Home चुनावी हलचल हार के डर से राहुल गांधी नहीं लड़ेंगे अमेठी से चुनाव!

हार के डर से राहुल गांधी नहीं लड़ेंगे अमेठी से चुनाव!

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ऐसा लगता है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अभी से अमेठी में अपनी हार मान ली है। उन्हें इस बात का एहसास हो गया है कि अगला लोकसभा चुनाव वो अमेठी से जीत नहीं पाएंगे। खास तौर पर जिस तरीके से अमेठी के भीतर स्मृति ईरानी की लोकप्रियता बढ़ रही है और वो लगातार अमेठी का दौरा कर रही हैं, इसके बाद खुद राहुल गांधी भी पसोपेश में हैं।

रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष अब अगला लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी से नहीं लड़ेंगे। इसकी जगह वो रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं। अब तक इस सीट पर सोनिया गांधी चुनाव लड़ती रही हैं। माना जा रहा है कि बीमारी का बहाना बनाकर सोनिया गांधी अगला चुनाव नहीं लड़ेंगीं।

अमेठी से चुनाव लड़ सकती हैं प्रियंका वाड्रा
सूत्रों से जो पता चला है कि उसके मुताबिक गांधी परिवार किसी भी कीमत पर अमेठी से हारते हुए नहीं दिखना चाहती। इससे देश भर में कांग्रेस के खिलाफ गलत संदेश जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि स्मृति ईरानी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस अपने ब्रह्मास्त्र का उपयोग करेगी। प्रियंका वाड्रा को अमेठी से चुनाव में उतारेगी और उसका इंदिरा गांधी जैसी इमेज बनाने का प्रयास होगा। हालांकि अमेठी के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बार स्मृति को हराना बेहद मुश्किल है।

राहुल गांधी के खिलाफ ईरानी को मिले थे तीन लाख  वोट
आजादी से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए, 1977 व 1998 को छोड़कर हर बार अमेठी से कांग्रेस पार्टी को जीत मिली। लेकिन कांग्रेस की परंपरागत सीट होने के बाद भी पिछली बार अमेठी में स्मृति ईरानी को तीन लाख से भी ज्यादा वोट मिले। ईरानी भले ही करीब एक लाख वोट से हार गईं लेकिन गांधी परिवार को पहली बार हार का डर साफ-साफ देखने को मिला था। जिस अमेठी की जनता से कांग्रेस कभी वोट नहीं मांगती थी। ईरानी के आने के बाद पहली बार राहुल गांधी मतदान के दिन बूथ-बूथ पर घूमते दिखे।

समाजवादी पार्टी के अहसान से जीते राहुल गांधी   
वैसे राहुल गांधी की जीत में समाजवादी पार्टी का भी अहसान है। पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को जिताने औऱ स्मृति ईरानी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी और राहुल गांधी ने हाथ मिला लिया और समाजवादी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। इसके बाद भी राहुल गांधी की जीत का अंतर तीन लाख 70 हजार से घटकर महज एक लाख रह गया।

जीत के बाद राहुल अमेठी में नहीं दिखते
गांधी-नेहरू परिवार को दंभ है कि वह अमेठी में वोट नहीं मांगते, फिर भी जीत जाते हैं। तभी जीत के बाद भी राहुल गांधी संसदीय क्षेत्र में दिखते नहीं है। वहां की जनता को उनके प्रतिनिधियों के भरोसे रहना पड़ता है। हालांकि स्मृति के आने के बाद अब गांधी परिवार का ये घमंड कम हुआ है, इसलिए साल 2016 में  वो दो बार अमेठी गए जरूर, लेकिन अब भी ये आंकड़ा स्मृति ईरानी के मुकाबले बेहद खराब है।

दीदी के रूप में लोकप्रिय हुईं स्मृति ईरानी
चुनाव प्रचार के दौरान ईरानी ने वादा किया था कि हारूं या जीतूं, अमेठी नहीं छोड़ूंगी। हार के बाद भी वह अपने वादे पर कायम हैं। चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी लगभग हर दो महीने पर अमेठी आतीं हैं – चाहे वह सरकारी कार्यक्रम हो, पर्व-त्योहार हो या कुछ और। रक्षा बंधन के दिन स्मृति ईरानी ने अपने पैसे से 25 हजार महिलाओं का बीमा कराया। मकर संक्रांति पर्व के मौके पर वो भाजपा के बूथ लेबल कार्यकर्ताओं के घर-घर तिल के लड्डू भिजवातीं हैं तो होली के मौके पर 2015 में पांच विधानसभा क्षेत्रों के एक-एक गांव की महिलाओं को होली के उपहार के रूप में साड़ियां दीं। 2016 में भी सभी विधानसभा क्षेत्र के पांच-पांच गांवों की महिलाओं को साड़ी भेंट कीं।

विधानसभा क्षेत्र में अब कांग्रेस का वर्चस्व खत्म 
अमेठी संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। 2012 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ तिलोई और गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली। इसमें से तिलोई का कांग्रेस विधायक मो. मुस्लिम खान कांग्रेस को छोड़कर बसपा का दामन थाम चुके हैं। तीन विधानसभा सीट जगदीशपुर, सलौन और अमेठी पर सपा का कब्जा है।

ईरानी के आने से अमेठी को लाभ
राहुल गांधी से भले ही अमेठी को लाभ न मिला हो, लेकिन स्मृति ईरानी के मंत्री बनने के बाद अमेठी को जहां राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रशिक्षण संस्थान मिला, वहीं जल्द ही एक केंद्रीय विद्यालय मिलने वाला है। अब तक स्मृति 30 गांवों की महिलाओं को साड़ियां बांट चुकी हैं तो 25 हजार से अधिक लोगों का बीमा कराया। इसके अलावा भी कई परियोजनाएं हैं जिसे पूरा कराने में वो जी-जान से जुटी हैं।

अमेठी के युवराज भाजपा के साथ
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को उस समय भी बड़ा झटका लगा जब अमेठी के युवराज विक्रम सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया। दरअसल अमेठी के राजपरिवार का झगड़ा सड़क पर है। डॉ संजय सिंह भले ही कांग्रेस के साथ हों, लेकिन उनकी दूसरी पत्नी अमृता सिंह ने पहली पत्नी गरिमा सिंह और बेटे विक्रम सिंह को घर से बाहर निकाल दिया। लेकिन अमेठी के लोग अब भी बड़े बेटे विक्रम सिंह के साथ खड़े हैं। इसका सीधा नुकसान राहुल गांधी को होगा।

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