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कर्नाटक में तंगी से मर रहे हैं किसान, जनता के पैसों से अय्याशी कर रहे हैं सीएम सिद्धारमैया

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कांग्रेस गरीबों की बात जरूर करती है, लेकिन उसने इस नाम पर हमेशा गरीबों के साथ छलावा ही किया है। कर्नाटक के अय्याश मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ताजा हरकत ने कांग्रेस की इसी मानसिकता को एकबार फिर से उजागर कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक के सीएम को एक सरकारी कार्यक्रम में चांदी के बर्तनों में डिनर परोसा गया। जानकारी के मुताबिक 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री के लिए आयोजित इस डिनर पार्टी पर 10 लाख रुपये की लागत आई है।

चांदी की थाली में परोसा गया सिद्धारमैया के लिए खाना
खबरों के अनुसार कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कलाबुर्गी जिले में साधने समभ्रमा प्रोग्राम में शामिल पहुंचे थे। यह एक सूखाग्रस्त क्षेत्र है। यानी वहां पर आम जनता अक्सर दाने-दाने को मोहताज हो जाती है, लेकिन जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और वरिष्ठ अफसरों के लिए जो डिनर का इंतजाम किया था उसमें अय्याशी की झलक दिख रही थी। मसलन, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों को चांदी की थाली- कटोरी में खाना परोसा गया। सवाल उठता है कि जिस राज्य में जनता दो जून की रोटी के लिए तरस जाती हो, वहां जनता की कमाई को ऐसी अय्याशियों में उड़ाने का हक कैसे मिल सकता है।

मुख्यमंत्री के खाने पर उड़ाए जनता के 10 लाख रुपये
एक स्थानीय बीजेपी नेता ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक के किसानों को राज्य सरकार उनके पैदावार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं दे पा रही है, जिसके चलते वे आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। इस साल 11 मार्च तक ही राज्य में 821 किसान आत्महत्या कर चुके थे। ऐसे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के डिनर पार्टी पर 10 लाख रुपये फूंकने का क्या औचित्य है। इसके लिए बीजेपी ने सिद्धारमैया से किसानों से माफी मांगकर पहले उनकी समस्याओं को दूर करने की मांग की है।

इस डिनर में राज्य के सिंचाई मंत्री एम बी पाटिल, कलाबुर्गी जिले के प्रभारी मंत्री शर्मप्रकाश पाटिल, यादगिर जिले के प्रभारी मंत्री प्रियांक खड़गे, पूर्व मंत्री शर्नाबसप्पा दर्शनपुर और अलंद के विधायक बी आर पाटिल भी शामिल थे।बीजेपी ने ये भी आरोप लगाया है कि जिस रात मुख्यमंत्री और मंत्रियों के खाने पर लाखों रुपये फूंक दिए गए, उसी शाम मुख्यमंत्री की सभा में जनता को  प्लास्टिक के प्लेट में जो भोजन दिया गया उसमें से कीड़े निकल रहे थे।

चाय-बिस्किट और तौलियों पर 65 लाख से अधिक खर्च
आरटीआई के हवाले से यह तक बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अय्याशियों की सूची बड़ी लंबी है। जब से उन्होंने कुर्सी संभाली है, जनता के खजाने से अपना पेट भरने में लगे हुए हैं। साल 2013-14 में बिस्किट, चाय,कॉफी और मिनरल वॉटर पर 13.65 लाख रुपये उड़ा दिए। साल 2014-15 में भी बिस्किट, चाय, कॉफी और मिनरल वॉटर पर 11 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए। साल 2015-16 में भी इन्हीं सब पर 11 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर दिया। साल 2016 में यह खर्च साढ़े 11 लाख से भी ज्यादा बढ़ गया। जबकि 2017-18 में उन्होंने अबतक ही लगभग 12 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। यानी उन्होंने कुल मिलाकार केवल बिस्किट पर 22 लाख रुपये, चाय-कॉफी और पानी पर 38 लाख रुपये पानी की तरह बहा दिए हैं। यही नहीं सिर्फ 6 महीने के भीतर उनके तौलिये, तकिये के कवर और फूट मैट पर सरकारी खजाने को पौने पांच लाख रुपये का भार पड़ चुका है।

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