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प्रधानमंत्री मोदी ने किए कई ऐसे काम जो पहले कोई पीएम नहीं कर सका

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देश की आजादी के बाद के सात दशकों में किसानों, युवाओं और महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए सभी सरकारों ने कई नीतियां बनाई, लेकिन उन नीतियों को लागू करके, अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का काम उस शिद्धत से कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका जितना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में किया। इस तथ्य को समझने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साढ़े चार साल में किए गये उन कामों को देखना होगा जो समाचार पत्रों और टेलिविजन चैनलों की हेडलाइन नहीं बनी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य प्रधानमंत्रियों की तुलना में बड़ी लाइन जरूर खींच दी।

कार्यसंस्कृति में बदलाव 

26 मई 2014 को पदभार ग्रहण करने के साथ ही सबसे बड़ा बदलाव केन्द्र सरकार के कार्यालयों में काम काज करने के तरीके में किया। पीएम मोदी ने अधिकारियों और कर्मचारियों को नियत समय पर कार्यालय में आने के अनुशासन को लागू किया। इसके साथ ही फाइलों के मूवेंट की नेट के माध्यम से मॉनीटरिंग को भी शुरू किया। इन दो छोटे परन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण कदमों से केन्द्र सरकार के कामकाज में तेजी के साथ-साथ, अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय हुई। एक अन्य छोटे से कदम ने सरकारी कार्यालयों के वातावरण में सकारात्मक बदलाव किया, वह कदम था सभी मंत्रालयों और केन्द्रीय कार्यालयों में साफ सफाई। जहां पहले दीवारें और आने-जाने के रास्ते गंदे और अस्त-व्यस्त होते थे, वे साफ सुथरे और व्यवस्थित हुए।

अधिकारियों से सीधे संवाद

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रशासनिक अनुभव का भरपूर फायदा उठाते हुए, प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों से सीधा संवाद स्थापित किया और उन्हें एक टीम के रूप में संगठित किया। प्रधानमंत्री मोदी भलीभांति जानते थे कि अधिकारियों और मंत्रियों की एक संगठित टीम के बल पर ही देश में वो बदलाव संभव हैं, जिसका वादा उन्होंने देश की 125 करोड़ जनता से चुनावों के दौरान किया है।

केन्द्रीय मंत्रालयों और कार्यालयों में बिचौलियों पर पाबंदी

पूर्व की सरकारों के दौरान मंत्रालयों और केन्द्रीय कार्यालयों में किसी भी व्यक्ति का आना-जाना बेरोक-टोक हुआ करता था। इन आने-जाने वालों में पत्रकारों से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों और ठेकेदारों के नुमाइंदे हुआ करते थे, जो अधिकारियों और मंत्रियों से सीधे मिलकर अपना मनचाहा काम करा लिया करते थे। कांग्रेसी संस्कृति में इन बिचौलियों का बोलबाला था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह के सभी बिचौलियों के आने जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। इसे लागू करने के लिए कार्यालयों में सुरक्षा उपकरणों जैसे कैमरे, स्कैनर इत्यादि लगाए गए। इन बिचौलियों पर रोक लगने से भ्रष्टाचार के एक तरीके को पूरी तरह से खत्म कर दिया।

योजनाओं को पूरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित किया

देश के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ, जब किसी प्रधानमंत्री ने योजना को बनाने के साथ-साथ उस योजना को लागू करने की समय सीमा निर्धारित की। इससे पहले की सरकारों में योजनाएं तो बन जाती थीं, लेकिन उनको पूरा करने की कोई समय सीमा नहीं होती थी, इसलिए देश में दशकों से किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए बनी योजनाए फाइलों में ही दम तोड़ देती थीं। जन-धन योजना, स्वच्छता मिशन, उज्ज्वला योजना, उजाला योजना, सड़क योजनाएं इत्यादि सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समय सीमा निर्धारित की और उसे निर्धारित समय में पूरा भी कर दिया।

योजनाओं के क्रियान्यवन की स्वंय समीक्षा करना

प्रधानमंत्री मोदी, अधिकारियों और मंत्रियों की एक संगठित टीम के कामकाज की हर महीने समीक्षा करते हैं। इसके लिए वह तकनीक का सहारा लेते हैं।सूचना तकनीक पर आधारित Pro-Active Governance and Timely Implementation-PRAGATI के माध्यम से हर महीने किसी भी राज्य या मंत्रालय के अधिकारी से सीधे संवाद करके योजनाओं की समीक्षा करते हैं। इस दौरान उसमें आने वाली बाधाओं को तुरंत दूर करने का काम करते हैं।

