Home समाचार जानिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले इन वीआईपी किसानों का सच

जानिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले इन वीआईपी किसानों का सच

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर बिना कपड़ों के प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसान लोगों की सहानुभूति पाने के लिए तरह-तरह की हरकतें कर रहे थे। वे कभी मल-मूत्र के साथ प्रदर्शन करते थे तो कभी चूहा खाते दिख रहे थे। लोगों में इनको लेकर सहानुभूति पैदा भी हुई लेकिन इनकी सच्चाई जानकार आप हैरान हो जाएंगे।

बताया जा रहा है कि ये सभी कथित रूप से विदेशी एनजीओ ग्रीनपीस के प्रदर्शनकारी थे। दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए वोटिंग खत्म होते ही इन तथाकथित किसानों की नौटंकी खत्म हो गई। प्रदर्शन खत्म होते ही ये सभी कर्ज माफी की मांग करने वाले तथाकथित निर्धन किसान फ्लाइट से तमिलनाडु रवाना हो गए।

खेतो में नरमुंड के साथ इन किसानों का फोटो देखकर आपको लगेगा कि तमिलनाडु में कितना सूखा पड़ा है और इन लोगों का जीना मुहाल है। ये किसान भयंकर आफत में हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ये फोटो तमिलनाडु की नहीं बल्कि नोएडा की है। जहां इन किसान ने तरह-तरह से पोज देकर फोटोशूट करा देश के लोगों को वेबकूफ बनाया

इन किसानों के बारे में एक दिलचस्प जानकारी यह भी है कि इनके लिए सागर रत्ना रेस्त्रां से खाना आता था और ये हिमालयन ब्रांड मिनरल वाटर पीते थे। इन मोटे-चौड़े और तंदुरुस्त किसानों को देखकर कहीं से नहीं लगेगा कि ये सूखे से बेहाल हैं और इन्हें कर्ज माफी की जरूरत है। ये किन्ही खास मकसद से प्रदर्शन कर रहे थे। इनमें एक किसान ऐसा मिला जो भारत को कश्मीर में आतंक फैलाने वाले देश बता चुका है।

बताया जा रहा है कि ये तमिलनाडु के साधारण किसान नहीं बल्कि वैसे वामपंथी कार्यकर्ता थे जो ग्रीनपीस (एनजीओ) के इशारे पर ऐसा कर रहे थे। इनमें कुछ ऐसे जमींदार टाइप लोग भी थे जो बैंकों से लाखों रुपये का लोन लेकर उसे लौटाना नहीं चाहते। जहां तक कर्ज माफी का सवाल है वह राज्य सरकार के अंतर्गत है लेकिन ये किसान तमिलनाडु छोड़कर दिल्ली में प्रदर्शन करने आ गए। खबर है कि जबसे नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेशी चंदों पर सख्ती की है ग्रीनपीस जैसे संगठनों ने सरकार के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है।

कर्जमाफी की मांग कर रहे इन प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि कृषि से जुड़े सभी लोन माफ किए जाएं। चाहे वह कितना ही बड़ा किसान, जमींदार क्यों ना हो। यूपी सरकार ने जिस तरह से छोटे किसानों का कर्ज माफ किया है उसी तरह वहां की सरकार भी माफ कर सकती है। ये किसान सूखा राहत के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं जबकि पूरे देश में किसानों का कर्ज माफ करना हो तो 72 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। हालांकि केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही सूखा राहत के लिए 2000 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है।

किसानों की एक मांग यह है कि दक्षिण भारत की नदियों को आपस में जोड़ा जाए। जबकि सच्चाई यह है कि यह प्रोजेक्ट पहले से चल रहा है। तमिलनाडु के इन किसानों की एक मांग यह भी है कि केंद्र सरकार रासायनिक खादों पर रोक लगाए। यह मांग एकदम से अव्यावहारिक है। हालांकि इस मांग पर भी फैसला केंद्र के दायरे में नहीं, बल्कि तमिलनाडु सरकार के दायरे में आता है। हैरत की बात यह है कि ये किसान अपनी कथित खराब हालत के लिए तमिलनाडु की सरकार को कसूरवार नहीं मानते। जबकि उनकी ज्यादातर मांगों पर विचार करना तमिलनाडु सरकार के ही अधिकारक्षेत्र में है।

साभार- न्यूजलूज और दैनिक भारत

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