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5 तथ्यों से समझिये कैसे पाकिस्तान को Failed State साबित कर चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी

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‘’पाकिस्तान भिखारी मुल्क है और चीन बिजनेसमैन, दोनों दोस्त नहीं हो सकते।‘’ सोशल मीडिया पर आजकल यह जुमला बहुत लोकप्रिय है। दरअसल सोमवार को खबर आई कि पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए चीन 69 अरब रुपये देगा। जाहिर है यह बड़ी खबर इस संदर्भ में है कि पाकिस्तान के साथ चीन खड़ा है। हालांकि इसका दूसरा पहलू ये है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे चीन के चंगुल में ऐसा फंस गया है कि अब वह निकलना भी चाहे तो मुश्किल है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए जो नीति अपनाई है उसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं। आतंकवाद के मामले पर दुनिया के सामने एक्सपोज हो चुका पाकिस्तान अब एक असफल राष्ट्र के तौर पर भी दुनिया के सामने आ चुका है।
आइये हम नजर डालते हैं कि पाकिस्तान को एक असफल राष्ट्र बनाने में पीएम मोदी की नीतियों की क्या भूमिका है…

चीन के कर्ज में फंस चुका पाकिस्तान
पाकिस्तान के घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए चीन ने अब 1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी है। ताजा कर्ज से एक बार फिर घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए चीन पर इस्लामाबाद की निर्भरता साफ तौर पर दिख रही है। मई 2017 में पाकिस्तान के पास 16.4 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था, जो बीते हफ्ते घटकर 9.66 अरब डॉलर रह गया है। पाकिस्तान चीन की गिरफ्त में जिस तरह से आ चुका है इसकी बानगी इसमें भी दिखी कि पाकिस्तान ने चीन से 1 से 2 अरब डॉलर का कर्ज मांगा था, लेकिन मिली सिर्फ एक अरब डॉलर। ताजा कर्ज के बाद अब जून में खत्म हो रहे वित्त वर्ष के दौरान चीन की तरफ से पाकिस्तान पर 5 अरब डॉलर का कर्ज हो गया है। यानि साफ है कि पाकिस्तान चीन के चंगुल में फंस चुका है।

पाकिस्तान का अकेला हमदर्द चीन
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से पाकिस्तान को एक्सपोज किया है वह विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़ चुका है। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर साथ छोड़ा तो वह अब पूरी तरह से चीन पर निर्भर हो गया है। बढ़ते व्यापार असंतुलन के बीच चीन सीपेक के जरिये पाकिस्तान में 57 अरब डॉलर का भारी-भरकम निवेश कर रहा है। जाहिर है वह पाकिस्तान से प्रेम के कारण नहीं बल्कि अपने व्यापारिक हितों को देख रहा है। चीन ने पहले ही पाकिस्तान से ग्वादर जैसा बंदरगाह भी अपने कब्जे में ले लिया है। यहां वह अपनी मुद्रा भी चला रहा है। जाहिर है पाकिस्तान अपनी साख खोने के साथ अपनी जमीन भी खोता जा रहा है।

FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट में डाला गया पाकिस्तान
28 जून को फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स ने आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ यानी संदिग्धों की सूची में डाल दिया। FATF को पाकिस्तान द्वारा सौंपा गया 26 सूत्री ऐक्शन प्लान भी काम नहीं आया। दरअसल पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि 37 सदस्य देशों वाले इस निकाय का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा। गौरतलब है कि पाकिस्तान के खिलाफ यह प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू हुई थी जब एफएटीएफ ने अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह के तहत निगरानी के पाकिस्तान के नामांकन को मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि पाकिस्तान द्वारा अपनी सीमाओं में आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने के खिलाफ भारत लगातार वैश्विक कार्रवाई किए जाने की मांग करता रहा है।

पाकिस्तानी रुपये का लगातार अवमूल्यन
भारत की अठन्नी के बराबर पाकिस्तान का एक रुपया हो गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया की कीमत 124 रुपये हो गई है। भारतीय रुपया अभी 67 रुपये का है। गौरतलब है कि पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपये का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तीन साल के निचले स्तर तक खिसक चुका है और इसका चालू खाता घाटा भी तेजी से बढ़ा है।

आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया है। इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुट रहने का वादा भी किया।

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