देश के विकास से जनता को जोड़ने के लिए लगातार संवाद करना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजनाओं को एक समयसीमा में लागू करने के लिए एक प्रशासनिक टीम तो बनायी ही, साथ ही साथ जनता को भी इसमें शामिल करने के लिए, उनसे लगातार संवाद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो के माध्यम से सामाजिक संवाद में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया। हर महीने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जनता को सकारात्मक और देशहित के कार्यो से जोड़ने के लिए प्रेरित किया। देश के छात्रों, महिलाओं, खिलाडियों, वैज्ञानिकों, किसानों, डॉक्टरों, वकीलों, न्यायाधीशों इत्यादि से जब भी अवसर मिला सीधा संवाद किया और उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया।

देश के विकास के लिए हर क्षेत्र पर बराबर नजर रखना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यशैली की एक खास बात है कि उन्होंने देश को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए एकसाथ काम किया। उनकी नजर में किसानों की समस्याएं उतनी ही महत्वपूर्ण थीं, जितना परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों कीं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बेटियों से लेकर सीमा पर तैनात सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार काम किया। आज भी प्रधानमंत्री मोदी 125 करोड़ की आबादी और विविधाताओं से भरे देश की आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं।

पुरानी योजनाओं की समीक्षा और नई योजनाओं को लागू करना 

देश में पहले से चली आ रही सभी योजनाओं की नये सिरे से समीक्षा की और आज की जरुरत के हिसाब से बदलाव किया और जहां पर योजनाओं की कमी थी वहां नई योजनाओं को लागू किया ताकि किसान,सैनिक, युवा, महिला, मध्यम वर्ग, दलित शोषित आदि विकास की धारा में शामिल हो सकें। किसानों के लिए बीज से लेकर बाजार तक की समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाओं को लागू किया, वहीं देश की सुरक्षा कर रहे सैनिकों के लिए साजो सामान, धन और इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था करने वाली योजनाओं को लागू किया। रियल स्टेट में चले आ रहे सारे गोरखधंधों को बंद करने और साफ-सुथरी व्यवस्था स्थापित करने के लिए रेरा जैसे जोखिम भरे कानून को लागू किया। यही नहीं देश के हर भूभाग के आर्थिक विकास के लिए वहां की प्राकृतिक संपदा और सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने वाली योजनाएं लागू कीं।

राजनीतिक जोखिम वाले लेकिन देशहित में निर्णय लिए

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और कालेधन को समाप्त करके आर्थिक गतिविधि को पारदर्शी तरीके से पटरी पर लाने के लिए नोटबंदी जैसे राजनीतिक जोखिम से भरे निर्णय लेने में भी पीछे नहीं हटे, क्योंकि देश के लिए सिर्फ यही एक रास्ता हितकारी था। इसके आलावा देश की पेचीदा और मकड़जाल वाली इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था को खत्म करना और जीएसटी को लाने का भी राजनीतिक जोखिम लेने से पीछे नहीं हटे। देश की सुरक्षा के लिए डोकलाम पर चीन के साथ संघर्ष हो या पाकिस्तान पर आतंकवादी घटनाओं के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करनी हो, किसी भी मोड़ पर देश हित को सबसे ऊपर रखकर निर्णय लिया।

बहुसंख्यक ‘हिन्दू’ के राजनीतिक महत्व को स्थापित किया

देश की आजादी के सात दशकों में यह पहला अवसर है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने विचारों और व्यवहार से देश में हिन्दुओं के राजनीतिक महत्व को स्थापित कर दिया है। आज से पहले की राजनीति में और राजनीतिक दलों में  बहुसंख्यक’हिन्दू’ को अल्पसंख्यक ‘मुस्लिम’ की तुलना में कोई महत्व नहीं मिलता था। आज प्रधानमंत्री मोदी की छवि और कार्यशैली का ही प्रभाव है कि देश का कोई भी राजनीतिक दल राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का सीधा विरोध करने की हिम्मत नहीं रखता है। एक ऐसा भी दौर था जब कांग्रेस के नेता चुनाव के दौरान मंदिरों में जाने से दूर रहते थे, लेकिन आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी मंदिरों का दर्शन करने के लिए सिर्फ इसलिए जाना पड़ता है क्योंकि उनको भी हिन्दू आज राजनीतिक रुप से एकजुट और मजबूत दिखाई पड़ता है।

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