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प्रधानमंत्री मोदी ने देश में लागू किया एक विधान-एक संविधान, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बने केंद्र शासित प्रदेश

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लौह पुरुष और देश की एकता-अखंडता के सूत्रधार सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे भारत में एक विधान-एक संविधान लागू करने के उनके सपने को पूरा किया है। सरदार पटेल ने देश को एक सूत्र में पिरोने का जो सपना आजादी के बाद देखा था, उसे अब प्रधानमंत्री मोदी ने साकार किया है। 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विधिवत दो नए केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। इन्हें मिलाकर अब देश में कुल राज्यों की संख्या 28 हो गई है और देश का नक्शा भी नया हो गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। गुरुवार यानि 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग राज्य बन गए हैं। इसी के साथ दोनों राज्यों में संसद के बने कई कानून लागू हो सकेंगे। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र (गजट) जारी कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बना है, साथ ही साथ इसका पुनर्गठन भी हो गया है।

 

आइए आपको बताते हैं कि आज से जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बदल गया और इसका क्या असर पड़ेगा?

  • अब तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर गुरुवार यानी 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल गया। जम्मू-कश्मीर का इलाका अलग और लद्दाख का इलाका अलग-अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
  • अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है। दोनों ने आज कार्यभार संभाल लिया है।
  • अभी दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा, लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।
  • राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे।
  • इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है।
  • जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा।
  • राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था. हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।
  • राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है। वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा।
  • विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।
  • पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं।
  • जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी. हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे।
  • अब चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है।
  • जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे. जिनमें 4 लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है।

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