Home समाचार आत्मा गांव की हो, सुविधाएं शहर की- मोदी

आत्मा गांव की हो, सुविधाएं शहर की- मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला दिवस के मौके पर महिला सरपंचों को संबोधित करते हुए भ्रूण हत्या रोकने, बेटे की तरह बेटियों को अवसर देने और पूरी जागरुकता के साथ सरकारी अभियानों को लागू कराने में आगे आने की अपील की। प्रधानमंत्री ने गांवों का जन्म दिन मनाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गांवों को ऐसा बनाया जा सकता है कि आत्मा गांव की हो, सुविधाएं शहर की।

स्वच्छता समाज का स्वभाव बने
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता महज अभियान भर नहीं है। इसे समाज का स्वभाव बनाने की जरूरत है। गांवों के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने गांवों का जन्मदिन मनाने का भी आह्वान किया।

गांवों का हो जन्मदिन
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन गांवों को पता नहीं कि उनका जन्म दिन क्या है, उन्हें भी बैठकर एक दिन निश्चित कर लेना चाहिए। जन्म दिन पर उन सभी लोगों को बुलाना चाहिए जो गांव से बाहर रह रहे हैं। उस दिन बड़े-बूढ़ों का सम्मान करना चाहिए, पौधों लगाने के लिए कहना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “पूरा गांव प्राणवान बन जाएगा, जीवंत गांव बन जाएगा।”

गांवों की प्राकृतिक रक्षा हो
प्रधानमंत्री मोदी ने गांवों की प्राकृतिक रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि गांवों को ऐसा बनाया जा सकता है कि आत्मा गांव की हो, सुविधा शहर की हो। श्री मोदी ने कहा,” हम ऐसा गांव क्यों न बनाएं कि शहर में रहने वालों के भी मन कर जाएं कि एक छोटा सा घर गांव में भी बनाएं और कभी हफ्ते में एक-दो दिन रह जाएं।”

महिलाओं ने कई भ्रम तोड़ दिए
स्वच्छता शक्ति सम्मान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन महिलाओं ने भी ये सम्मान पाया है उनके योगदान को देखकर कई बातें साफ हो गयी हैं। इन महिलाओं ने उन लोगों का भ्रम तोड़ दिया है जो ये मानते थे कि पढ़े लिखे लोग ही ये काम कर सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, “जो अपनी भाषा के सिवा कोई भाषा भी नहीं जानते, उन बहनों ने भी स्वच्छता के मकसद को अंजाम दिया है।“

मानसिकता में बदलाव की जरूरत
प्रधानमंत्री ने मानसिकता में बदलाव की जरूरत बताते हुए शास्त्रों के जरिए बताया कि बेटियां हमारे समाज में कितनी अहम रही हैं।
यावत गंगा कुरूक्षेत्रे, यावत तिष्ठति मेदिनी
यावत सीता कथा लोके, तावत जीवेतु बालिका
श्री मोदी ने इसका अर्थ समझाते हुए कहा कि जब तक गंगा, कुरूक्षेत्र, हिमालय है, जब तक सीता की गाथा इस लोक में है। बालिका तुम तब तक जीवित रहो, तुम्हारा नाम तब तक दुनिया याद रखेगी।

भ्रूण हत्या रोकने में सरपंच की भूमिका बड़ी
श्री मोदी ने कहा कि भ्रूण हत्या रोकने में महिला सरपंच बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। महिला सरपंच गांव में बहुओं पर जुल्म जैसे मामलों में भी रक्षक बनकर खड़ी हो सकती हैं। वह बच्चियों को स्कूल नहीं भेजने जैसी प्रवृत्तियों के खिलाफ भी जागरुकता पैदा करने का काम कर सकती हैं। श्री मोदी ने कहा, “1000 बेटों के सामने 800, 850 बेटियां हों, इस दुर्दशा को बदलना होगा। इस पाप को खत्म करना होगा।”

गांवों के लिए 2 लाख करोड़ कम नहीं होते
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के बाद आज 2 लाख करोड़ रुपया सीधे-सीधे गांवों में जाता है। ये छोटी रकम नहीं है। श्री मोदी ने महिला सरपंचों से कहा,” आप गांव के अंदर अगर निर्धारित करें कि 5 साल में ये 25 काम करने हैं तो आप आराम से कर सकती हैं। सफलतापूर्वक कर सकती हैं।”

