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मोदी सरकार की नीतियों से शहरों में किफायती मकानों की बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मोदी सरकार हर नागरिक को पक्का मकान देने के लिए जोर-शोर से जुटी है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक हर भारतीय के सिर पर पक्की छत का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के अलावा निजी सेक्टर में सस्ते और किफायती मकानों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियों में बदलाव किया गया है। इसी का असर है कि देश के शहरी इलाकों में किफायती मकानों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है।

नाइट फ्रैंक इंडिया की ‘इंडिया रियल इस्टेट’ नाम से जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में इस साल अब तक घर खरीदी में सर्वाधिक 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, यहां लोगों ने 19852 घर खरीदे हैं। वहीं देश के आठ प्रमुख शहरों के रियल इस्टेट सेक्टर में घरों की बिक्री पहली छमाही में चार फीसदी बढ़ी है। पिछले साल जहां इस दौरान 1.24 लाख घर खरीदे गए, वहीं इस साल इनकी संख्या 1.29 लाख रही है। घर खरीदने के मामले में दूसरे स्थान पर बंगलुरू रहा, यहां नौ फीसदी वृद्धि के साथ 28225 घर खरीदे गए।

रिपोर्ट के अनुसार डेवलपर्स के पास खाली पड़े घरों की संख्या 9 फीसदी घटी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पहले छह महीनों में नए घरों की बिक्री में भी 21 फीसदी का इजाफा हुआ। पिछली बार जहां इस अवधि में 91739 घर नए घर बिके इस बार 1,11,175 लाख नए घरों की बिक्री हुई। इतना ही नहीं मुंबई, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों में घरों की औसत कीमत में गिरावट आई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आम लोगों के अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए काफी काम किया है। डालते हैं एक नजर-

PMAY: समय से पहले पूरा होगा एक करोड़ घर निर्माण का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2022 तक देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया है। 2022 तक सभी के लिए मकान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को लेकर 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शुरू की गई थी। यह योजना गरीबों के लिए एक वरदान साबित हुई है। इस योजना ने गरीबों की आंखों में और चेहरे पर वह चमक ला दी है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत सन 2022 तक एक करोड़ घर के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन जिस तेजी से काम चल रहा है उससे यह लक्ष्य समय सीमा से दो साल पहले ही 2020 के अंत तक हासिल कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), अमृत योजना और स्मार्ट सिटी मिशन की चौथी वर्षगांठ के मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अब तक 81 लाख घरों के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है और 26 लाख घर तैयार हो गए हैं। साथ ही बताया कि 41 लाख घरों की निर्माण प्रक्रिया जारी है।

यूपीए के 10 वर्षों के मुकाबले एनडीए के पांच साल में ही 554 प्रतिशत अधिक खर्च
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), अटल मिशन, स्‍मार्ट सिटी मिशन न केवल देश के शहरी परिदृश्‍य में बदलाव ला रहे हैं, बल्कि नागरिकों के जीवनयापन को भी सरल बनाने का काम सुनिश्चित कर रहे हैं। यूपीए शासनकाल में वर्ष 2004 -2014 के दौरान किए गए कुल 1.57 लाख करोड़ रुपये के निवेश की तुलना में 2014 से 2019 के दौरान सिर्फ पांच साल में शहरी कायाकल्‍प में निवेश 10.31 लाख करोड़ रुपये हुआ है, जो 554 प्रतिशत बढ़ोतरी है। पीएमएवाई (यू), अमृत और एससीएम में लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू किए जा रहे मिशन, अपने लक्ष्‍य और समयसीमा से आगे चल रहे है।

सभी को घर उपलब्‍ध कराने के मिशन लक्ष्‍य समय से आगे
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत वर्ष 2022 तक सभी को घर उपलब्‍ध कराने के मिशन लक्ष्‍य समय और निर्धारित लक्ष्‍य से आगे हैं। इसके तहत कुल 4.83 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 81 लाख से भी अधिक घरों के निर्माण की स्‍वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 48 लाख घर निर्माण के विभिन्‍न चरणों में है। 26 लाख घर पूरा होने के बाद सौंप दिए गए हैं। 13 लाख से अधिक घरों के निर्माण में नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। 1.26 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता निर्धारित की गई है जिसमें से 51 हजार करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उपाय के रूप में घरों को महिला के नाम पर या संयुक्‍त स्‍वामित्‍व में उपलब्‍ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी योजना के तहत 18 लाख प्रतिवर्ष तक की आय के मध्‍यम आय वर्ग के परिवारों को पहली बार घरों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। घर के कारपेट एरिया को बढ़ाकर 200 वर्गमीटर कर दिया गया है। 2005-2019 के दौरान सीएलएसएस के तहत 6.32 लाख से अधिक लोगों ने इससे लाभ उठाया है।

