Home नरेंद्र मोदी विशेष अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस: धर्म और जाति से ऊपर है योग- प्रधानमंत्री मोदी

अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस: धर्म और जाति से ऊपर है योग- प्रधानमंत्री मोदी

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दुनियाभर में आज, 21 जून को पांचवां अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्य आयोजन झारखंड की राजधानी रांची में हुआ जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग जाति और धर्म से ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘योग- आयु, रंग, जाति, सम्‍प्रदाय, मत, पंथ, अमीरी, गरीबी, प्रांत, सरहद के भेद, सीमा के भेद, इन सबसे परे है। योग सबका है और सब योग के हैं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग हमेशा से हमारी संस्‍कृति का अभिन्‍न हिस्‍सा रहा है और इसे आखिरी इंसान तक पहुंचानी है। उन्होंने कहा, ‘योग हमारे देश में हमेशा से रहा है, हमारी संस्‍कृति का अभिन्‍न हिस्‍सा रहा है। यहां झारखंड में भी जो ‘छऊ नृत्‍य’ होता है, उसमें आसनों और मुद्राओं को व्‍यक्‍त किया जाता है। लेकिन ये भी सच हे कि आधुनिक योग की जो यात्रा है, वो देश के ग्रामीण और आदिवासी अंचल में अभी उस तरह नहीं पहुंची है, जैसी पहुंचनी चाहिए थी। अब मुझे और हम सब को मिल करके आधुनिक योग की यात्रा शहरों से गांवों की तरफ, जंगलों की तरफ, दूर-सुदूर आखिरी इंसान तक ले जानी है। गरीब और आदिवासी के घर तक योग को पहुंचाना है। मुझे योग को गरीब और आदिवासी के जीवन का भी अभिन्‍न हिस्‍सा बनाना है क्‍योंकि ये गरीब ही है जो बीमारी की वजह से सबसे ज्‍यादा कष्‍ट पाता है। ये बीमारी है जो गरीब को और गरीब बना देती है। इसलिए ऐसे समय में जब देश में गरीबी कम होने की रफ्तार बढ़ी है, योग उन लोगों के लिए भी एक बड़ा माध्‍यम है जो गरीबी से बाहर निकल रहे हैं। उनके जीवन में योग की स्‍थापना का मतलब है उन्‍हें बीमारी और गरीबी के चंगुल से बचाना।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार के योग दिवस का थीम ‘योगा फॉर हार्ट केयर’ है। उन्होंने कहा, ‘इस वर्ष के अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस का विषय है ‘Yoga for Heart Care’. हार्ट केयर आज पूरे विश्‍व के लिए एक चुनौती बन चुका है। भारत में तो बीते दो-ढाई दशकों में हार्ट से जुड़ी बीमारियों में कई गुना बढ़ोत्‍तरी हुई है। दुखद बात ये है कि बहुत ही कम उम्र के युवाओं में भी हार्ट की समस्‍या अब बढ़ रही है। ऐसे में जागरूकता के साथ-साथ योग को भी Prevention or treatment का हिस्‍सा बनाना जरूरी है। मैं यहाँ के स्‍थानीय योग आश्रमों से भी आग्रह करूँगा कि योग के प्रसार में और आगे बढ़ें। चाहे देवघर का रिख्‍या पीठयोग आश्रम हो, रांची का योगदा सत्‍संग सखा मठ या अन्‍य संस्‍थान; वो भी इस वर्ष Heart care awareness को थीम बनाकर आयोजन करें।’

उन्होंने कहा कि आज के बदलते हुए समय में बीमारियों से बचाव के साथ-साथ वेलनेस पर फोकस होना जरूरी है। यही शक्ति हमें योग से मिलती है। यही भावना योग की है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सिर्फ सुविधाओं से जीवन आसान बनाना काफी नहीं है। दवाईयां और सर्जरी का ही समाधान पर्याप्‍त नहीं है। आज के बदलते हुए समय में बीमारी से बचाव के साथ-साथ वेलनेस पर हमारा अधिक फोकस होना जरूरी है। यही शक्ति हमें योग से मिलती है। यही भावना योग की है, पुरातन भारतीय दर्शन की भी है। योग सिर्फ तभी नहीं होता जब हम आधा घंटा जमीन या मेज पर, या दरी पर होते हैं; योग अनुशासन है, समर्पण है, और इसका पालन पूरे जीवनभर करना होता है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘बीते पाँच वर्षों में योग को हेल्थ और वेलनेस के साथ जोड़कर हमारी सरकार ने इसे Preventive Health Care का मजबूत स्‍तंभ बनाने का प्रयास किया है। आज हम ये कह सकते हैं कि भारत में योग के प्रति जागरूकता हर कोने तक, हर वर्ग तक पहुँची है- ड्राइंगरूम से बोर्डरूम तक, शहरों के पार्क से लेकर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स तक, गली-कूचों से वेलनेस सेंटर तक; आज चारों तरफ योग को अनुभव किया जा सकता है।’

