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रक्षा क्षेत्र में बढ़ रही है भारत की ताकत, अंधेरे में लक्ष्य भेदने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत रक्षा के क्षेत्र में दिनोंदिन ताकतवर होता जा रहा है। अब भारत अंधेरे में मिसाइल से दुश्मन का लक्ष्य भेदने में भी सक्षम हो गया है। बुधवार, 21 फरवरी को देश में निर्मित और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के केंद्र से सफल परीक्षण किया गया। रक्षा अधिकारियों के अनुसार सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल अंधेरे में 350 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है। इस मिसाइल को ओडिशा के चांदीपुर स्थित प्रक्षेपण केंद्र से दागा गया। इस परीक्षण को सेना की रणनीतिक बल कमान ने अंजाम दिया, साथ ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने इसकी निगरानी की। इससे पहले 7 फरवरी को भी पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल प्रयोगिक परीक्षण किया गया था। उल्लेखनीय है कि मिसाइल के मामले में भारत काफी ताकतवर हो गया है। इससे पहले भी 20 फरवरी को अग्नि-2, 6 फरवरी को अग्नि-1 और 18 जनवरी को अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।

एक नजर डालते हैं सेना को ताकतवर बनाने वाले मोदी सरकार के फैसलों और योजनाओं पर-

1751 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश की सैन्य ताकत को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। सेना की क्षमता बढ़ाने और आत्याधुनिक हथियारों व साजो-सामान से लैस करने के लिए रक्षा सौदों अंतिम रूप देने में तेजी आई है। 20 फरवरी 2018 को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने 1751 करोड़ के रक्षा सौदों को अपनी मंजूरी दी है। इस सौदों में 1125 करोड़ की लागत से थल सेना में मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री के लिए 156 कॉम्बैट वाहन बीएमपी-2 का अधिग्रहण किया जाएगा। इससे मैकेनाज्ड इन्फेंट्री की ऑपरेशनल जरूरतें पूरी होंगी। इसके साथ ही मोदी सरकार ने 626 करोड़ की लागत से नौसेना के लिए सर्वे ट्रैनिंग वेसल की खरीद को भी हरी झंडी दी है। इस सर्वेक्षण जलपोत से नौसेना की बंदरगाहों पर बढ़ती हाइड्रोग्राफिक सर्वे संबंधी ज़रूरतें पूरी होंगी।

रक्षा बजट में विश्व के शीर्ष पांच देशों में भारत
सैन्य ताकत को मजबूत करने की कड़ी में भारत रक्षा बजट के मामले में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के शीर्ष पांच बजट में शामिल हो गया है। लंदन स्थित एक वैश्विक विचार समूह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजिक स्टडीज (आईआईएसएस) की मिलिट्री बैलेंस 2018 रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2017 में 52.5 अरब डॉलर के खर्च के साथ रक्षा बजट के मामले में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पांचवे स्थान पर पहुंच गया। इससे पहले वर्ष 2016 में रक्षा बजट 51.1 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी सैन्य क्षमता का आधुनिकीकरण कर रहा है।

सेना के लिए 15 हजार करोड़ की हथियार खरीद को मंजूरी
देश की सेना अब और ज्यादा अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने जा रही है। मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक हथियार खरीदने की एक योजना को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 13 फरवरी को हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में 15,935 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई थी। इस मंजूरी में देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बेहतर हथियार मुहैया कराने पर खासा ध्यान दिया गया। जिन हथियारों की खरीद को मंजूरी दी गई है उनमें लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल्स और स्नीपर राइफल्स आदि शामिल हैं। सबसे अहम बात यह है कि इन हथियारों की खरीद “फास्ट ट्रैक प्रक्रिया” के माध्यम से की जाएगी।

यूपीए सरकार में पूरी नहीं हो पाई सेना की मांग
सेना की इन हथियारों की मांग 13 साल पहले की थी, लेकिन पूर्व की यूपीए सरकार ने सेना की इस अहम जरूरत पर ध्यान नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्परता दिखाते हुए रक्षा मंत्रालय को इन हथियारों को जल्द से जल्द खरीदने का निर्देश दिया। इसके बाद इन हथियारों की खरीद में आने वाली सभी अड़चनों को दूर कर सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने वाले खरीद प्रस्ताव को मंजूर किया गया है। इसके तहत मोदी सरकार ने 1,819 करोड़ की लागत से सेना के लिए लाइट मशीन गन्स खरीदने की मंजूरी दी है। इसके अलावा सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ की लागत से 7.4 लाख असाल्ट राइफल्स की खरीद को भी हरी झंडी दी गई है। इतना ही नहीं थल सेना और वायु सेना के लिए 982 करोड़ से 5,719 स्नाइपर राइफल्स की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूर किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि मेक इन इंडिया के तहत इनके लिए गोला-बारूद देश में ही बनाया जाएगा।

