Home समाचार आयुष्मान भारत: एक साल में हुआ 45 लाख लोगों का मुफ्त इलाज

आयुष्मान भारत: एक साल में हुआ 45 लाख लोगों का मुफ्त इलाज

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के गरीब-वंचितों की स्थिति सुधरी है और वे खुशहाल हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की आयुष्मान भारत योजना उनके लिए वरदान साबित हो रही है। देश भर में बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना कमजोर वर्गों के लिए कैशलेस उपचार सुनिश्चित करके स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति ला रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि आयुष्मान भारत स्कीम में सालभर के भीतर 7500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं और 45 लाख लोगों का इलाज हुआ है। उन्होंने कहा, ‘एबी-पीएमजेएवाई के प्रारंभ होने के बाद से 45 लाख से अधिक लोगों ने गंभीर बीमारियों के लिए 7500 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक राशि के कैशलेस उपचार का लाभ उठाया है।’

45 लाख से अधिक लोगों ने उठाया कैशलेस उपचार का लाभ
आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से लाभ पाने वाले लोगों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के प्रारंभ होने के बाद से 45 लाख से अधिक लोगों ने गंभीर बीमारियों के लिए कैशलेस उपचार का लाभ उठाया है। इसके साथ ही अब तक 10 करोड़ 19 लाख से अधिक लाभार्थियों को योजना के तहत ई-कार्ड जारी किये गये हैं। योजना के तहत 18,097 अस्पताल को जोड़ा गया है। इसमें से 50 प्रतिशत निजी अस्पताल हैं। अब प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज करने वाले अस्पतालों के प्रदर्शन पर नजर रखी जाएगी। प्रदर्शन के आधार पर उन्हें स्टार रेटिंग दी जाएगी

आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी की आयुष्मान भारत योजना किस तरह गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है-

11 साल से दिल की बीमारी से पीड़ित रोमा के लिए वरदान बनी योजना
उत्तर प्रदेश में दुबग्गा की 11 साल से दिल की बीमारी से पीड़ित 23 वर्षीय रोमा की सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के तहत हुई। पीड़ित की मां रामरती के मुताबिक यह योजना उनके परिवार के लिए वरदान साबित हुई, क्योंकि पैसों के अभाव के चलते रोमा की सर्जरी 11 साल से टल रही थी। रामरती का कहना है कि अब पैसों के अभाव में किसी गरीब के बच्चों का इलाज नहीं रुकेगा। ये सिर्फ एक योजना नहीं गरीबों के लिए वरदान है। सर्जरी के बाद रोमा के दिल का छेद भर गया है और अब वह गांव में सबको आयुष्मान योजना के बारे में जागरूक कर रही है।

गरीब मरीज का मुफ्त हुआ दूरबीन से आंत का आपरेशन
हाल ही में उत्तर प्रदेश के ललितपुर में आयुष्मान भारत योजना के तहत पहली बार गरीब मरीज का दूरबीन से आंत का आपरेशन किया गया। आंत का ऑपरेशन दिल्ली और अन्य अस्पतालों में अधिक मंहगा पड़ता है। इसका खर्च महानगरों में करीब ढाई लाख रुपये आता है, लेकिन आयुष्मान भारत योजना का लाभार्थी होने के कारण मरीज का निशुल्क ऑपरेशन हो गया। अमर उजाला की खबर के अनुसार ललितपुर जिले के पाली तहसील के जमनी का इस योजना के अंतर्गत आंत का सफल ऑपरेशन किया गया। 45 साल के जमनी काफी दिनों से आंत उतरने के कारण पेट के दर्द से परेशान थे। पैसों के अभाव में वे ऑपरेशन नहीं करा पा रहे थे। ऐसे में आयुष्मान भारत योजना उनके लिए वरदान साबित हुई। योजना के तहत उनका उपचार किया गया और पहली बार दूरबीन पद्धति से सफल ऑपरेशन जिला अस्पताल में ही किया गया। ऑपरेशन के दो दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

