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प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरशाही में किया एक साथ मिलकर काम करने का आह्वान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के केवड़िया में देश के भावी नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा कि आम आदमी के जीवन में अहम बदलाव लाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने ‘फीडबैक’ दायरे का विस्तार करते हुए विरोधियों की राय एवं सलाह सुननी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘अधिकारियों को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना चाहिए और इससे सही नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।’ सिविल सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें प्रणाली में अलग-थलग रहकर काम करने और पदानुक्रम को हटाने की कोशिश करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अलग-थलग रहकर कार्य करने और पदानुक्रम से हमारी प्रणाली को कोई मदद नहीं मिलती है। हम चाहे जो भी हों, हम चाहे जहां भी हों, हमें राष्‍ट्र के लिए मिल-जुलकर काम करना है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 94वें सिविल सेवा फाउंडेशन कोर्स के 430 प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वास्‍तव में एक प्रशंसनीय बात है कि यह कोर्स 31 अक्‍टूबर को सरदार वल्‍लभभाई पटेल की जयंती पर आयोजित किया जा रहा है, जिन्‍हें भारतीय सिविल सेवाओं का जनक माना जाता है।

अपनी तरह के इस पहले सप्‍ताह भर चलने वाले अनूठे व्‍यापक फाउंडेशन कोर्स ‘आरंभ’ के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों ने 5 विषयगत क्षेत्रों जैसे कि कृषि एवं ग्रामीण सशक्तिकरण, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा संबंधी सुधारों एवं नीति निर्माण, टिकाऊ ग्रामीण प्रबंधन तकनीकों, समावेशी शहरीकरण और शिक्षा के भविष्‍य पर प्रस्‍तुतियां दीं। प्रधानमंत्री ने ‘आरंभ’ फाउंडेशन कोर्स को भविष्‍य पर केन्द्रित एक ऐसा पाठ्यक्रम बताया, जिसमें प्रशासन में व्‍यापक बदलाव लाने की अपार क्षमता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह पाठ्यक्रम ‘आरंभ’ राष्‍ट्र-केन्द्रित एवं भविष्‍य-केन्द्रित है। यह प्रशासन में इस तरह का व्‍यापक बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्‍त करेगा, जिसके तहत लोग अलग-थलग रहकर काम करना बंद कर देंगे। इसके विपरीत, लोग एक साथ मिलकर और व्‍यापक तरीके से काम करेंगे।’’ प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षुओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे चीजों को देखने के तरीके में बदलाव लाएं। उन्‍होंने कहा कि कभी-कभी शब्दावली में परिवर्तन भी परिप्रेक्ष्य को बदलने में मदद करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आइये, हम चीजों को देखने के तरीके में बदलाव लाएं। यहां तक कि कभी-कभी बदली हुई शब्‍दावली से भी मदद मिलती है। इससे पहले, लोग ‘पिछड़े जिले’ कहा करते थे। अब हम कहते हैं – आकांक्षी जिले। किसी भी पोस्टिंग को सजा वाली पोस्टिंग के रूप में क्यों देखा जाना चाहिए। क्‍यों नहीं इसे अवसर वाली पोस्टिंग के रूप में देखा जाना चाहिए।’

प्रशिक्षु अधिकारियों की प्रतिबद्धता एवं उनके नये विचारों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने उम्‍मीद जताई कि सर्वोत्‍तम वैश्विक तौर-तरीकों और प्रौद्योगिकियों पर आयोजित इस अनूठे प्रशिक्षण कोर्स से मिली ठोस जानकारियां नीति निर्माण और लोक प्रशासन में आगे इनके करियर में लाभप्रद साबित होंगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारतीय सिविल सेवा काफी हद तक सरदार पटेल का ऋणी है। यहां केवडि़या, जहां ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ स्‍थापित की गई है, में हम सभी को अपने देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा एवं शक्ति मिले। आइये, हम सभी भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की दिशा में ठोस कार्य करें।’

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