आपको आश्चर्य होगा। ये बात अखिलेश यादव की छवि के बिल्कुल विपरीत है। डंका तो साफ-सुथरी छवि का पीटते हैं। पिता मुलायम से झगड़ा भी इसी बहाने दिखाया। पर, सियासत में ऊंची महत्वाकांक्षा लिए बैठे इस शख्स को किसी अपराधी से गुरेज नहीं है। जी हां, अखिलेश यादव ने एक से बढ़कर एक गुनाहों में नामजद 38 लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां तक कि बलात्कार और हत्या के आरोपियों को भी टिकट दी है। डालते हैं एक नजर अखिलेश की दागी ब्रिगेड पर…
1. संदीप यादव, उम्मीदवार, इलाहाबाद उत्तरी
क्या है आरोप?
सरेआम गुंडागर्दी और मारपीट करते हैं। इनका वीडियो भी वायरल हो चुका है। एफआईआर दर्ज हुई जिसके बाद संदीप यादव को दिया गया सरकारी गनर छीन लिया गया। मामला अब भी चल रहा है।
अखिलेश ने आरोपों के बावजूद टिकट दिया है। इनकी योग्यता इनकी कोई काबिलियत नहीं है, बल्कि ये खुले तौर पर अखिलेश के लिए किसी से भी भिड़ सकते हैं। चाचा शिवपाल से खुली लड़ाई मोल लेने वाले वे पहले विधायक हैं। टिकट मिलते ही अपनी ताकत का इजहार करने वाले और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले भी वे पहले व्यक्ति हैं। दबंगई ही इनकी पहचान है।
2. सईद अहमद, विधायक, फूलपुर
क्या है आरोप?
विधायक रहते हुए अपहरण, फर्जीवाड़े और दबंगई का आरोप। एक व्यापारी से जमीन के सौदे में फर्जीवाड़ा करने का आरोप। सरदार जोगिन्दर सिंह ने 95 लाख रुपये हड़प लेने का आरोप लगाया। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के मामले में सईद अहमद से पूछताछ हो चुकी है। उन पर अपहरण के भी आरोप हैं।
दिलचस्प बात ये है कि 2012 के चुनाव में खुद सईद अहमद ने जोगिन्दर सिंह से 90 लाख रुपये लेने की बात चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में कहा है। पैसे लौटा देने की बात और हलफनामे परस्पर विरोधी हैं। फिर भी अखिलेश को सईद अहमद की दबंगई अच्छी लगती है और वो उन्हें दोबारा विधायक के रूप मे देखना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि दबंगई ही अखिलेश ब्रिगेड की पहचान है।
3. हाजी इरफान सोलंकी, सीसामऊ
क्या है आरोप?
इरफान पर ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’ के नारे लगवाने का गम्भीर आरोप है। इसके अलावा डॉक्टरों को दौड़ाकर पीटने, कॉलेज के भीतर घुसकर टीचर और छात्राओं से अभद्रता, करोड़ों के लेनदेन में अपने भाई से मारपीट व हंगामा, गनर का गोली चलाना…ऐसे कई मामले हैं जिनमें हाजी इरफान सोलंकी पर अभियोग लगे हैं।
इरफान अखिलेश ब्रिगेड के वे लाडले हैं जिनकी सारी गलतियां माफ हैं। पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाना तो उनकी खासियत है क्योंकि तुष्टीकरण की नीति में ये फिट बैठते हैं। जब इतने आभूषणों के साथ दबंगई भी हो तो अखिलेश की ब्रिगेड में जगह पक्की हो जाती है।
4. मनोज पारस, नगीना
क्या है आरोप?
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे मनोज पारस पर सामूहिक बलात्कार का आरोप है। उन्हीं के गांव की रहने वाली महिला ने 2006 में ये आरोप लगाया था। अदालत ने शिकायत के बाद केस दर्ज किया। चार्जशीट के बाद मनोज की गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ। 10 साल से भुक्तभोगी परिवार न्याय की आस लगाए बैठा है। मनोज पारस पर इसके अलावा भी कई मामले दर्ज हैं।
अखिलेश यादव पर मनोज पारस का कितना प्रभाव होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सामूहिक बलात्कार का आरोप भी उनके लिए मायने नहीं रखता। खुद नगीना से पार्टी कार्यकर्ताओं ने पारस को टिकट नहीं देने की मांग की थी, लेकिन किसी की नहीं सुनी गयी।
5. आनंद सेन, बीकापुर, फैजाबाद
क्या है आरोप?
आनंद सेन को अपहरण के बाद लड़की की हत्या के आरोप में सजा हो चुकी है। बीएसपी के विधायक रहते आनंद पर फैजाबाद की कानून की स्नातक छात्रा शशि के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप लगा था। बाद में उन्हें हाईकोर्ट ने 2013 में बरी कर दिया था। ऐसे ही एक और आरोप उन पर 2007 में लगे थे।
बलात्कार और हत्या जैसे संगीन आरोप के बावजूद आनंद सेन अखिलेश के प्रिय हैं। दबंगई की वजह से अखिलेश ब्रिगेड में उनकी पहुंच है।
6. विनोद कुमार सिंह, गोंडा
क्या है आरोप?
