Home विचार कांग्रेस की ‘कु-नीति’ ने पंजाब में बढ़ाया कट्टरपंथ!

कांग्रेस की ‘कु-नीति’ ने पंजाब में बढ़ाया कट्टरपंथ!

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सिख समुदाय हमेशा से मातृभूमि की खातिर अपनी जान न्योछावर करने में सदा से आगे रहा है, परन्तु कांग्रेस की गलत नीतियों ने इनके मन को ऐसा घाव दिया है जो अब तक नहीं भरा है। कुछ नासमझ लोग पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश के बहकावे में भी आ जाते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिख समुदाय का हमेशा सम्मान किया है और कांग्रेस के गलत कार्यों के कारण जो अविश्वास उनके भीतर पैदा हो गया है, उसे पाटने का काम भी कर रहे हैं।

  • केंद्र की कमान संभालते ही उन्होंने पहले सिखों की विभिन्न शिकायतों को देखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीपी माथुर कमेटी का गठन किया। 
  • 3,325 लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की और उन 1020 परिवारों का मुआवजा बढ़ाने की भी स्वीकृति दी जो देश के अलग-अलग राज्यों से विस्थापित होकर पंजाब चले गए थे।
  • इसके अलावा ऐसे सौ से अधिक लोगों को काली सूची से बाहर कर दिया जो 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद दूसरे देशों में रह रहे थे और भारत वापस नहीं आ सकते थे।

पाकिस्तान की साजिश का शिकार हो रहे सिख युवा
हालांकि ऐसे प्रयासों के बाद भी कांग्रेस के किए कारनामों के कारण कुछ ऐसे भी लोग हैं जो भटक गए हैं और देश विरोध की राह पर चल रहे हैं। इन्हीं भटके हुए नौजवानों का भारत के विरुद्ध इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान आतुर है। हाल में जो रिपोर्ट आई है उसके आधार पर ये खुलासा हो रहा है कि पाकिस्तान भारत के विरुद्ध बड़ी साजिश रच रहा है और इसमें सिख युवाओं को वह भारत के विरुद्ध भड़का रहा है। जाहिर है यह देश के लिए चिंता की बात है, क्योंकि हमारे देश के अपने लोगों को ही देश के विरुद्ध संघर्ष करने की साजिश रची गई है। 

कांग्रेस की साजिश से बढ़ा था पंजाब में आतंकवाद
पंजाब में 80 के दशक में आतंकवाद पनपा जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस जिम्मेदार है। दरअसल 1970 के दशक में कांग्रेस ने अकाली दल को किनारे लगाने के लिए खालिस्तानी आतंकवादियों की पीठ थपथपायी थी। कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री राजीव गांधी ने भिंडरावाले जैसे आतंकी सरगना को सन्त की उपाधि दी थी और उसे दिल्ली बुलाकर अनावश्यक महत्व दिया था। इसी भिंडरावाले ने कांग्रेसी सिख नेताओं, खास तौर से ज्ञानी जैल सिंह की शह पर स्वर्णमन्दिर परिसर में स्थित अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया था और वहां सैकड़ों हथियारबन्द आतंकियों ने अपना अड्डा बना लिया था। यह 1982-83 का समय था, जब पंजाब में कांग्रेस के दरबारा सिंह की ही सरकार थी। ये आतंकी ही आगे चलकर कांग्रेस के लिए भस्मासुर सिद्ध हुए।

1984 में कांग्रेस द्वारा किए नरसंहार से बढ़ा कट्टरपंथ
इन्दिरा गांधी पहले तो किसी समस्या को हद से ज्यादा बढ़ जाने देती थीं और फिर उसको हल करने के नाम पर एकदम उग्र कार्रवाई करके उसे उचित ठहराती थीं। यही उन्होंने स्वर्णमन्दिर में घुसे हुए सिख आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए किया। जून 1984 में आपरेशन ब्लू स्टार के नाम से हुई इस कार्रवाई में आतंकी सरगना भिंडरावाले मारा गया और उसके सभी साथी भी ढेर कर दिए गए। लेकिन देश को और स्वयं कांग्रेस को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। इन्दिरा गांधी की हत्या हुई, जिसके बाद हजारों सिखों का कत्ल किया गया। सरकारी आंकड़ों में ही 3300 से अधिक सिखों के कत्ल की बात मानी गई है और ये सब कांग्रेस की साजिशों के कारण हुआ।  

सिखों को गुमराह करने की दोषी थीं इंदिरा गांधी
पाकिस्तान के इशारे पर खालिस्तान समर्थक कई बार पंजाब में आग लगाने की कोशिश कर चुके हैं। खास बात यह कि इनके इशारों पर कई बार अकाल तख्त के कई नाम भी काम करता हुआ दिखता है। हाल में ही अकाल तख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह ने कहा है कि RSS से संबद्ध राष्ट्रीय सिख संगत का बायकॉट तब तक जारी रहेगा जब तक यह संगठन सिखों को लेकर अपने एजेंडे को स्पष्ट नहीं करता। दरअसल कट्टरपंथ का वह नमूना है जिसने अभी इस्लाम और इससे संबंधित कई देशों को अपने जंजाल में जकड़ कर रखा है। इनका मकसद है कि हिंदुओं और सिखों के बीच एक विभाजन की रेखा खिंची रहे जिससे अकाल तख्त के कर्ता-धर्ता अपनी अहमियत को प्रासंगिक ठहरा सकें।

गुरुओं की गौरवशाली परंपरा को तार-तार करे कट्टरपंथी
पंजाब में आतंकवाद का खात्मा होने के बाद भी कांग्रेस की गलतियों के कारण मुश्किलें पेश आ रही हैं। गुरुओं की परंपरा को बदनाम करने की कुत्सित कोशिश की जा रही है। दरअसल सिख वो कौम है जिसने हमेशा से ही देश और धर्म के लिए दुश्मनों से लड़ाई लड़ी है। सिखों ने हिंदुस्तान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। चाहे वो गुरु नानकदेव की हों या गुरु तेगबहादुर जी हों, सिखों का बलिदान देश भूल न सकता है और उसके बाद गुरु गोविंद सिंह जी आज भी केवल सिख नहीं बल्कि सभी राष्ट्रवादियों के दिल में बसते हैं। उन्होंने अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया लेकिन देश और धर्म को झुकने नहीं दिया। 

जिन सिख गुरुओं ने आक्रांताओं से लड़ने में, मुगलों ने लड़ने में प्राण त्यागे, जिस माटी की जिस देश की रक्षा के लिए सिख गुरुओं ने अपने परिवार को मिटा दिया, अब खुद को उन्हीं की संतान कहने वाले कुछ लोग उस पाकिस्तान के साथ खड़े हो रहे हैं जिस पाकिस्तान ने 1947 में देश बंटवारे के समय लाखों सिखों का कत्ल कर दिया था। ये कुछ गद्दार सिखों के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने का प्रयास कर रहे हैं और अपने ही राष्ट्र के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

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