पढ़िए अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

मंच पर विराजमान राज्‍यपाल, द्रोपदी जी, मुख्‍यमंत्री जी, केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार के मंत्री और झारखंड के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

आप सभी को, पूरे देश और दुनिया को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

आज इस प्रभात तारा मैदान से सभी देशवासियों को सुप्रभातम। और आज ये प्रभात तारा मैदान विश्‍व के नक्‍शे पर जरूर चमक रहा है। ये गौरव आज झारखंड को मिला है।

आज देश और दुनिया के अनेक हिस्‍सों में लाखों लोग योग दिवस मनाने के लिए अलग-अलग जगह पर जमा हैं, मैं उन सभी का धन्‍यवाद करता हूं।

योग के दुनियाभर में प्रसार में मीडिया के हमारे साथी, सोशल मीडिया से जुड़े लोग जिस तरह की अहम भूमिका निभा रहे हैं, वो भी बहुत महत्‍वपूर्ण है, मैं उनका भी आभार व्‍यक्‍त करता हूँ।

साथियो, झारखंड में योग दिवस के लिए आना अपने-आप में बहुत सुखद अनुभव है। आप लोग बहुत सुबह ही अपने घरों से निकलकर दूर-दूर से यहां आए हैं, मैं आप सभी का आभारी हूं। बहुत से लोगों के मन में आज ये सवाल है कि मैं पांचवां योग दिवस मनाने के लिए आज आपके साथ योग करने के लिए रांची ही क्‍यों आया हूं।

भाइयो और बहनों, रांची से मेरा लगाव तो है ही, लेकिन आज मेरे लिए रांची आने की तीन और बड़ी वजह हैं। पहला- जैसा कि झारखंड के नाम में ही ये वन प्रदेश है, प्रकृति के बहुत करीब है और योग और प्रकृति का तालमेल इंसान को एक अलग ही एहसास कराता है। दूसरी बड़ी वजह यहां आने की ये थी कि रांची और स्‍वास्‍थ्‍य का रिश्‍ता अब इतिहास में दर्ज है। पिछले साल 23 सितम्‍बर को पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की जन्‍म-जयंती नि‍मित्‍त यहां रांची से ही हमने आयुष्‍मान भारत योजना की शुरूआत की थी। आज दुनिया की सबसे बड़ी Health Care Scheme, प्रधानमंत्री जन-आरोग्‍य योजना बहुत कम समय में गरीबों के लिए बहुत बड़ा संबल बनी है। भारतीयों को आयुष्‍मान बनाने में योग का जो महत्‍व है, उसे भी हम भली-भाँति जानते हैं, समझते हैं; इसलिए भी आज राँची आना मेरे लिए विशेष है।

भाइयो और बहनों, अब योग के अभियान को मुझे और हम सबको मिल करके एक अलग स्‍तर पर ले जाना है और यही रांची आने की मेरी तीसरी और सबसे बड़ी वजह वो भी है।

साथियो, योग हमारे देश में हमेशा से रहा है, हमारी संस्‍कृति का अभिन्‍न हिस्‍सा रहा है। यहाँ झारखंड में भी जो ‘छऊ नृत्‍य’ होता है, उसमें आसनों और मुद्राओं को व्‍यक्‍त किया जाता है। लेकिन ये भी सच हे कि आधुनिक योग की जो यात्रा है, वो देश के ग्रामीण और आदिवासी अँचल में अभी उस तरह नहीं पहुँची है, जैसी पहुँचनी चाहिए थी। अब मुझे और हम सब को मिल करके आधुनिक योग की यात्रा शहरों से गाँवों की तरफ, जंगलों की तरफ, दूर-सुदूर आखिरी इंसान तक ले जानी है। गरीब और आदिवासी के घर तक योग को पहुँचाना है। मुझे योग को गरीब और आदिवासी के जीवन का भी अभिन्‍न हिस्‍सा बनाना है क्‍योंकि ये गरीब ही है जो बीमारी की वजह से सबसे ज्‍यादा कष्‍ट पाता है। ये बीमारी है जो गरीब को और गरीब बना देती है। इसलिए ऐसे समय में जब देश में गरीबी कम होने की रफ्तार बढ़ी है, योग उन लोगों के लिए भी एक बड़ा माध्‍यम है जो गरीबी से बाहर निकल रहे हैं। उनके जीवन में योग की स्‍थापना का मतलब है उन्‍हें बीमारी और गरीबी के चंगुल से बचाना।

