Home झूठ का पर्दाफाश कांग्रेस ने राफेल पर खोदा पहाड़ निकली चुहिया

कांग्रेस ने राफेल पर खोदा पहाड़ निकली चुहिया

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राफेल की नैया पर 2019 की चुनावी बैतरणी पार करने का सपना देख रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जोर का झटका धीरे से लगा है। राहुल गांधी राफेल डील को देश का अबतक का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे थे और ये कह रहे थे कि केंद्र सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचाने के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया। लेकिन अब जो सच्चाई सामने आई है उससे साफ हो गया है कि जो दावा राहुल गांधी कर रहे हैं वो पूरी तरह बेबुनियाद और झूठे हैं।

राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने जानकारी दी है कि उसने राफेल और उससे जुड़ी सामग्री बनाने के लिए भारत और फ्रांस की कंपनियों के साथ कुल 30,000 करोड़ का ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट किया है। इस 30,000 करोड़ के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में रिलायंस डिफेंस का हिस्सा महज 3 प्रतिशत यानी 900 करोड़ का रहने वाला है। अब किसी कंपनी को कुल 900 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट मिले तो उसमें से वो कितना निवेश करेगी और कितना कमाएगी ये बात राहुल गांधी ही बता सकते हैं।

पूरी डील को ऐसे समझिए
दसॉल्ट एविएशन के मुताबिक कंपनी का जॉइंट वेंचर दसाल्ट रिलायंस एविएशन लिमिटेड (DRAL) फाल्कन एग्जीक्यूटिव जेट्स के कल-पुर्जे बनाने की खातिर एक कारखाना लगाने में अधिकतम 10 करोड़ यूरो यानी 850 करोड़ रुपये निवेश करेगा। इसके अलावा एवियॉनिक्स और रडार मैन्युफैक्चरर थेल्स के साथ एक जॉइंट वेंचर से एक छोटा सा निवेश आएगा। अधिकृत सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक थेल्स नागपुर के DRAL कॉम्प्लेक्स के पास रडार बनाने के लिए एक असेंबली प्लांट लगा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक राफेल डील के लिए ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट को दसाल्ट (ये इंटीग्रेटर है), थेल्स (रडार एंड एवियॉनिक्स), सैफ्रन (इंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स) और MBDA (हथियार) के बीच चार भागों में बांटा गया है। कुल 30000 करोड़ रुपये के ऑफसेट में से दसाल्ट एविएशन को करीब 6500 करोड़ रुपये निवेश करने हैं।

दसाल्ट एविएशन के चीफ एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि “दसाल्ट एविएशन ने रिलायंस के साथ एक ज्वाइंट वेंचर DRAL बनाने और नागपुर में एक कारखाना स्थापित करने का निर्णय किया है। हम करीब 100 भारतीय कंपनियों से बात कर रहे हैं। इनमें से लगभग 30 के साथ पार्टनरशिप की जा चुकी है।“

इस कॉन्ट्रैक्ट में डीआरडीओ भी शामिल है, जिसके लिए कावेरी जेट इंजन प्रोग्राम रिवाइव करने पर बातचीत हो रही है। फ्रांसीसी मैन्युफैक्चरर सैफ्रन वर्क शेयर और टेक्नॉलजी ट्रांसफर पर भारतीय टीम से बातचीत कर रहा है। सैफ्रन अपने ऑफसेट दायित्व का कुछ हिस्सा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के जरिए भी पूरा कर सकता है, जिसके साथ इसका एक ज्वाइंट वेंचर है। यह जेवी हेलिकॉप्टर इंजन तैयार करने के लिए बनाया गया था। थेल्स अपने ऑफसेट पार्टनर के रूप में लार्सन ऐंड टूब्रो के अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को बड़ा जिम्मा दे सकता है।
इस खुलासे से साफ हो गया है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लोग साजिश के तहत राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार को बदनाम कर रहे हैं। इसी के साथ उनके इस दावे की भी हवा निकल गई है कि ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में सरकारी कंपनियों को नजरअंदाज किया गया जबकि इसमें डीआरडीओ और एचएएल जैसी सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। ऐसे में राहुल गांधी और उनकी पार्टी से कुछ सवाल तो बनते हैं।

राहुल गांधी देश को जवाब दें कि कांग्रेसी सरकारों ने

  • स्कूटर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के होते हुए भी बजाज, होंडा और कावासाकी जैसी तमाम कंपनियों को आगे क्यों बढ़ाया?
  • BHEL जैसी कम्पनियों के होते हुए भी L&T जैसी कम्पनियों को खरबों के ठेके क्यों दिए ?
  • SAIL, IISCO जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के होते हुए भी TISCO और जिंदल जैसी कंपनियों से खरबों रुपये का स्टील क्यों ख़रीदा ?
  • TITAN जैसी कंपनियों के हाथों HMT जैसी कंपनी का ख़ून क्यों होने दिया?
  • MTNL और BSNL के होते हुए ‘स्पेक्ट्रम’ एयरटेल और वोडाफ़ोन जैसी निजी कंपनियों को क्यों बेचा ?
  • SBI और PNB जैसे बैंकों के होते हुए निजी बैंकों को बढ़ावा क्यों दिया?
  • LIC के होते हुए दुनिया भर की निजी बीमा कंपनियों को देशवासियों को लूटने की इजाज़त क्यों दी?
  • देश में सैकड़ों सरकारी चीनी मिलों के होते हुए भी निजी चीनी मिलें क्यों बन जाने दी?
  • गांधी के चरख़े की रट लगाते हुए ग़रीब जुलाहों से धंधा छीन कर, धीरू भाई अम्बानी और रेमंड जैसी कंपनियों को क्यों बढ़ावा दिया।

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