एडवांस्ड टॉरपीडो डेकॉय सिस्टम के प्रस्ताव को भी हरी झंडी 
राइफल और मशीन गन्स के अलावा केंद्र सरकार ने नौसेना के जहाज़ों की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताएं बढ़ाने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने एडवांस्ड टॉरपीडो डेकॉय सिस्टम के अधिग्रहण के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी है। साथ ही डीआरडीओ के मारीच सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका हैं। मारीच सिस्टम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 850 करोड़ की लागत से नौसेना के लिए तैयार करेगा।

वायुसेना में फिर शामिल होगा फाइटर प्लेन ‘डकोटा’
पीएम मोदी के नेतृत्व में सेना के तीनों अंगों को ताकतवर बनाने की कोशिश जारी है। इन्हीं कोशिशों के तहत भारतीय वायुसेना में एक बार फिर लड़ाकू विमान ‘डकोटा’ शामिल होने वाला है। इस लड़ाकू विमान ने पाकिस्तान से हुए 1947 और 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। यह विमान कबाड़ हो चुका था, लेकिन पिछले वर्षों में इसे पुनर्जीवित करने के लिए ब्रिटेन में काम किया जा रहा था। अब यह विमान मरम्मत के बाद तैयार हो चुका है और जल्द ही वायुसेना के उत्तर प्रदेश स्थित हिंडन एयर बेस पर ‘विरासती बेड़े’ का हिस्सा होगा। वायुसेना के अनुसार इस विमान को 1930 में तत्कालीन रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। यह 12वीं स्क्वाड्रॉन का हिस्सा था और मुख्य तौर पर लद्दाख और पूर्वोत्तर क्षेत्र में काम करता था। इस विमान को अब ‘परशुराम’ नाम दिया गया है।

बिना पायलट वाले लड़ाकू विमान का निर्माण भी अंतिम चरण में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में हमेशा मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया है। इसी का असर है कि भारत का पहला बिना पायलट वाला फाइटर प्लेन निर्माण के अंतिम चरण में पहुंच गया है। घातक नाम के इस प्रोजेक्ट के तहत इस फाइटर प्लेन का प्रोटोटाइप ‘स्विफ्ट’ तैयार होने की लास्ट स्टेज में है। बताया जा रहा है कि मार्च 2019 तक इसकी पहली फ्लाइट टेस्ट कर ली जाएगी। इसके बाद विमान के प्रोडक्शन को लेकर काम शुरू होगा। इस प्रोजेक्ट पर डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी मिलकर काम कर रहे हैं। घातक का एयफ्रेम डिजाइन करने में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने आईआईटी कानपुर की मदद ली है यह विमान रडार को चकमा देने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विमान को लेकर काफी गंभीर है, यही वजह है कि पीएमओ इस प्रोजेक्ट पर सीधे नजर रखे है। आपको बता दें कि अभी अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और इजरायल के पास ही अनमैन्ड फाइटर प्लेन की टेक्नोलॉजी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की रक्षा-सुरक्षा सर्वोपरि है। पिछले तीन वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में हमारा देश कई ऐसे घटनाक्रमों का गवाह बना जिनसे ना सिर्फ दुनिया में भारत का मान बढ़ा बल्कि देशवासियों में भी सुरक्षा की भावना मजबूत हुई। इन वर्षों में देश की रक्षा से जुड़े कई कदम उठाये जाने के साथ ही बड़ी-बड़ी उपलब्धियां भी सामने आईं हैं। एक नजर डालते हैं इन उपलब्धियों पर।

पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ से बनी ‘करंज’ पनडुब्बी ने बढ़ाई नौसेना की ताकत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। मेक इन इंडिया के तहत भारत में निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ पिछले महीने नौसेना के बेड़े में शामिल हुई है। 31 जनवरी को मुंबई मझगांव डॉक पर आईएनएस ‘करंज’ को लॉन्च किया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। लगभग डेढ़ महीने के अंदर स्कॉर्पीन श्रेणी की कलवरी और खांदेरी पंडुब्बियां  के बाद करंज तीसरी पनडुब्बी है जो नौसेना में शामिल हुई है।