साथियो, सिर्फ सुविधाओं से जीवन आसान बनाना काफी नहीं है। दवाईयां और सर्जरी का ही समाधान पर्याप्‍त नहीं है। आज के बदलते हुए समय में illness से बचाव के साथ-साथ wellness पर हमारा अधिक फोकस होना जरूरी है। यही शक्ति हमें योग से मिलती है। यही भावना योग की है, पुरातन भारतीय दर्शन की भी है। योग सिर्फ तभी नहीं होता जब हम आधा घंटा जमीन या मेज पर, या दरी पर होते हैं; योग अनुशासन है, समर्पण है, और इसका पालन पूरे जीवनभर करना होता है। योग- आयु, रंग, जाति, सम्‍प्रदाय, मत, पंथ, अमीरी, गरीबी, प्रांत, सरहद के भेद, सीमा के भेद, इन सबसे परे है। योग सबका है और सब योग के हैं।

साथियो, बीते पाँच वर्षों में योग को Health और Wellness के साथ जोड़कर हमारी सरकार ने इसे Preventive Health Care का मजबूत स्‍तंभ बनाने का प्रयास किया है। आज हम ये कह सकते हैं कि भारत में योग के प्रति जागरूकता हर कोने तक, हर वर्ग तक पहुँची है- ड्राइंगरूम से बोर्डरूम तक, शहरों के parks से लेकर sports complex तक, गली-कूचों से wellness centre तक; आज चारों तरफ योग को अनुभव किया जा सकता है।

भाइयो और बहनों, तब मुझे और संतोष मिलता है, जब मैं देखता हूं कि युवा पीढ़ी हमारी इस पुरातन पद्धति को आधुनिकता के साथ जोड़ रही है, प्रचारित और प्रसारित कर रही है। युवाओं के innovative और creative ideas से योग पहले से कहीं अधिक लोकप्रिय हो गया है, जीवंत हो गया है।

साथियो, आज के इस अवसर पर Prime Minister’s Award for Promotion & Development of Yoga, उसकी घोषणा की गई, हमारे मंत्रीश्री ने की। एक ज्‍यूरी ने इसको निर्णय किया है और पूरी दुनिया में मशक्‍कत करके इन लोगों को खोजा गया है।

जिन साथियों को ये पुरस्‍कार मिला है, मैं उनकी तपस्‍या और योग के प्रति उनके समर्पण की सराहना करता हूँ।

साथियो, इस वर्ष के अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस का विषय है ‘Yoga for Heart Care’. Heart Care आज पूरे विश्‍व के लिए एक चुनौती बन चुका है। भारत में तो बीते दो-ढाई दशकों में Heart से जुड़ी बीमारियों में कई गुना बढ़ोत्‍तरी हुई है।दुखद बात ये है कि बहुत ही कम उम्र के युवाओं में भी heart की समस्‍या अब बढ़ रही है। ऐसे में Heart care awareness के साथ-साथ योग को भी Prevention or treatment का हिस्‍सा बनाना जरूरी है।

मैं यहाँ के स्‍थानीय योग आश्रमों से भी आग्रह करूँगा कि योग के प्रसार में और आगे बढ़ें। चाहे देवघर का रिख्‍या पीठयोग आश्रम हो, रांची का योगदा सत्‍संग सखा मठ या अन्‍य संस्‍थान; वो भी इस वर्ष Heart care awareness को theme बनाकर आयोजन करें।