सफाई से होता है आर्थिक लाभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि गंदगी के कारण जो गरीब परिवारों में बीमारी आती है। औसतन 7 हजार रुपया एक गरीब परिवार को दवाई में साल का खर्चा हो जाता है। श्री मोदी ने कहा, “अगर हम स्वच्छता रखें। इन बीमारियों को गांव में घुसने ना दें तो इन गरीब का साल का 7 हजार रुपया बचेगा। उन पैसों से वो बच्चों को दूध पिलाएगा।”

गांवों का भी जन्मदिन मनाएं- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में देशभर की महिला सरपंचों को संबोधित किया। स्वच्छता के लिए महिलाओं को सम्मानित करने के बाद श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता महज अभियान भर नहीं है। इसे समाज का स्वभाव बनाने की जरूरत है। गांवों के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने गांवों का जन्मदिन मनाने का भी आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन गांवों को पता नहीं कि उनका जन्म दिन क्या है, उन्हें भी बैठकर एक दिन निश्चित कर लेना चाहिए। जन्म दिन पर उन सभी लोगों को बुलाना चाहिए जो गांव से बाहर रह रहे हैं। उस दिन बड़े-बूढ़ों का सम्मान करना चाहिए, पौधों लगाने के लिए कहना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “पूरा गांव प्राणवान बन जाएगा, जीवंत गांव बन जाएगा।”

प्रधानमंत्री मोदी ने गांवों की प्राकृतिक रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि गांवों को ऐसा बनाया जा सकता है कि आत्मा गांव की हो, सुविधा शहर की हो। श्री मोदी ने कहा,” हम ऐसा गांव क्यों न बनाएं कि शहर में रहने वालों के भी मन कर जाएं कि एक छोटा सा घर गांव में भी बनाएं और कभी हफ्ते में एक-दो दिन रह जाएं।”

स्वच्छता शक्ति सम्मान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन महिलाओं ने भी ये सम्मान पाया है उनके योगदान को देखकर कई बातें साफ हो गयी हैं। इन महिलाओं ने उन लोगों का भ्रम तोड़ दिया है जो ये मानते थे कि पढ़े लिखे लोग ही ये काम कर सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, “जो अपनी भाषा के सिवा कोई भाषा भी नहीं जानते, उन बहनों ने भी स्वच्छता के मकसद को अंजाम दिया है।“

प्रधानमंत्री ने मानसिकता में बदलाव की जरूरत बताते हुए शास्त्रों के जरिए बताया कि बेटियां हमारे समाज में कितनी अहम रही हैं।
यावत गंगा कुरूक्षेत्रे, यावत तिष्ठति मेदिनी
यावत सीता कथा लोके, तावत जीवेतु बालिका
श्री मोदी ने इसका अर्थ समझाते हुए कहा कि जब तक गंगा, कुरूक्षेत्र, हिमालय है, जब तक सीता की गाथा इस लोक में है। बालिका तुम तब तक जीवित रहो, तुम्हारा नाम तब तक दुनिया याद रखेगी।

श्री मोदी ने कहा कि भ्रूण हत्या रोकने में महिला सरपंच बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। महिला सरपंच गांव में बहुओं पर जुल्म जैसे मामलों में भी रक्षक बनकर खड़ी हो सकती हैं। वह बच्चियों को स्कूल नहीं भेजने जैसी प्रवृत्तियों के खिलाफ भी जागरुकता पैदा करने का काम कर सकती हैं। श्री मोदी ने कहा, “1000 बेटों के सामने 800, 850 बेटियां हों, इस दुर्दशा को बदलना होगा। इस पाप को खत्म करना होगा।”

श्री मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के बाद आज 2 लाख करोड़ रुपया सीधे-सीधे गांवों में जाता है। ये छोटी रकम नहीं है। श्री मोदी ने महिला सरपंचों से कहा,” आप गांव के अंदर अगर निर्धारित करें कि 5 साल में ये 25 काम करने हैं तो आप आराम से कर सकती हैं। सफलतापूर्वक कर सकती हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि गंदगी के कारण जो गरीब परिवारों में बीमारी आती है। औसतन 7 हजार रुपया एक गरीब परिवार को दवाई में साल का खर्चा हो जाता है। श्री मोदी ने कहा, “अगर हम स्वच्छता रखें। इन बीमारियों को गांव में घुसने ना दें तो इन गरीब का साल का 7 हजार रुपया बचेगा। उन पैसों से वो बच्चों को दूध पिलाएगा।”

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