Home विचार पलायनवादी राजनीति के प्रतीक बन गए हैं राहुल गांधी!

पलायनवादी राजनीति के प्रतीक बन गए हैं राहुल गांधी!

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केरल में बाढ़ से त्राहिमाम है। हर कोई केरल की मदद करना चाहता है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विदेश दौरे पर चले गए। कहा जा रहा है कि चार दिन के इस दौरे में वे पीएम मोदी के खिलाफ ब्रिटेन और जर्मनी में ‘जहर’ उगलने गए हैं। अरे भाई अगर राजनीति ही करनी है तो अपने देश में किया जाए। अच्छा तो होता कि वे केरल जाते और सरकार की विफलताओं को सामने लाते, लेकिन हकीकत तो ये है कि वे ‘जमीन’ की राजनीति करना जानते ही नहीं!

दरअसल राहुल गांधी अक्सर उस समय ही विदेश यात्रा करते हैं जब देश किसी न किसी मुसीबतों का सामना कर रहा होता है। यही नहीं कई अहम मौकों पर तो वे देश छोड़ कर तब भी भाग गए जब कांग्रेस पार्टी को उनकी जरूरत थी। राहुल गांधी के इन विदेशी यात्राओं पर जाने से यह लगता है जैसे वे चुनौतियों को पीठ दिखाकर भाग रहे हैं। जाहिर है राहुल पलायनवादी राजनीति के प्रतीक बन गए हैं

आइए आपको बताते हैं कब-कब राहुल गांधी पीठ दिखाकर भागे-

 यात्राएं वर्ष कांग्रेस को राहुल की जरुरत थी
इटली 01 मार्च, 2018 02 मार्च को देश में होली मनायी जा रही थी और 03 मार्च को त्रिपुरा, नगालैंड व मेघालय के परिणाम आये, जिसमें कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली।
ओस्लो, नॉर्वे     25 अगस्त, 2017 जब 27 अगस्त को बिहार में विपक्षी दलों की एकता दिखाने के लिए लालू प्रसाद रैली कर रहे थे और चीन के साथ डोकलाम विवाद भी चल रहा था। 
इटली 13 जून, 2017 जब मंदसौर में कांग्रेस का किसानों का लेकर आंदोलन चल रहा था और राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की ओर से मीरा कुमार को नामाकंन करना था।
अज्ञात देश 31 दिसंबर, 2016 जब कांग्रेस पार्टी नोटबंदी को लेकर विरोध कार्यक्रमों की धार तेज कर रही थी औऱ इसी समय पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों का दौर था।
अज्ञात देश 12 परवरी, 2015 बजट सत्र के दौरान अचानक 57 दिनों के लिए देश से बाहर चले गए।
अज्ञात देश दिसंबर, 2014 पार्टी की  स्थापना दिवस पर भी विदेश दौरे पर थे।

आपको बता दें कि राहुल गांधी को यह सीख विरासत में मिली है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले एक भारतीय वायु सेवा में नियमित पायलट थे। सन् 1971 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब भारत सरकार ने सभी पायलटों की छुट्टियां रद्द कर दी थीं। उस दौरान इंडियन एयरलाइंस में सिर्फ एक पायलट को छुट्टी दी गई थी और वह पायलट थे। कांग्रेस (ई) के युवराज और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुपुत्र राजीव गांधी। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अपने बच्चों प्रियंका और राहुल के साथ स्वदेश छोड़ दिया और इटली चले गए।

बहरहाल राहुल गांधी कई बार अज्ञातवास भी चले जाते हैं। हालांकि खोजी पत्रकारों की नजर से वे बच नहीं पाए और उनकी यात्रा की भी डिटेल निकाल ली गई। राहुल गांधी 57 दिनों के अज्ञातवास में 16 फरवरी 2015 से 16 अप्रैल 2015 के दौरान कहां-कहां रहे। पत्रकारों ने कुछ जानकारी एकत्र कर ली लेकिन राहुल ने इस दौरे के बारे में आजतक कुछ भी किसी को नहीं बताया। आइये, देखते हैं कि इन 57 दिनों में राहुल कहां-कहां रहे-

• 16 फरवरी को दिल्ली से बैंकॉक के लिए उड़ान भरा
• 17 फरवरी को बैंकॉक से कंबोडिया गये और वहां 11 दिनों तक ठहरे
• 28 फरवरी को वापस बैंकॉक आ गए
• अगले दिन म्यांमार पहुंच गये और वहां लगातार 21 दिनों तक विश्राम किया
• 22 मार्च को वापस थाइलैंड पहुंचे और अयुथ्या बौद्ध केन्द्र में 9 दिन रहे
• 31 मार्च को वियतनाम पहुंचे और 12 अप्रैल तक वहीं ठहरे
• 12 अप्रैल को एक बार फिर बैंकॉक पहुंच गये और 16 अप्रैल तक वहीं आराम किया। फिर वापस दिल्ली लौट आये।

राहुल गांधी को विदेश यात्राओं पर जाने का पूरा अधिकार है लेकिन लोकतंत्र में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता होने के नाते उनकी जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ जाती है। इस जवाबदेही के उत्तरदायित्व को निभाने से राहुल गांधी कतराते हैं। क्योंकि गांधी परिवार का लंबे समय से सत्ता में बने रहने से  संस्कृति कुछ ऐसी हो गई है कि परिवार अपने को राजा और देश की जनता को प्रजा समझकर व्यवहार करता है। 2004 से 2014 तक देश की जनता ने गांधी परिवार के इस संस्कृति को झेला है, उसी संस्कृति के राहुल गांधी आज भी वशीभूत हैं।

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