जानिए ‘मेक इन इंडिया’ आईएनएस ‘करंज’ की ताकत
करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इसके साथ ही ‘करंज’ टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है। करंज पनडुब्बी में कई और खूबियां भी हैं। यह पनडुब्बी रडार की पकड़ में नहीं आ सकती। यह जमीन पर हमला करने में सक्षम है, इसमें ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है, यही वजह है कि करंज पनडुब्बी लंबे समय तक पानी में रह सकती है। युद्ध की स्थिति में करंज पनडुब्बी हर तरह के हालात से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है। इसमें सतह पर पानी के अंदर से दुश्‍मन पर हमला करने की खासियत भी है। इस पनडुब्‍बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में संचालित किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन वजनी है।

दिसंबर में पीएम मोदी ने लांच की थी आईएनएस ‘कलवरी’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी  आईएनएस कलवरी को पिछले वर्ष 14 दिसंबर को लांच किया था। वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में इस पनडुब्बी को नौसेना में कमीशंड किया गया था। इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया था, तो वहीं मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया। आईएनएस कलवरी के बाद 12 जनवरी, 2018 को स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खांदेरी को लांच किया गया था। कलवरी और खंडेरी पनडुब्बियां भी आधुनिक फीचर्स से लैस हैं। यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं, साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती हैं।

P-75 प्रोजेक्ट के तहत बन रही हैं पनडुब्बी
आईएनएस कलवरी देश में बनी पहली परमाणु पनडुब्बी है जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है। कलवरी के बाद खांदेरी और करंज यानी तीन पनडुब्बियों को नौसेना में शामिल किया जा चुका है।

ब्रह्मोस और आकाश का सफल परीक्षण
विश्‍व की सबसे तेज सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने नवंबर 2017 में उस समय इतिहास रच दिया, जब पहली बार भारतीय वायुसेना के अग्रणी युद्धक विमान सुखोई-30 एमके-1 से उसकी सफल परीक्षण उड़ान हुई। हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन के इलाके में बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है। इसके साथ ही जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

आंतरिक सुरक्षा के लिए कारगर रणनीति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति ने तब एक बार फिर रंग लाकर दिखाया जब डोकलाम से चीनी सैनिकों को वापस होने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे पहले चीन अलग-अलग तरीके आजमाकर धमकी की भाषा बोलने में लगा था। वहीं जम्‍मू-कश्‍मीर में चुनौतियों के बावजूद सुरक्षा स्थिति नियंत्रण में है। खुफिया जानकारियों के आधार पर भारत-म्‍यांमार सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए भी अभियान शुरू किये गए। इसके तहत आतंकियों के मंसूबे को पूरी सख्ती के साथ निष्क्रिय कर दिया गया।

अमेरिका, रूस सहित कई देशों के साथ सैन्य अभ्यास
किसी भी स्थिति से तत्परता और सफलता से निपटने के लिए प्रशिक्षण गतिविधियां और सैन्य अभ्यास पर वर्ष भर के दौरान पूरा जोर दिखा। भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में दोनों देशों के बीच ‘युद्ध अभ्‍यास-2017’ का आयोजन किया गया। यह अभ्‍यास 14 से 27 सितंबर  के बीच ज्‍वाइंट बेस लेविस, मैकार्ड, वाशिंगटन में हुआ। 19 से 29 अक्टूबर के बीच व्‍लादीवोसतोक के निकट जापान सागर और 249वां संयुक्‍त सेना रेंज में रूस के साथ अभ्यास किया गया। इंग्लैंड, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, ओमान, मंगोलिया और कजाकिस्तान के साथ भी मिलकर सैन्य अभ्यास किया गया। इन सबके तहत आतंकवाद के खिलाफ और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अभ्‍यास किये गये।