और साथियो, जब उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य होता है तो जीवन की नई ऊंचाइयों को पाने का एक जज्‍बा भी होता है। थके हुए शरीर से, टूटे हुए मन से, न सपने सजाए जा सकते हैं, न अरमानों को साकार किया जा सकता है। जब हम उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य की बात करते हैं, कुछ बातें पानी, पोषण, पर्यावरण, परिश्रम- ये चार चीजें- पीने का शुद्ध पानी मिले, आवश्‍यकता के अनुसार पोषण प्राप्‍त हो, पर्यावरण स्‍वच्‍छता- वायु पर्यावरण हो, कुछ भी हो, पानी का, कोई भी और परिश्रम जीवन का हिस्‍सा हो- तो उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ये चार ‘प’ परिणाम देते हैं।

Friends, I thank people across the world for joining the Yoga Day celebrations. Worldover the first raysof the sun being welcomed by dedicated yoga practionersis a beautiful sight. I urgeyou all to embrace yoga and make it an integral part of your daily routine. Yoga is ancient and modern. It is constant and evolving. For centuries the essence of yoga has remained the same- Healthy body, stable mind, spirit of oneness. Yoga provides a perfect blend of Gyan or knowledge, Karma or work and Bhakti or devotion. Yoga will make every individual better in thoughts, action and spirit.

Friends, the importance of practicing yoga is greater than perhaps ever before. We live in a time when diseases related to lifestyle and stress are increasing. This come with the fast routines and pressures at the work place. It pains me to read about bright young men and women being affected by substance abuse, alcoholism, diabetes and such other evils.

Yogaoffers a solutionfor these problems. Yoga also furthers unity among people and in our society this can heal several challenges,that our world faces.

Friends, peace, harmony have also being associated with yoga. On the occasion of the 5th International Yoga Day, let our mottobe Yoga for Peace, Harmony and Progress. शांति, सदभाव और समृद्धि के लिए योग।

भाइयो और बहनों, अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस की शुरूआत के बाद हमने अनेक प्रभावी कदम उठाए, जिनका लाभ भी देखने को मिल रहा है। भविष्‍य को देखते हुए हमें योग को हर व्‍यक्ति के जीवन का हिस्‍सा बनाने के लिए, स्‍वभाव बनाने के लिए निरंतर काम करना है। इसके लिए योग से जुड़े साधकों, शिक्षकों और संगठनों की भूमिका बढ़ने वाली है। योग को करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्‍सा बनाने के लिए manpower को तैयार करना भी, human resource development भी बहुत जरूरी है। ये तभी संभव है जब हम योग से जुड़े standards और institutions को विकसित करें। और इसलिए हमारी सरकार इसी सोच के साथ आगे बढ़ रही है।

साथियो, आज हमारे योग को दुनिया अपना रही है तो हमें योग से जुड़ी रिसर्च पर भी जोर देना होगा। जैसे हमारे फोन का software लगातार update होता रहता है, वैसे ही हमें योग के बारे में जानकारी दुनिया को देते रहना है। इसके लिए जरूरी है कि हम योग को किसी दायरे में बांधकर न रखें। योग को medical, physiotherapy, artificial intelligence,; इनसे भी जोड़ना होगा। इतना ही नहीं, हमें योग से जुड़ी private enterprise spirit को भी प्रोत्‍साहित करना पड़ेगा, तभी हम योग का विस्‍तार कर पाएंगे।

हमारी सरकार इन आवश्‍यकताओं को समझते हुए अनेक क्षेत्रों में काम कर रही है।

मैं आपको अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के कामना के साथ एक बार फिर अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। और मैं आशा करूँगा कि आप सभी, यहाँ जितने प्रयोग हम योगा के करने वाले हैं, ज्‍यादा न करें, इतना ही, लेकिन लगातार उसका duration बढ़ाते जाएँ; आप देखना अद्भुत लाभ आपके जीवन में होगा।

मैं फिर से एक बार आपको उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए शांति, सद्भाव और समन्‍वय वाली जिंदगी के लिए बहुत-बहुत शुभकमानाएँ देता हूँ।

आइए अब हम योगाभ्‍यास शुरू करते हैं।

मैं झारखंड सरकार को भी बधाई देता हूं कि बहुत ही कम समय में इतना बड़ा उन्‍होंने आयोजन किया। पहले से इन्‍हें कोई पता नहीं था; दो सप्‍ताह पहले ही, नई सरकार बनने के बाद राँची में इतना बड़ा कार्यक्रम करने का विचार आया। लेकिन इतने कम समय में झारखंड-वासियों ने जो कमाल करके दिखाया है, मैं आपको, सरकार को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

धन्‍यवाद।

देखिए वीडियो-

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