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देश हित में वैश्विक शक्तियों से भी टक्कर लेने में नहीं हिचकते प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब आत्मविश्वास से भरा हुआ है। बीते चार वर्षों में देश ने वो हैसियत हासिल कर ली है जो उसे कोई हल्के में नहीं ले सकता है। हालांकि एक दौर वह भी था जब भारत विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था, लेकिन आज उस पर दुनिया की कोई भी महाशक्ति दबाव नहीं बना सकती है। इसका ताजा उदाहरण चीन में सामने आया है। भारत ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव यानी BRI प्रोजेक्ट पर चीन द्वारा भारत से समर्थन मांगे जाने के बाद भी पीएम मोदी ने समर्थन करने से इनकार कर दिया।

बीआरआई प्रोजेक्ट पर प्रधानमंत्री मोदी की दो टूक से हैरत में चीन
भारत आठ देशों से शंघाई सहयोग संगठन का एकमात्र देश है जिसने चीन की बीआरआई का विरोध किया है। भारत ने चीन को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि वह दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे। गौरतलब है कि भारत के अलावा सभी देशों- रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान ने इसका समर्थन किया है। दरअसल भारत चीन की इस परियोजना का लगातार कड़ा विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है।

रूस से रक्षा समझौते पर पीएम मोदी ने अमेरिका को दिखाया आईना
अमेरिका भारत और रूस के हथियार समझौते का विरोध कर रहा है। उसने भारत को कई बार धमकी भी दी है। लेकिन रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद मोदी सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि रक्षा क्षेत्र में वह रूस के साथ अपना समझौता जारी रखेगा। भारत ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि रूस समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा है, इसलिए वह रूस के साथ है और वह वायुसेना के लिये एस-400 ट्रायंफ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सौदे को आगे बढ़ाएगा।

पाकिस्तान से रिश्तों पर रूस को वैश्विक मंच से पीएम मोदी की खरी-खरी
सितंबर 2016 में जब रूस की सेना संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए पाकिस्तान जाने वाली थी तो भारत ने रूस से कड़ा ऐतराज जताया था। इसका नतीजा यह रहा कि पीओके में प्रस्तावित युद्धाभ्यास बलूचिस्तान के बॉर्डर पर शिफ्ट हो गया। इसके बाद रूस ने भारत से वादा किया कि वह भारत की चिंताओं से वाकिफ है और भविष्य में ऐसे किसी भी तरह का कदम वह सोच-समझकर उठाएगा।

इजरायल से दोस्ती कर प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व समुदाय को दिया पैगाम
आजादी के 70 सालों में देश ने एक के बाद 15 प्रधानमंत्री देखे, लेकिन कोई प्रधानमंत्री इजरायल जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया। लेकिन जुलाई, 2017 में पीएम मोदी ने इजरायल का दौरा कर सभी कयासों को खत्म कर दिया। दरअसल इजरायल नहीं जाने के पीछे कांग्रेस की वोट बैंक की पॉलिटिक्स थी। कांग्रेस को हमेशा लगा कि इजरायल से संबंध बढ़ाने से अरब देश खफा हो जाएंगे। कांग्रेस के जेहन में यह भी रहा कि इजरायल से संबंध भारत में रह रहे मुसलमानों को भी पार्टी से दूर करेगा यानि राजनयिक संबंधों की डोर का एक सिरा घरेलू राजनीति के वोट बैंक से भी जुड़ गया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने देशहित को पहले देखा और वोट बैंक की राजनीति को धता बताते हुए इजरायल गए। इस दौरे का विशेष पहलू ये है कि न तो भारत ने अपनी विदेश नीति से कोई समझौता किया है और न ही अरब देशों से संबंध खराब होने दिए हैं। उल्टा यह हुआ है कि अरब देश भारत के और करीब आ गए हैं। 

कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों पर भारत ने दिया स्पष्ट संदेश
23 फरवरी, 2018 को जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो भारत दौरे पर आए तो उन्हें भारत के कड़े रुख का सामना करना पड़ा। पीएम मोदी ने ट्रूडो के साथ मीटिंग के बाद साफ-साफ कहा कि भारत की संप्रुभता और अखंडता को चुनौती देने वालों को बिल्कुसल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दरअसल कनाडा खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों का पनाहगाह बना हुआ है। इसलिए पीएम मोदी ने कनाडा को सख्त संदेश दिया। कनाडा ने भी भारत की चिंताओं को समझते हुए यह वादा किया कि भारत के खिलाफ किसी भी आतंकी गतिविधि को वह अपनी जमीन पर फलने-फूलने नहीं देगा।

बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन कर तोड़ा विदेश नीति का भ्रम
भारत का समर्थन मिलने के बाद बलूचिस्तान की आजादी का आंदोलन और तेज हो गया है। अमेरिका, यूरोप, जर्मनी और कनाडा में बलूचों के पाकिस्तान के विरुद्ध किए जाने वाले प्रदर्शनों की तादाद बढ़ गई है। पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित, बाल्टिस्तान में लोग सड़कों पर आ कर खुल कर स्वतंत्रता की मांग करने लगे हैं। दरअसल भारत की स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से अपने भाषण में बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया था। दरअसल पाकिस्तान को जैसे को तैसा वाला अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी ने घेर लिया है। कश्मीर को भारत से अलग करने का ख्वाब पाल रहे पाकिस्तान के सामने पहले बलूचिस्तान को बचाने की प्राथमिकता है। जाहिर है आज तक ऐसे मामलों में दबता रहा भारत आज मुखरता से अपनी बात कह रहा है और उसे लागू करवा रहा है तो इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को है।

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