गरीबों और मजदूरों की हमदर्द साबित हो रही है योजना
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की पचास वर्षीय भूरी के पति ई-रिक्शा चालक हैं। उसका पूरा परिवार मेहनत-मजदूरी कर अपना पालन-पोषण करता है। दो वक्त की रोटी ही मुश्किल से मयस्सर थी, भूरी को पेट में रसौली हुई तो परिवार इलाज में होने वाले खर्च को लेकर बेहद परेशान हो गया। ऐसे में, मोदी सरकार की योजना ‘आयुष्मान भारत’ काम आई। इस योजना के तहत भूरी का ऑपरेशन हुआ और घर भी बिना किसी परेशानी के चलता रहा। आयुष्मान योजना ने ऐसे कई लोगों की मदद की है, जिनके पास इलाज के पैसे नहीं थे। इनमें ही एक और नाम है फौजिया। इनकी उम्र करीब 35 साल है। एक रात अचानक पेट में दर्द उठा तो इलाज के परिजन परेशान हो गए। ऐसे में, परिजनों की राह आयुष्मान भारत के गोल्डन कार्ड ने आसान कर दी। इस कार्ड के जरिए मामूली खर्चे पर न सिर्फ इनका इलाज हो गया बल्कि दवाएं भी मुफ्त में मिल गईं। ऐसे लाखों मरीजों की जिंदगी में खुशहाली लाने का काम किया है, मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना ने।

आयुष्मान भारत योजना के कारण बच गई जान
झारखंड की बात करें तो वहां भी आयुष्मान योजना से गरीबों को बहुत लाभ मिल रहा है। जमशेदपुर के पास पोटका स्थित हल्दीपोखर निवासी गुरुपदो मोदो नामक मजदूर की जान आयुष्मान भारत योजना के कारण बच गई। गुरुपदो मोदो को दो साल पहले सीने में ट्यूमर होने के बारे में पता चला। इलाज के लिए ढाई लाख रुपये का खर्च बताया गया, लेकिन पैसा नहीं होने के कारण वह इलाज नहीं करा सका। वह दो साल से इलाज के लिए कोलकाता से दिल्ली के बीच भटक रहा था। ऐसे में, मोदी सरकार की ओर से आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड संजीवनी बनकर उसके घर पहुंचा और उसका इलाज संभव हो सका। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार ट्यूमर का आकार बड़ा होने की वजह से एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है।

आइए जानते हैं, आखिर क्या है आयुष्मान भारत योजना और कौन लोग ले सकते हैं इस योजना का लाभ।  

आयुष्मान योजना से ‘आयुष्मान भव’ के आशीर्वाद को जन-जन तक पहुंचा रही है मोदी सरकार
23 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची से प्रधानमंत्री के द्वारा प्रारंभ की गई यह योजना देश के करीब 50 करोड़ लोगों को लक्ष्य करके बनाई गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस योजना की शुरुआत गरीबों और समाज के वंचित वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।

10 करोड़ गरीब परिवारों को मिला है स्वास्थ्य-सुरक्षा कवर
आयुष्मान भारत योजना अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है। दुनिया में मोदी केयर के नाम से विख्यात इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों यानी 50 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये के सालाना चिकित्सा बीमा की सुविधा मिल रही है। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देती है। इसके लिए मोदी सरकार ने देश भर में चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ करने की भी योजना बनाई है, जिसके तहत 1.5 लाख वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं। 

कुल 1350 बीमारियों का इलाज
आयुष्मान भारत योजना के तहत 1350 बीमारियों का इलाज हो रहा है। यह योजना हार्ट अटैक और कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों में राहत दिलाने में बेहद काम आएगी। इलाज के दौरान दवा, मेडिकल जांच (एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई समेत कई जांच) पूरी तरह से नि:शुल्क होगी। पहले चरण में समाज के वंचित, पिछड़े, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। योजना के अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना में चिह्नित परिवारों के अलावा स्वत: सम्मिलित श्रेणियों एवं शहरी क्षेत्र की 11 कामगार श्रेणियों के तहत आने वाले लोग, जैसे कचरा उठाने वाले और फेरी वालों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान के अंतर्गत पात्र परिवार के सभी सदस्य योजना के पात्र होंगे, यानी सदस्यों की संख्या, आयु सीमा जैसी कोई भी बाध्यता नहीं होगी।