विदेशी नौसेनाओं के साथ अभ्‍यास
मालाबार युद्धाभ्यास के 21वें संस्‍करण का आयोजन 09 से 17 जुलाई 2017 तक भारत के पूर्वी तट की बंदरगाह पर और उसके निकट किया गया। भारतीय नौसेना,अमेरिकी नौसेना और जापानी समुद्री स्‍व-सुरक्षा बल (JMSDF) ने इस अभ्‍यास में भाग लिया। इस अभ्‍यास का मुख्‍य प्रयोजन भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग एवं आपसी सहयोग बढ़ाना था। कुल मिलाकर 16 जहाजों, दो पनडुब्बियों, 95 विमानों, समुद्री कमांडो (मारकोस) और विशेष दस्‍तों ने इस अभ्‍यास में भागीदारी की। वहीं पश्चि‍मी जहाजी बेड़े ने अप्रैल 2017 में फ्रांस की नौसेना के साथ तौलोन,फ्रांस के निकट वरुण-17 द्विपक्षीय अभ्‍यास में भाग लिया।

वायु सेना में देसी तेजस का पहला स्क्वैड्रन शामिल

प्रधानमंत्री के द्वारा लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया अभियान के तहत देश में बने हल्के लडाकू विमान, तेजस के पहले स्क्वैड्रन को वायुसेना में शामिल कर लिया गया। तेजस ने गणतंत्र दिवस, एयरो इंडिया और वायु सेना दिवस में भाग लिया। एसयू-30 एमकेआई विमानों का निर्माण एचएएल में किया जा रहा है। इस एयरक्राफ्ट से ही सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रम्होस’  और  ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया जा चुका है। मिग-29 विमानों का आधुनिकीकरण नासिक के बेस रिपेयर डिपो में किया जा रहा है।

INSV तरिणी से महिला नाविकों की विश्व यात्रा
एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण गतिविधि के तहत भारतीय नौसेना की छह महिला नाविक अधिकारी भारत में निर्मि‍त 56 फीट लंबे तैरते जहाज, INSV तरिणी पर सागर परिक्रमा पर निकली हैं। तरिणी को 10 सितंबर, 2017 को रवाना किया गया था। उम्मीद है कि विश्व यात्रा करते हुए उसकी वापसी गोवा में अप्रैल, 2018 तक होगी। इस अभियान को ‘नाविका सागर परिक्रमा’ कहा गया और यह महिला शक्ति को मान्‍यता देने वाली राष्‍ट्रीय नीति के तहत आती है। 

अफगान महिला अधिकारियों का प्रशिक्षण
भारतीय सेना द्वारा विदेशी महिला अधिकारियों को दिये जाने वाले सैन्‍य प्रशिक्षण के तहत अफगान फौज और वायुसेना की महिला अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान महिलाओं को शारीरिक प्रशिक्षण,  हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया तथा संपर्क कौशल सिखाया गया। इसका आयोजन ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्‍नई में 4 से 24 दिसंबर, 2017 तक किया गया।

आपदा राहत में सेना ने निभाई बड़ी भूमिका
जुलाई में राजस्थान और गुजरात की बाढ़ हो या फिर अगस्त की बिहार और उत्तर प्रदेश की बाढ़, सेना राहत और बचाव के कार्य में भी मुस्तैदी से जुटी रही। सेना ने गुजरात के बैसवाड़ा स्थित आंबेडकर कन्‍या छात्रावास से फंसे हुए 500 से अधिक स्‍कूली लड़कियों और शिक्षकों को सफलतापूर्वक निकाला था।  बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर जिलों के भीषण बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में सेना 75 से अधिक गांवों तक पहुंचने में सफल हुई और उसमें लगभग 1000 व्‍यक्तियों को बाहर निकाला।

खेल जगत में भी सैनिकों ने बढ़ाया देश का सम्मान
इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISSF)  विश्‍व कप-2017 में 10 मीटर एयर पिस्‍टल प्रतिस्‍पर्धा में सूबेदार जीतू राय व हीना सिद्धू के मिश्रित दल ने स्‍वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वि‍त किया। वहीं यूरोप में होने वाली यह सबसे कठिन साइकिल दौड़ रेस अराउंड ऑस्ट्रिया (RAA) को पूरा करने वाले प्रथम भारतीय के रूप में लेफ्टिनेंट कर्नल भरत कुमार ने देश और भारतीय सेना का गौरव बढ़ाया। सेना के एथलीटों ने जुलाई में भुवनेश्वर में हुई 22वीं एशियाई एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप  में चार स्‍वर्ण, दो रजत और दो कांस्‍य पदक जीते।

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