प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के लिए 1,12,083 अतिरिक्त किफायती घरों के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है। इसपर 1,681 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ कुल 8,105 करोड़ रुपये का खर्च होगा। यह मंजूरी केंद्रीय अनुमोदन और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 28वीं बैठक में दी गई।
राज्य | आवास निर्माण |
मध्य प्रदेश | 34,680 |
हरियाणा | 24,221 |
महाराष्ट्र | 11,523 |
झारखंड | 28,477 |
केरल | 9,836 |
मिजोरम | 3,270 |
मध्य प्रदेश के लिए 520 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 3080 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 25 शहरों और कस्बों में 34,680 आवासों के निर्माण, हरियाणा के लिए 363 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 1,721 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 28 शहरों और कस्बों में 24,221 आवासों, महाराष्ट्र के लिए 173 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 860 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 11,523 आवासों के निर्माण, झारखंड के लिए 427 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 2080 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 5 शहरों और कस्बों में 28,477 आवासों, केरल के लिए 147 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 295 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 49 शहरों और कस्बों में 9,836 आवासों, मिजोरम के लिए 49 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से 65 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 7 शहरों और कस्बों में 3,270 आवासों के निर्माण की मंजूरी दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थी नेतृत्व निर्माण (बीएलसी) घटक के तहत 44,692 नए आवासों के निर्माण, बीएलसी के तहत हरियाणा में 1857 आवासों में सुधार और भागीदारी किफायती आवास (एएचपी) घटक के तहत झारखंड में 28477, हरियाणा में 13946 नए आवासों के निर्माण के लिए मंजूरी दी गई।
बीएलसी घटक के तहत मध्य प्रदेश में 16,104 नए आवास, केरल में 9836 आवास, महाराष्ट्र में 5131 आवास, मिजोरम में 3270 आवासों का निर्माण किया जाएगा। बीएलसी के तहत पात्र लाभार्थी को उसके मालिकाना हक की भूमि पर आवास निर्माण के लिए सहायता दी जाती है। सीएसएमसी की अंतिम मंजूरी के बाद पीएमएवाई(शहरी) के तहत कुल आवासों की संख्या 30,52,828 हो जाएगी। इसके अतिरिक्त आरएवाई योजना की परियोजनाओं को शामिल करने के बाद पीएमएवाई (शहरी) के तहत वित्त पोषित कुल आवासों की संख्या 31,94,676 होगी।
2022 तक सभी को मकान
2022 तक सभी के लिए मकान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को लेकर जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री आवास योजना के लागू हुए दो साल हो गए। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में करीब 1.2 करोड़ आवास मंजूर किया जाना है। इतना ही नहीं पिछले दो सालों में ही करीब 2.99 लाख घरों बन कर भी तैयार हो गए हैं।
37 हजार करोड़ खर्च करेगा केंद्र
शहरी क्षेत्र के लिए लागू प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार 37, 232 करोड़ रुपये सहायता देगी। आंध्र के 13.77 घरों के मंजूरी दी गई है और 4.20 लाख घरों के बनाने के प्रस्ताव को जमा भी कर दिया गया है। वहीं तमिलनाडु ने 3.32 लाख और गुजरात के 1.38 लाख मध्य प्रदेश के 2.83 लाख घरों को मंजूरी दी है। त्रिपुरा ने 50 हजार का प्रस्ताव भेजा था और 45,901 घरों को मंजूरी दे दी गई है। महाराष्ट्र, यूपी जैसे प्रदेशों में रफ्तार कम है लेकिन वहां भी तेजी लाने के प्रयास जारी है।
इस वित्त वर्ष में बनेंगे 12 लाख मकान
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में शहरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 12 लाख मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। पीएमएवाई के तहत केंद्र का 2018-19 में 26 लाख, 2019-20 में 26 लाख, 2020-21 में 30 लाख और 2021-22 में 29.80 लाख मकान बनाने का लक्ष्य है। जमीन अधिग्रण की अड़चनों की वजह से योजना रफ्तार नहीं पकड़ सकी थी, लेकिन अब 18.76 लाख मकानों के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है और 13.06 लाख मकानों के निर्माण के लिए धन भी जारी किया गया है।
ग्रामीण इलाकों में एक साल में हुआ रिकॉर्ड दस लाख घरों का निर्माण
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में एक साल में रिकॉर्ड दस लाख घरों का निर्माण किया गया है। इस योजना के तहत 31 मार्च 2019 तक एक करोड़ नये घरों का निर्माण सुनिश्चित किया जाना है। इनमें से 31 मार्च 2018 तक 51 लाख मकान बनाए जाने हैं। इस चुनौती को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 51 लाख आवास मार्च 2018 तक बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर कई कदम उठा रहा है। इसके लिए मासिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि आवासों का निर्माण किया जा सके। नवंबर, 2017 तक 10 लाख घर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लक्ष्य की अंतिम तिथि से पहले ही 29 नवंबर, 2017 को यह लक्ष्य पूरा कर लिया गया। आशा व्यक्त की जा रही है कि 31 दिसंबर, 2017 तक 15 लाख घरों का निर्माण हो जाएगा। 31 जनवरी, 2018 तक 25 लाख, 28 फरवरी, 2018 तक 35 लाख और 31 मार्च, 2018 तक 51 लाख घरों के निर्माण हो जाने की आशा व्यक्त की जा रही है।
मार्च, 2018 तक 51 लाख आवासों के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 56.90 लाख लाभार्थियों को मकानों की स्वीकृति दी गई है। 51.39 लाख लाभार्थियों को पहली किस्त मिल चुकी है। 31.03 लाख लाभार्थियों ने अपने आवासों की छत बना ली है और 16.05 लाख लाभार्थियों का गृह निर्माण लगभग समाप्ति की ओर है। छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लाभार्थियों की संख्या सर्वाधिक है। इन राज्यों के लोगों ने निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने आवासों का निर्माण किया है।
अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए निगरानी
बेहतर गुणवत्ता के आवासों के तेजी से निर्माण के लिए लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष हस्तांतरण के जरिए आईटी-डीबीटी के जरिए सहायता राशि मुहैया कराई गई है। बेहतर गुणवत्ता के घरों के निर्माण के लिए ग्रामीण मजदूरों और मिस्त्रियों को प्रशिक्षण दिया गया है। अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए घरों के निर्माण की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। लाभार्थियों के मकानों के निर्माण कार्य के विभिन्न चरणों पर नजर रखी जा रही है। राज्यों ने निर्माण सामग्री को रियायती दामों पर उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आवासों का निर्माण कार्य और उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हों। इन आवासों में शौचालय, एलपीजी कनेक्शन और पीने के पानी की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। कुछ राज्यों में इस योजना के तहत कलस्टर और कॉलोनियां भी बनाई गई हैं, जिससे आमतौर पर भूमिहीन लाभार्थी लाभांवित होंगे। इन आवासों का निर्माण दिल्ली के यूएनडीपी-आईआईटी ने किया है और संबंधित राज्यों के लाभार्थियों को यह सुविधा दी गई है कि वे अपनी पसंद के अनुरूप आवासों का डिजाइन चुन सकें।
PMAY ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
प्रधानमंत्री आवास योजना ने अब तक 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में निवेश किये गए हर 1 लाख रुपये पर 2.69 रोजगार लोगों को मिलते हैं। लगातार प्रयासों से यह आंकड़ा 4.06 तक पंहुचा जा सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1,10,753 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। अनुमान है कि इस पूरी योजना के तहत लगभग 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।
सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है।पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।