आधारभूत सुविधाओं पर जोर
योजना में वैश्विक जलापूर्ति, सीवरेज ढांचे में सुधार, बच्‍चों का विकास, दिव्‍यांगों के अनुकूल हरे पार्कों और खुली जगह, पानी की निकासी और गैर-मोटर चालित शहरी यातायात में सुधार पर जोर दिया गया है। 77,640 करोड़ रुपये लागत की राज्‍य योजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इसमें से 39,011 करोड़ रुपये जल आपूर्ति परियोजनाओं, 32,456 करोड़ रुपये सीवरेज और सेप्टिक टैंकों, 2,969 करोड़ रुपये स्‍टॉर्म जल निकासी के लिए, 1,436 करोड़ रुपये गैर-मोटरीकृत शहरी परिवहन के लिए तथा 1,768 करोड़ रुपये हरे स्‍थानों और पार्कों के लिए मंजूर किए गए हैं। इन पहलों से 22 करोड़ से अधिक शहरी आबादी को लाभ पहुंचा है।

हर घर जल की सुविधा
जल संकट से जल सुरक्षा की ओर बढ़ने के लिए 33,900 करोड़ रुपये लागत की 1,132 परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। अभी तक 58 लाख पानी के नल कनेक्‍शन दिए गए हैं, इसके अलावा 81 लाख पानी के नल कनेक्‍शन और उपलब्‍ध कराए जाएंगे। मिशन के अंत तक सभी परिवारों को जल की आपूर्ति सुलभ होगी। अपशिष्‍ट जल को रिसा‍इकिल और पुनर्उपयोग के लिए 26,589 करोड़ रुपये लागत की 622 सीवरेज एवं सेप्‍टी टैंक प्रबंधन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 37 लाख सीवर कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराए गए हैं जबकि 108 लाख और सीवर कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराए जाएंगे। स्‍वस्‍थ जीवन शैली के लिए हरी-भरी जगह जुटाने के लिए 593 करोड़ रुपये की लागत से 1,048 पार्क विकसित किए गए हैं। 1,004 करोड़ रुपये की लागत से 1,356 पार्कों का विकास किया जा रहा है। इन पार्कों में महिलाओं, बच्‍चों और दिव्‍यांगजनों की अनुकूल सुविधाएं जुटाई गई हैं।

स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत स्‍मार्ट सड़कों का निर्माण
स्‍मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) के तहत बनाई गई स्‍मार्ट रोड ने सड़कों पर होने वाले हादसों में कमी लाई गई है। रास्‍ते में रुकने एवं मनोरंजन के लिए उपयुक्‍त स्‍थान भी उपलब्‍ध कराए गए हैं। अब तक 837 करोड़ रुपये की लागत से 25 शहरों में स्‍मार्ट सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसी तरह 59 शहरों में स्‍मार्ट सड़कें निर्माणाधीन हैं।

स्‍मार्ट सौर ऊर्जा से ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम
स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत स्‍मार्ट सौर ऊर्जा ने ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम कर दी है। अब तक 113 करोड़ रुपये की लागत से 15 शहरों में संबंधित परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इसके परिणामस्‍वरूप 19 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन हुआ। इसके साथ ही 45 शहरों में 850 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा की लागत वाली परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है।

अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए निगरानी
बेहतर गुणवत्ता के आवासों के तेजी से निर्माण के लिए लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष हस्तांतरण के जरिए आईटी-डीबीटी के जरिए सहायता राशि मुहैया कराई गई है। अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए घरों के निर्माण की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। लाभार्थियों के मकानों के निर्माण कार्य के विभिन्न चरणों पर नजर रखी जा रही है। राज्यों ने निर्माण सामग्री को रियायती दामों पर उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आवासों का निर्माण कार्य और उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हों। कुछ राज्यों में इस योजना के तहत कलस्टर और कॉलोनियां भी बनाई गई हैं, जिससे आमतौर पर भूमिहीन लाभार्थी लाभांवित होंगे। इन आवासों का निर्माण दिल्ली के यूएनडीपी-आईआईटी ने किया है और संबंधित राज्यों के लाभार्थियों को यह सुविधा दी गई है कि वे अपनी पसंद के अनुरूप आवासों का डिजाइन चुन सकें।

सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है। पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।

गुणवत्तापूर्ण मकानों के लिए राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम
इतना ही नहीं, गुणवत्तापूर्ण आवास के निर्माण के लिए प्रशिक्षित राजमिस्त्री की आवश्यकता होती है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम 11 राज्यों में शुरू किए गए हैं। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों का निर्माण संभव होगा। साथ ही देश में कुशल कारिगरों की संख्या बढ़ेगी। प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।

मकानों के 168 प्रकार के डिजाइन
जो भी मकान बने, वह गरीब को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए हो, इसको ध्यान में रखते हुए यूएनडीपी-आईआईटी दिल्ली ने आवासों के विभिन्न डिजाइन तैयार किए हैं। 15 राज्यों के लिए स्थानीय जलवायु और स्थानीय निर्माण सामग्री को ध्यान में रखते हुए बने। इसके लिए इस योजना के तहत 168 प्रकार के डिजाइन को सरकार ने मंजूरी दी है। इन डिजाइनों में से कोई भी डिजाइन प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी चुन सकते हैं और मकान बनवा सकते हैं। इन आवास डिजाइनों को केन्द्रीय आवास शोध संस्थान, रुडकी ने भी मंजूरी दी है। इन आवास डिजाइनों में लागत कम आती है तथा ये आपदा प्रतिरोधी भी हैं।

पीएमएवाई के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है।

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