विनोद कुमार सिंह ने एक शख्स को फोन पर दो मिनट में 56 बार गालियां दी थीं। टीवी चैनलों पर ये प्रसारित हुआ था। दरअसल उस शख्स ने मंत्रीजी से जुड़ी एक खबर सोशल मीडिया में सार्वजनिक कर दी थी। पंडित सिंह पर सीएमओ को धमकी देने और उन्हें अगवा करने का भी आरोप लग चुका है। इसके अलावा भी उन पर दबंगई के दसियों में मामले दर्ज हैं।
यूपी सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री रह चुके विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह पर आरोपों से अखिलेश को कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा लगता है कि अखिलेश को ऐसे ही लोग ज्यादा पसंद हैं। इसलिए उनका टिकट पक्का रहा।
7. अभय सिंह, गोसाईगंज, फैजाबाद
क्या है आरोप?
ठेकेदारों से गुन्डा टैक्स लेने का आरोप, पर अदालत ने बरी कर दिया। इसके अलावा भी कई मामलों में रंगदारी वसूलने, अफसरों को डराने-धमकाने के आरोप अभय सिंह पर लगे हैं। अभय सिंह पर कुल 18 मामले दर्ज हैं।
अखिलेश की टीम में जगह पाने की ये पात्रता काफी है। जितना संगीन आरोप होगा, जितने ज्यादा आरोप होंगे- टीम अखिलेश में सम्मान उतना ही ज्यादा मिलता है। टिकट मिलना तो पहली बात है।
8. राजकिशोर सिंह, हरैया
क्या है आरोप?
ज़मीन की खरीद फरोख्त से जुडे घोटालों में राजकिशोर सिंह का नाम आता रहा है। अपने करीबी के नाम से सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज में खनन का पट्टा लेने के आरोप हैं। बस्ती और गोंडा में भी अपने करीबी के नाम पर रेत का अवैध खनन कराने के आरोप हैं। इसके अलावा दिल्ली में प्रॉपर्टी विवाद और गाज़ियाबाद में ज़मीन घोटाले में भी इनका नाम आया।
अखिलेश ने राजकिशोर सिंह को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। उसके बाद राजकिशोर ने बागी तेवर दिखाए थे, मगर समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बीच अखिलेश ने आरोपों के रत्न से चमकते इस चेहरे को अपनी ब्रिगेड में शामिल करने का एलान किया। राजकिशोर को हरैया से टिकट मिल गया।
9. ऋचा सिंह, इलाहाबाद पश्चिमी
क्या है आरोप?
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह का एडमिशन ही फर्जी आधार पर हुआ। जब मामला खुला तो खुद को टारगेट करने का आरोप लगाया। ऋचा पर मारपीट और हंगामा करने के भी कई आरोप हैं।
ऋचा उन चंद नेताओं में हैं जिन्होंने समाजवादी पार्टी में घमासान होने पर सबसे पहले ‘अखिलेश जिन्दाबाद’ का नारा बुलन्द किया। दबंग छात्र नेता रहने की वजह से ऋचा ने अखिलेश ब्रिगेड में अपनी अलग जगह बना ली।
10. विधायक गामा पांडेय, मेजा
क्या है आरोप?
गिरीश चन्द्र उर्फ गामा पांडेय पर मारपीट और धमकी देने के कई आरोप हैं। दबंग विधायक के रूप में गामा पांडे की ख्याति है। शिवपाल यादव ने गामा पांडेय का टिकट काट दिया था, लेकिन जब अखिलेश ने टिकट बांटे तो गामा को दोबारा चुनाव लड़ने का मौका मिला। मेजा सीट से गामा विधायक रहे हैं।
11. विधायक प्रशांत सिंह, हंडिया
क्या है मामला?
विधायक प्रशांत सिंह पर अपहरण, मारपीट और जान से मारने की धमकी के आरोप दर्ज हैं। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के दौरान हुई हत्या के एक मामले में भी उनसे पूछताछ हो चुकी है। प्रशांत सिंह को भी शिवपाल गुट ने टिकट नहीं दिया था लेकिन अखिलेश यादव ने टिकट सौंपकर प्रशांत सिंह को दबंगई का इनाम दिया है।
12. विधायक राममूर्ति वर्मा, ददरौल
क्या है आरोप?
पत्रकार जगेन्द्र सिंह मर्डर केस में राममूर्ति वर्मा के नाम हैं। कई अन्य मामलों में भी अभियोग हैं। राममूर्ति वर्मा का नाम ददरौल विधानसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में दोनों गुटों की सूची में शामिल है। उनकी दबंगई को दोनों गुटों ने सलाम किया है।
13. महेन्द्र कुमार सिंह, सेवता
क्या है आरोप?
गोवा में डांस बार में छापे के दौरान महेन्द्र कुमार सिंह रंगे हाथों पकड़े गये थे। उन पर वेश्यावृत्ति निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। उनके साथ 6 और लोग गिरफ्तार हुए थे जिन पर मानव तस्करी के आरोप लगाए गये थे। महेन्द्र कुमार सिंह को डांस बार मामले में पार्टी से निलंबित भी किया गया था, पर लगता है उन गुनाहों को अखिलेश ने माफ कर दिया है और उन्हें दोबारा टिकट दिया है।
14. रविदास मेहरोत्रा, लखनऊ मध्य
क्या है आरोप?
अखिलेश सरकार में मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा पर 15 से ज्यादा केस दर्ज हैं। उन पर मारपीट, हंगामा समेत कई मामलों में केस दर्ज हैं। अदालत एक बार उन्हें भगोड़ा भी घोषित कर चुकी है।
अखिलेश सरकार में रविदास मेहरोत्रा की अहमियत थी और अब आगे भी मुलायम-शिवपाल का साथ छोड़कर रविदास अखिलेश के साथ ही रहेंगे- ऐसा संकेत देने पर उन्हें टिकट का इनाम दे दिया गया।