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पीएम मोदी के विरोध के लिए नकारात्मक राजनीति को परवान चढ़ा रहा विपक्ष

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स्वतंत्रता प्राप्ति के सात दशक बाद भी देश में नकारात्मक राजनीति ने अपनी जड़ें गहरे तक जमा ली हैं। कांग्रेस पार्टी समेत अधिकतर विरोधी दल इस राजनीति को लगातार हवा दे रहा है और देश का वातावरण खराब करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।

2 अप्रैल, 2018 को देश-प्रदेश की सड़कों पर जो दृश्य देखने को मिले वे अत्यंत दुखद हैं। एससी/एसटी एक्ट का नाम लेकर बड़ी साजिश के तहत जो ‘तांडव’ किया गया वह बेहद घृणित है। महिलाओं, बच्चों तक को इस हिंसक भीड़ ने निशाना बनाया, वाहनों को फूंका गया और कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। अब सवाल उठता है कि इस कुकृत्य के पीछे कौन है?

 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यह ट्वीट नकारात्मक राजनीति की अगली कड़ी है, जिसके तहत मोदी सरकार को गरीब-दलित विरोधी बताने का हर वक्त प्रयास होता रहा है। हालांकि सच्चाई यह है कि ये वही राहुल गांधी हैं जिन्होंने दलित समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनने में तमाम अड़चने पैदा की थीं। उनके सामने दलित वर्ग से आने वाली मीरा कुमार को खड़ा कर दिया, ताकि दलितों में आपस में ही टकराव बढ़ जाए।

बहरहाल जिस एससी/एसटी एक्ट को लेकर कांग्रेस समेत पूरा विरोधी खेमा मोदी सरकार को बदनाम करने पर तुला हुआ है, उसकी इस हकीकत को NCRB -2016 की रिपोर्ट के आईने में देखेंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि इनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है।

दलितों के विरूद्ध अपराध पर सजा दिलाने में भाजपा शासित राज्य सबसे आगे –

राज्य प्रतिशत
उत्तराखंड 57 
राजस्थान 44.5 
छत्तीसगढ़ 40.9 
उत्तर प्रदेश 55 
झारखंड 40.8

SC/ST के विरूद्ध सजा दिलाने में कांग्रेस शासित राज्य काफी पीछे

राज्य प्रतिशत
कर्नाटक 2.8 
आंध्र प्रदेश 3.2 
ओडिशा 3.3 
तमिलनाडु 7.7 

दूसरा आंकड़ा भी आप देख सकते हैं कि किस तरह से यूपीए सरकार में दलितों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़े हैं –

वर्ष  आंकड़े प्रतिशत
2010 32, 712 16.2
2011 33, 719 16.7
2012 33,655 16.7
2013 39,408 19.6

यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यूपीए सरकार के दौरान के ये वे आंकड़े हैं जिनकी रिपोर्टिंग थानों तक पहुंची है। हालांकि ऐसे हजारों मामले हैं जो यूपीए सरकार के दौरान दर्ज भी नहीं किए जाते थे। वहीं जब से केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कमान संभाली है, उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर मामले की एफआईआर दर्ज की जाए। अगर आंकड़ों के आईने में देखें तो दलितों के विरूद्ध अपराध में लगातार गिरावट आ रही है। 2014 – 47064 मामले दर्ज किए गए तो 2015 में 45,003 और 2016 में 40, 801 मामले दर्ज किए गए।

2014 में जब देश के सभी वर्गों के साथ दलित वर्ग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में अपना भरपूर भरोसा जताया था। संसद के सेंट्रल हॉल में 20 मई, 2014 को उन्होंने खुलेआम कहा था कि उनकी सरकार देश के दलितों-गरीबों को समर्पित सरकार होगी। उन्होंने तब कहा था-

”इस चुनाव में सबसे बड़ा काम यह हुआ है कि भारत का सामान्य से सामान्य नागरिक की भी लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है। सरकार वह हो जो गरीबों के लिए सोचे, सरकार गरीबों को सुने, गरीबों के लिए जिए, इसलिए नई सरकारदेश के गरीबों को समर्पित है। देश के युवाओं, मां-बहनों को समर्पित है। यह सरकार गरीब, शोषित, वंचितों के लिए है। उनकी आशाएं पूरी हो, यही हमारा प्रयास रहेगा।”

गरीब, दलित, वंचित वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 46 महीनों में ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीति पर चलते हुए दलितों और गरीब वर्ग के हितों पर विशेष ध्यान दिया है। जिस एससी/एसटी एक्ट को आधार बनाकर इतना बवाल किया जा रहा है उसकी हकीकत ये है कि मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम 2015 के माध्यम से और सशक्त कर दिया है-

    • संशोधन के बाद एससी-एसटी पर अत्याचार की 15 श्रेणियों का इजाफा हुआ है। पहले अत्याचार की व्याख्या 22 श्रेणियों में की गई थी।

• इसमें सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक आधार पर बहिष्कार को जोड़ा गया है।

• अब ट्रायल प्रोसिडिंग, नोटिस जैसी हर प्रक्रिया की जानकारी पीड़ित पक्षकार ले सकता है। यह कोर्ट की जिम्मेदारी होगी कि जानकारी मुहैया की जाए।

• पीड़ित पक्षकार हर स्टेज पर विरोध कर सकता है और जरूरत समझे जाने पर गवाहों को गुप्त भी रखा जायेगा।

• हर पुलिस प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिग अनिवार्य होगी। अन्वेषण अधिकारी और एसएचओ की जिम्मेदारी निश्चित की गई है।

• जानबूझ कर अधिकारी लापरवाही करता है, तो प्रशासनिक अधिकारी की जांच के बाद एक साल अधिकतम सजा का प्रावधान भी जोड़ा गया है।

