Home समाचार सपा-बसपा का महागठबंधन टूटा, सच हुई पीएम मोदी की भविष्यवाणी

सपा-बसपा का महागठबंधन टूटा, सच हुई पीएम मोदी की भविष्यवाणी

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थोड़ा याद करिए चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कही हुई बातों को। उन्होंने कहा था कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही यूपी में महागठबंधन का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अलग-अलग प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद गठबंधन बिगड़ेंगे और बनेंगे। उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले बना महागठबंधन हो या फिर जम्मू एवं कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच का गठबंधन हो, आज दोनों का अस्तित्व खत्म सा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर बात सच साबित हुई है। यूपी में मायावती ने एकतरफा ऐलान कर दिया है कि होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता उमर अब्दुल्लाह के हवाले से शीर्ष स्रोतों का कहना है वे अब कांग्रेस के कोई गठबंधन नहीं करेंगे।

कांग्रेस का साथ छोड़ विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी एनसी
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाला है। क्योंकि बीते दिसंबर यानि 2018 के दिसंबर महीने से वहां राष्ट्रपति शासन लागू है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए नेशनल कान्फ्रेंस ने आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक नेशनल कान्फ्रेंस ने कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया है। सूत्रों का साफ कहना है कि चुनाव में साथ जाने का तो कोई सवाल ही नहीं है, उन्होंने चुनाव बाद भी गठबंधन पर सवाल लगा दिया है। कांग्रेस के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए नेशनल कान्फ्रेंस कांग्रेस के साथ चलने को तैयार नहीं है। पार्टी नेताओं का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस के साथ एनसी का चुनाव पूर्व कभी गठबंधन नहीं रहा है। इसलिए फारूक अब्दुल्लाह की पार्टी एनसी ने अगले विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है। निश्चित रूप से यह फैसला लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखकर ही लिया गया है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की छह लोकसभा सीटों में तीन भाजपा को और तीन एनसी को मिली है। राहुल गांधी के नेतृत्व में इस प्रदेश में भी कांग्रेस को एक सीट तक नहीं मिली है। इससे साफ है कि जिस प्रकार प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन रहा है उस कारण कोई उसके साथ हाथ मिलाना तो दूर अब हाथ झटकना शुरू कर दिया है।

माया-अखिलेश का परिणाम के 13वें दिन टूटा महागठबंधन
चुनाव प्रचार के दौरान जब पीएम मोदी कहा करते थे कि यह महागठबंधन नहीं बल्कि ठगबंधन है और चुनाव के बाद यह खटबंधन में बदल जाएगा तो किसी को विश्वास नहीं होता था। लेकिन आज चुनाव परिणाम आए 12 दिन ही हुए हैं कि यूपी में महागठबंधन का इतिश्री हो गया। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीम मायावती ने समाजवादी पार्टी से महागठबंधन तोड़ने का एकतरफ ऐलान कर दिया। मायावती का घमंड देखिये उन्होंने इस ऐलान से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से विचार-विमर्श करना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित महागठबंधन तोड़ने के ऐलान के साथ अकेले उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। वहीं जब इस बारे में सपा अध्यक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भी अकेले उपचुनाव लड़ेगी। यूपी में महागठंबधन टूटने के साथ यह साबित हो गया है कि इन लोगों की कोई वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं है। बस ये लोग किसी तरह सत्ता हथियाने के फिराक में रहते हैं ताकि जनता और पदेश का बेड़ा गर्क किया जा सके

अखिलेश और राहुल की बनी जोड़ी, जो टूट गई
यह पहला वाकया नहीं है जब इस प्रकार के अवसरवादी गठबंधन का यह हश्र हुआ हो। इससे पहले जब यूपी में विधानसभा चुनाव हुआ था, उस समय भी दो लड़कों का गठबंधन बना था। मोदी को रोकने के लिए अखिलेश और राहुल गांधी की जोड़ी मैदान में उतरे थे। लेकिन मोदी के आगे दोनों को मुंह की खानी पड़ी। मोदी के नेतृत्व में भाजपा को यूपी में इतना प्रचंड बहुमत मिला जो पहले कभी नहीं मिला था। भाजपा की जीती और यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सपा और कांग्रेस गठबंधन टूट गया।
देश में जब भी अवसरवादी गठबंधन हुए हैं उसका अंत निराशाजनक ही हुआ है। 2019 लोकसभा चुनाव में एक तो महागठबंधन कोई आकार नहीं ले पाया, दूसरा जो गठबंधन हुए भी वे अवसरवादी निकले। अपने स्वार्थ के लिए किए गए गठबंधन की उम्र सपा-बसपा गठबंधन जैसी छोटी होती है।

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