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मोदी सरकार से कांग्रेस किस मुंह से करती है आतंक को लेकर सवाल?

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का माथा काम नहीं कर रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनावों में ऐसा क्या कर दें कि पार्टी के साथ-साथ अपनी इज्जत भी बच जाए। इसी चक्कर में वो उन मुद्दों को भी मोदी सरकार से जोड़कर पेश कर रहे हैं जिनसे मौजूदा सरकार का कोई लेना-देना नहीं। मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के सरगना हाफिज सईद को हाल में पाकिस्तान ने जेल से रिहा किया तो राहुल ने इसको लेकर मौजूदा सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की थी। बीजेपी ने इस हरकत के लिए राहुल को ऐसा आईना दिखाया है कि वो अपना चेहरा देखने से परहेज करेंगे।

राहुल को तो शर्म आनी चाहिए

अहमदाबाद में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2010 के एक वाकये का हवाला देकर आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस और उसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के दो साल बाद राहुल गांधी ने कहा था कि देश के लिए ‘हिंदू आतंकवाद’ खतरा है ना कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके सरगना हाफिज सईद। यानी राहुल ने उस हाफिज को लेकर नरम रवैया दिखाया था जो 166 बेगुनाहों की जान लेने वाले मुंबई के 26/11 आतंकी हमलों की साजिश का सूत्रधार था।  

‘हिंदू आतंकवाद’ की रचयिता है कांग्रेस

2010 में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भारत आई थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया था  जहां राहुल गांधी भी मौजूद थे। उसी मौके पर तब अमेरिकी राजदूत रहे टिम रोमर ने राहुल गांधी से लश्कर-ए-तैय्यबा के बारे में उनकी राय पूछी थी। इस पर राहुल गांधी ने कहा था कि उसे छोड़िए, भारत में ज्यादा गंभीर मामला हिंदू आतंकवाद है। The Guardian ने तो WikiLeaks का हवाला देकर जो खबर छापी थी उसके मुताबिक लश्कर-ए-तैय्यबा के बारे में अमेरिकी राजदूत के सवाल पर राहुल ने कहा था कि हिंदू संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से भी ज्यादा खतरनाक हैं।

मनमोहन भी दांव पर लगाते रहे थे देश की साख  

मिस्त्र के शर्म-अल-शेख में 2009 के एक समिट का वाकया भी आतंकवाद पर कांग्रेस के चेहरे से नकाब उतारने वाला है। उस समिट में तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाने के बजाय बलूचिस्तान के मामले पर अपनी चिंता जताई थी। यानी जिस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को जोरशोर से उठाना से उससे कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार बचती रही थी। सवाल साफ है कांग्रेस किस मुंह से आतंकवाद के मसले पर बीजेपी पर सवाल उठाएगी? क्या मंदिर-मंदिर घूमने का अभिनय कर राहुल ये गलतफहमी पाल रहे हैं कि इससे वो अपने और अपनी पार्टी के किये पर परदा डालने में कामयाब हो जाएंगे?

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