देश के नागरिक स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा। जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं का यही मूलमंत्र रहा है। इस सरकार ने हेल्थ सेक्टर में ऐसे कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनसे स्वास्थ्य को लेकर देशवासियों की चिंताएं पहले से कहीं कम हो गई हैं। एक नजर डालते हैं उन कदमों पर-

स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 Pillar पर फोकस
जनसामान्य का स्वास्थ्य देश के उन मुद्दों में से है जिनकी व्यापकता सबसे अधिक है। इसके बावजूद दशकों तक इस धारणा को खत्म करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए कि हेल्थ सेक्टर के लिए सब कुछ स्वास्थ्य मंत्रालय ही करेगा। मोदी सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

  1. Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
  2. Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
  3. Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
  4. Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।

इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।

स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। देश में पांच वर्षों से भी कम समय में 10 करोड़ से अधिक घरो में शौचालय के निर्माण हुए। 

योग बना जन आंदोलन
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। भारत समेत पूरी दुनिया अब चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी में जुटा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष योजना बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च की गई। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों – डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके। देश में आज 6.7 प्रतिशत की दर से संपूर्ण टीकाकरण होने लगा है जो दर पूर्ववर्ती सरकार में एक प्रतिशत थी।

बच्चों और माताओं के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य है बच्चों और माताओं को सही पोषण देना। इस मिशन को करीब 9 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ शुरू किया गया है। बच्चों को तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य के साथ ही इस मिशन के अंतर्गत आवश्यक पोषण और प्रशिक्षण, खासकर माताओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।

बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार के बजट में वेलनेस सेंटर पर भी जोर है। सरकार का प्रयास है कि देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर बने। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों।

जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। देश भर में 3000 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहां 800 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।

हार्ट स्टेंट और Knee Implants की कीमत पहले से कहीं कम
अब हार्ट स्टेंट लगवाना और घुटना प्रत्यारोपित करवाना पहले से कही अधिक सस्ता हो गया है। हृदय रोगियों के लिए हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। दवा लगे स्टेंट (DES) की कीमत अब करीब 28 हजार रुपये पड़ती है। देश में 95 प्रतिशत दिल के मरीजों के लिए DES का ही इस्तेमाल होता है। वहीं सरकार के प्रयासों से Knee implants के दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।

मेडिकल संस्थानों में सीटें बढ़ीं, नए संस्थानों की भी स्थापना
देश के कई हिस्सों में विशेषकर गांवों में जो डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है उसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो मेडिकल में 52 हजार अंडरग्रैजुएट और 30 हजार पोस्ट ग्रैजुएट सीटें थीं। अब देश में 85 हजार से ज्यादा अंडरग्रैजुएट और 46 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट सीटें हैं। इसके अलावा देश भर में नए एम्स और आयुर्वेद विज्ञान संस्थान की स्थापना की जा रही है।सरकार तीन संसदीय सीटों के बीच में एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण की योजना पर भी काम कर रही है। जाहिर है सरकार के इन प्रयासों का सीधा लाभ युवाओं के साथ ही देश की गरीब जनता को भी मिलेगा।

डॉक्टरों के लिए दुर्गम क्षेत्रों में भी सेवाएं देना अनिवार्य
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी अच्छे डॉक्टर उपलब्ध हों, इसके लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में कुछ सुधार किए। अब स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सभी चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से दो साल दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देनी होगी। भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में बदलाव करके स्‍नातकोत्‍तर डिप्‍लोमा पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें सरकारी सेवारत ऐसे चिकित्‍सा अधिकारियों के लिए आरक्षित कर दी हैं, जिन्होंने कम से कम 3 वर्ष की सेवा दुर्गम क्षेत्रों में की हो। वहीं, स्‍नातकोत्‍तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन कराने के लिए प्रवेश परीक्षा में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा के लिए प्रति वर्ष के लिए 10 प्रतिशत अंक का वेटेज दिया जाएगा।

सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।

मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मलेरिया मुक्त भारत की योजना
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।

घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।

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