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माल्या और चौकसी को बचाने के लिए राहुल गांधी ने अलापा राफेल का झूठा राग

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यूपीए के दस साल के शासनकाल यानी 2004-2014 के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल-सोनिया गांधी की नाक के नीचे लाखों करोड़ के घोटाले हुए। सत्ता के दो केन्द्र होने की वजह से देश और सरकार दिशाहीन और चाचा-भतीजा के रोग से ग्रस्त थी। ऐसी सरकार ने देश में आर्थिक गति देने के लिए बैंकों से लाखों करोड़ रुपये के ऋण विजय माल्या और मेहुल चौकसी जैसे घपलेबाजों और सत्ता में पैठ रखने वाले व्यापारियों को दिए। आज, जब ये घपलेबाज व्यापारी बैंकों का यानी देश की गरीब जनता का लाखों करोड़ रुपया डकार कर भाग गये हैं और कांग्रेस बुरी तरह से फंसी हुई है तो राहुल गांधी राफेल डील पर झूठ बोलकर यूपीए सरकार के सबसे बड़े घोटाले को छुपाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

 झूठ बोलकर राहुल कांग्रेस की डूबती नाव बचा रहे हैं

 सच है कि, यदि राहुल गांधी झूठ ही बोलने पर आमादा हैं तो उनसे कोई सच नहीं उगलवा सकता है। राहुल गांधी, राफेल डील की सभी सच्चाई जानते हुए भी झूठ सिर्फ इसलिए बोल रहे हैं कि उनको कांग्रेस की डूबती नाव बचाकर अपने वजूद को स्थापित करना है। इसका मतलब है कि राहुल गांधी जो कुछ भी बोल रहे हैं उसका मकसद है कि किसी तरह से कांग्रेस की देश में लाज बचायी जाए। उनके इस झूठ के एजेंडे में साथ देने के लिए राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष, निखिल वाघले, स्वाती, शेखर गुप्ता, पुण्य प्रसून वाजपेयी, विनोद कापड़ी, एस वर्दराजन, बरखा दत्त, निधि राजदान और राघव बहल जैसे पत्रकार खुलकर पत्रकारिता की आड़ खुला खेल फर्रुखाबादी खेल रहे हैं।

राहुल झूठ बोलकर माल्या और चौकसी जैसे घपलेबाजों से ध्यान भटका रहे हैं

गांधी ने अपने झूठ को सच जैसा दिखाने के लिए यह कहना शुरू कर दिया है कि सीबीआई के निदेशक को हटाने के पीछे राफेल डील में शुरू होने वाली जांच को रोकना है, जबकि सच्चाई यह है कि विजय माल्या और मेहुल चौकसी को देश में वापस लाने की कोशिश को कानूनी दाव में उलझा कर सीबीआई के निदेशक उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे थे। और इसी सिलसिले में वह कई बार कांग्रेस के नेताओं और बिचौलियों से मिल चुके थे, जिसकी भनक सरकार को थी, जब सरकार के सर से पानी ऊपर होने लगा तो आधी रात में सीबीआई के निदेशक को लंबी छुट्टी पर जाने के लिए कहना पड़ा।

प्रधानमंत्री मोदी की ईमानदारी का फायदा उठाया 

प्रश्न यह उठता है कि सरकार के कर्ता-धर्ता प्रधानमंत्री मोदी हैं तो फिर कांग्रेस का साथ सीबीआई कैसे दे रही है। इसके पीछे बड़ा ही सीधा कारण है, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा कई वर्षों तक कांग्रेस के शासन में काम कर चुके हैं और हमेशा सत्ता के करीब रहे हैं। सत्ता के करीब होने का फायदा आज कांग्रेस उठाने के लिए उनका इस्तेमाल कर रही है,जो सरासर व्यक्तिगत संबंधों के कारण है। दूसरा प्रधानमंत्री मोदी सीबीआई के कामकाज में कोई दखल नहीं देते हैं और नियुक्तियों में वह किसी तरह की राजनीति नहीं करते हैं। इसके दो ताजा उदाहरण हमारे सामने हैं। पहला उदाहरण है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई को ही मुख्य न्यायाधीश के लिए सहमति दी जि्होंने पहली बार सरकार के खिलाफ प्रेस कान्फ्रेंस की थी। दूसरा, आलोक वर्मा की सीबीआई के पद पर नियुक्ति प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति ने की थी।

 माल्या और चौकसी को बचाने के लिए राहुल ने कैसे झूठ बोला

यदि, माल्या औऱ चौकसी को घसीटकर लंदन से सीबीआई दिल्ली लाती है तो कांग्रेस की चुनावों में मिट्टी पलीद होना निश्चित है। इसको टालने के लिए कांग्रेस ने राफेल का झूठा खेला ताकि सरकार और जनता के ध्यान को विजय माल्या और मेहुल चौकसी जैसे घपलेबाजों से हटाया जा सके। मौका मिलते ही कांग्रेस ने सीबीआई के निदेशक को भी इस खेल में खींच लिया। एक समय था जब राहुल गांधी  ने विजय माल्या को बचाने के लिए सीबीआई की साख को भी गिरवी रख दिया था और आज फिर माल्या और मेहुल चौकसी को बचाने के लिए राफेल की डील को सीबीआई से जोड़ रहे हैं। राहुल ने सितंबर 2018 में कहा था कि सीबीआई ने विजय माल्या को भगाया है।

एक महीने बाद ही राहुल गांधी के सुर बदले हुए हैं और कह रहे हैं राफेल डील के लिए सीबीआई के निदेशक को हटाया गया है।

विजय माल्या और मेहुल चौकसी जैसे व्यापरियों और यूपीए के भ्रष्टाचार पर परदा डालने के लिए राहुल गांधी ने जो झूठ का खेल खेला है उसकी पुष्टि खुद उस बैंक प्रबंधक ने की है जिसके ऊपर मेहुल चौकसी को 2011-2013 के दौरान  ऋण देने का दबाव डाला गया था। गीतांजलि जेम्स, मेहुल चौकसी की कंपनी का नाम है।

ऐसा ही यूपीए सरकार ने विजय माल्या का साथ देने के लिए किया। विजय माल्या ने 2011 के अक्टूबर महीने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करके बैंकों के ऊपर दबाव डलवाकर ऋण लिया था, जबकि कोई भी बैंक विजय माल्या को ऋण देना नहीं चाह रहा था। विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइन की स्थापना 2005 में यूपीए सरकार के सहयोग से बैंकों से मिले धन से किया और 2013 तक यह एयरलाइन बंद होने के कगार पर आ गई। इस दौरान यूपीए सरकार के दबाव में 9,000 करोड़ रुपये का ऋण बिना किसी जमानत के दिया गया। प्रधानमत्री मनमोहन सिंह से मिले इस सहयोग के लिए विजय माल्या ने 04अक्टूबर 2011 में मनमोहन सिंह को एक धन्यवाद पत्र भी लिखा था।

राहुल गांधी का डीएनए उस परिवार और पार्टी का है जो झूठ बोलकर अपनी सत्ता को पाने का सपना देखता रहा है। राहुल के नाना, पंडित जवाहर लाल नेहरु और देश के पहले प्रधानमंत्री 1939 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए साथ देने का वादा करके मुकर गये थे, इसके बावजूद भी नेताजी त्रिपुरा के अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये और  अधिवेशन में नेताजी का विरोध करने के कारण नेहरु जी की जमकर हूंटिंग हुई थी।

 

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