130 करोड़ नागरिकों के हिन्दुस्तान में मतदाताओं के मन में क्या है, क्या यह महज 10-12 हजार लोगों के सैंपल लेकर तय किया जा सकता है? इसलिए किसी के लिए भी यह समझना आसान है कि ऐसे सर्वे को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने जिन गौरवशाली ऊंचाइयों को छुआ है, वह ऐसे किसी भी सर्वे पर भारी पड़ने वाला है। आइए, जानते हैं कि क्यों सर्वे के ऐसे नतीजे असली चुनावी नतीजों के सामने नहीं टिकने वाले हैं।
बदली जन-जन की जिंदगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में बीते साढ़े चार वर्षों में देश ने उन उपलब्धियों को हासिल करके दिखाया है, जिनको लेकर कांग्रेस अपने छह दशक के शासन के दौरान हमेशा ही उदासीन रही। ‘जन धन’ और ‘उज्ज्वला’ से लेकर ‘मुद्रा’ और ‘सौभाग्य’ जैसी योजनाओं ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र को सिद्ध करके दिखाया है। मोदी सरकार में योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से देश का जनसामान्य अपनी जिंदगी में जिस बदलाव को महसूस कर रहा है, वह कांग्रेस के राज में उसके लिए संभव नहीं था। क्या जनता को जो महसूस हो रहा है, वह उसके विपरीत जाकर वोट करेगी?
जो 60 साल में नहीं, वह 4.5 साल में
देशवासियों के सामने इसकी स्पष्ट तस्वीर है कि मोदी सरकार ने कैसे साढ़े चार साल में ही कांग्रेस के छह दशकों से कहीं ज्यादा काम करके दिखा दिया। आजादी के 67 साल बाद तक देश में स्वच्छता का जो कवरेज महज 38 फीसदी था, वह मौजूदा सरकार के पहले ही कार्यकाल में शत प्रतिशत के करीब पहुंच गया है। कांग्रेस राज में जिस गैस कनेक्शन को लेकर राजनीतिक रोटी सेंकने का दौर था, वही गैस कनेक्शन मोदी सरकार में अब तक 6 करोड़ 15 लाख से अधिक महिलाओं को फ्री में बांटा जा चुका है। यही सरकार है जिसने करोड़ों छोटे उद्यमियों को बिना गारंटी लोन मुहैया कराने से लेकर हर गरीब को बैंक खाते का अधिकार दिलाया है। ऐसी दर्जनों सफल योजनाओं से जन-जन के दिल में उतरे प्रधानमंत्री मोदी की जगह देश आखिर किसी और को पसंद करेगा तो कैसे?
विश्व मंच पर स्थापित की भारत की साख
जरा ये भी सोचिए कि प्रधानमंत्री मोदी के सक्षम नेतृत्व के चलते पिछले साढ़े चार वर्षों में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी कैसी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है। यह प्रधानमंत्री मोदी की ही पहल थी, जो पूरी दुनिया सन् 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। उन्हीं की पहल पर इंटरनेशनल सोलर एलायंस का गठन हुआ। यह आतंक पर मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का ही नतीजा है कि भारत में आतंक आज अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। इतना ही नहीं आतंक का पालनहार पाकिस्तान विश्व मंच पर अलग-थलग पड़ चुका है। भारत के सामने पहली बार चीन की हेकड़ी की भी हवा निकली है, तो मोदी सरकार में ही। देश ही नहीं, जिस प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दुनिया आज भारत की शक्ति को महसूस कर रही है, क्या उसे कुछ सौ-हजार लोगों के सर्वे से तौला जा सकता है?
वादों को हकीकत में बदलने वाली सरकार
कांग्रेस के दौर में देश ने शायद ही कभी यह अनुभव किया हो कि गरीबी हटाओ’ का नारा हकीकत में भी तब्दील हुआ हो। मोदी सरकार की तमाम योजनाओं के केंद्र में ना सिर्फ देश के गरीब और वंचित हैं बल्कि उन्हें सरकारी स्कीमों का सौ के सौ प्रतिशत लाभ भी मिल रहा है। बिचौलियों का दौर समाप्त हो चुका है और सरकार व जनता में प्रत्यक्ष नाता है। यह मोदी सरकार है जिसने किसानों के एमएसपी को डेढ़ गुना करने का फैसला ले करके दिखाया। वहीं जनता यह भी देख रही है कि कांग्रेस किस प्रकार से सत्ता के लिए किसानों की कर्जमाफी के झूठे वादे करती है। कांग्रेस ऐसी ही करतूत करती आई है। यही वो वजह है जिसके चलते पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके अपने ही चुनाव क्षेत्र अमेठी के किसानों ने उन्हें भारत छोड़कर इटली जाकर बसने को कह दिया।
बस सर्वे के नतीजों से खुश हो लें विरोधी!
कारोबार हो या सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व के सबसे भरोसेमंद देशों में से एक बना है। पिछले दिनों आई एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 की रिपोर्ट ने भी इसकी तस्दीक की है। मोदी सरकार में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत 65 पायदान की छलांग लगाकर 77वें नंबर पर पहुंच चुका है और अब टॉप-50 में जाने की तैयारी है। मौजूदा सरकार में ही भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल हुआ है। ऐसी न जानें कितनी सारी उपलब्धियां हैं, जो देश को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में प्राप्त हो रही हैं। 130 करोड़ देशवासी और 90 करोड़ मतदाता इसके गवाह हैं। असली चुनावी नतीजे इन्हीं के आधाार पर आएंगे। तब तक 10-12 हजार के सैंपल के आधार पर आने वाले सर्वे के नतीजों से प्रधानमंत्री मोदी के जिन विरोधियों को खुश होना है, हो सकते हैं।