पिछले दिनों मीडिया में राहुल गांधी का वो बयान सुर्खियों में रहा जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती दी थी, कि वे उनका भाषण 15 मिनट भी नहीं सुन सकेंगे। इस बात पर मीडिया में काफी चर्चा हुई कि आखिर राहुल गांधी क्या बोलेंगे जो प्रधानमंत्री उन्हें सुन नहीं पाएंगे।
हालांकि इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी को चुनौती दी कि अगर राहुल गांधी बिना पेपर देखे 15 मिनट बोल दें तो बड़ी बात होगी। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन राहुल गांधी की हकीकत एक वीडियो ने खोल दी है। पहले देखिये ये वीडियो-
Rahul Gandhi took up PM Modi’s challenge to speak for just 15 min without looking at paper!
And then, this happened!? pic.twitter.com/NllM8i1QeV
— BJP Karnataka (@BJP4Karnataka) 8 May 2018
08 मई को जारी वीडियो में साफ दिख रहा है कि राहुल गांधी कर्नाटक में एक रैली को संबोधित कर रहे हैं और वो बिना पेपर देखे 20 सेकंड भी लगातार बोल नहीं पा रहे हैं। एक मिनट पांच सेकेंड के इस वीडियो में राहुल गांधी ने 12 बार पेपर देखा है। वे कुछ सेकंड भी बिना पेपर को देखे नहीं बोल पा रहे हैं।
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद 9 दिसंबर, 2016 को राहुल गांधी ने कहा था, ”सरकार बहस से भाग रही है, अगर मुझे बोलने देंगे तो आप देखेंगे भूकंप आ जाएगा।” हालांकि इसके बाद वे संसद में बोले भी, लेकिन कोई भूकंप नहीं आया। राहुल गांधी ने पीएम मोदी के निजी भ्रष्टाचार के खुलासे का जो दावा किया था वह फुस्स हो गया। जाहिर है बाद में वे हंसी के पात्र बन गए थे। सबसे तीखी टिप्पणी एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने की, उन्होंने कहा, ”संसद सदस्य डरे हुए थे और चिंतित थे कि भूकंप के बाद वे संसद भवन से बाहर कैसे निकलेंगे। लेकिन चूंकि कोई भूकंप नहीं आया तो लगा कि अब हम शांति से सो सकते हैं।”
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बनारस की एक सभा में राहुल गांधी की अपरिपक्वता पर तंज कसते हुए कहा था, ”कांग्रेस के एक युवा नेता हैं। वह भाषण देना सीख रहे हैं। जब से उन्हों ने बोलना सीखा है, बोलना शुरू किया है, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है। 2009 में पता ही नहीं चलता था कि इस पैकेट के अंदर क्या है। अब पता चल रहा है कि क्या है। अच्छा हुआ वह कुछ तो बोले। ना बोलते तो बड़ा भूकंप आ जाता। इतना बड़ा भूकंप कि देश 10 साल तक उससे उबर नहीं पाता।”
बहरहाल राजनीति में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं। एक दूसरे पर तंज भी कसे जाते हैं, परन्तु उसकी एक मर्यादा होती है, एक गरिमा होती है। लेकिन राहुल गांधी अक्सर ऐसी बातें कह जाते हैं जिससे ये साफ होता है कि वे राजनीति की गंभीरता को शायद अब भी समझ नहीं पाए हैं। जाहिर है वशवाद की अमरबेल के सहारे सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का ख्वाब पाले राहुल गांधी को अभी काफी कुछ सीखने की आवश्यकता है।