• चार्टशीट पहले 30 दिन में लगाई जाती थी, संशोधन में इसकी अवधि बढ़ाकर अब 60 दिन की गई है।

• अब दो महीने में अन्वेषण पूरा करना जरूरी होगा। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो बताना होगा कि ऐसा किन परिस्थितियों में हुआ है।

• अब हर जिले में विशेष कोर्ट बनेंगी, जिनमें सिर्फ एससी-एसटी से जुड़े मामलों की सुनवाई होगी।

• एससी/एसटी के सदस्य को आहत करने, उन्हें दुखद रूप से आहत करने, धमकाने और उपहरण करने जैसे अपराधों को, जिनमें 10 वर्ष के कम की सजा का प्रावधान है।

एससी/एसटी कानून को मजबूत करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने हर स्तर पर एससी/एसटी को सशक्त बनाने की नीति बनाई है। 

आइये हम ऐसे ही कुछ खास तथ्यों पर नजर डालते हैं-

  • 31 मार्च 2017 तक दलितों (SC/ST/OBC) के लिए 2, 25 00, 194 मुद्रा खाते खुले, जो कुल मुद्रा खातों का 57 प्रतिशत है।
    • मुद्रा योजना के तहत SC/ST समुदाय के लोगों को 67,943.39 करोड़ का लोन आवंटित किया गया।
    • मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की है, जो अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों को हर संभव मदद करती है।
    • सरकार ने एक नीति बनाई है कि मंत्रालयों या PSUs में जो भी वस्तुएं खरीदी जाएं उनका कम से कम 4 प्रतिशत खरीददारी अनुसूचित जाति/जनजाति इकाइयों से हो।
    • प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत एक करोड़ गरीबों को पक्के मकान देने की तैयारी है।
    • स्टैंडअप योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
    • हर बैंक को कहा गया है कि वह स्टैंडअप योजना के तहत यह सुनिश्चित करे कि दलित, पिछड़े और महिलाओं को खोज कर इस स्कीम से उन्हें जोड़ें।
    • 163 प्राथमिकता वाले जिलों (जनजातीय बहुल) में से प्रत्येिक में एक बहु-कौशल संस्था3न की स्थाकपना की योजना बनाई गई है।
    • वर्ष 2017-18 के बजट में जनजातीय मंत्रालय के बजट में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
    • अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए देशभर में 1205 आश्रम स्कूलों के निर्माण के लिए धनराशि उपलब्ध कराई है। इन स्कूलों में करीब 1,15,500 सीटों की व्यवस्था की गई है।
    • पिछले साढ़े तीन वर्षों में 51 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय शुरू हो चुके हैं।
    • नौंवी और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले एसटी के लगभग 10 लाख छात्रों को प्रति वर्ष प्री- मैट्रिक छात्रवृत्तियों के रूप में लगभग 200 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
    • एसटी के लगभग 20 लाख छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष पोस्ट – मैट्रिक छात्रवृत्तियों के रूप में लगभग 750 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
    • 30.69 करोड़ से ज्यादा गरीबों और आदिवासियों प्रधानमंत्री जन धन खातों के माध्यम के जरिये बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब को दी सच्ची श्रद्धांजलि

  • 14 अप्रैल, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर उनके जन्म स्थान मध्य प्रदेश के महू में उन्हें श्रद्धांजलि दी। ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने जो उनके जन्म स्थान पर गए।
    • प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर नवंबर, 2015 में भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का लंदन स्थित वह तीन मंजिला बंगला खरीद लिया गया जिसमें वे 1920 के दशक में एक छात्र के तौर पर रहे थे।
    • 30 दिसंबर, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के बाद देश बदलने की जो शुरुआत भीम ऐप से की, उसे भी बाबा साहेब के नाम पर ही समर्पित किया।
    • प्रधानमंत्री मोदी की पहल से 14 अप्रैल 2016 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई।
    • 11 अक्टूबर, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने आंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखी। मुंबई के इंदु मिल के साढ़े 12 एकड़ में बनने वाले इस स्मारक पर 4 अरब रुपये से अधिक खर्च होंगे।
    • 7 दिसंबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी दिल्ली में बी आर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र का उद्घाटन किया।
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के 125वीं जयन्ती वर्ष समारोह के तहत 125 रूपए और 10 रूपए के स्मारक सिक्के जारी किए।
    • आंबेडकर की जन्मस्थली महू, मुंबई में इन्दु मिल चैतन्य भूमि पर स्मारक, नागपुर में दीक्षास्थल, दिल्ली में बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण स्थल और 15 जनपथ पर स्मारक को ‘पंचतीर्थ’ में योजना में रखकर विकास किया जा रहा है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी नीतियों में अंत्योदय को प्राथमिक स्थान देते हैं और दलित वर्ग के उत्थान के साथ उन्हें सशक्त बनाने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस हमेशा छोटी-मोटी घटनाओं पर भी राजनीतिक लाभ लेने के लिए गिद्धों की तरह टूट पड़ती है।

पिछले चार वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने देश के बहुसंख्यक समुदाय में विभाजन के लिए तमाम चालें चली हैं। रोहित वेमुला प्रकरण हो या फिर पशु वध क्रूरता अधिनियम, कांग्रेस ने राहुल गांधी की अगुआई में हमेशा समाज में विभाजन की रेखा खींची है। हालांकि देश के दलित वर्ग ने कांग्रेस के इस खेल को अच्छी तरह से पहचान लिया है और 2014 के बाद हर चुनाव में उन्हें लगातार खारिज किया है।

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