय युवा पुरस्कारों के चुनाव के लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। प्रत्येक वर्ष खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है।

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