Home समाचार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से हो रही ‘स्वरोजगार में क्रांति’

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से हो रही ‘स्वरोजगार में क्रांति’

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सशक्तीकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। देश में अलग-अलग स्तरों पर रोजगार के अवसर हमेशा बनते रहें, इसके लिए मौजूदा सरकार ने कई ठोस कदम उठाये हैं। मोदी सरकार ने छोटे उद्यमियों को आसानी से ऋण मुहैया कराने की प्रतिबद्धता के साथ रोजगार सृजन और स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना की शुरुआत की थी।

MUDRA यानि माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट फंड रिफाइनेंस एजेंसी के तहत रोजगार की समस्या को कम करने का काम किया है। मुद्रा योजना एक ऐसा ही कदम है जिसने छोटे उद्यमियों को आसानी से ऋण मुहैया कराने की सरकार की प्रतिबद्धता को जाहिर किया है। इसके जरिये रोजगार सृजन भी हो रहा है और स्व-रोजगार को खूब बढ़ावा भी मिल रहा है।

लघु व्यावसायिक इकाइयों एवं उद्यमियों के लिए शुरु की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने करीब 8 करोड़ रोजगार का सृजन किया है। इस योजना के तहत 6 अप्रैल, 2018 तक 11,99,33,480 लोन मंजूर किए जा चुके हैं और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। मुद्रा योजना महिला सशक्तीकरण का भी एक बेहतरीन उदाहरण है और अब तक लाभ लेने वालों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं।

पीएमएमवाई के तहत उपलब्धियां
वित्तीय वर्ष: 2015-2016
स्वीकृत पीएमएमवाई ऋण की संख्या: 34880924
मंजूर राशि: 137449.27 करोड़
राशि वितरित: 132954.73 करोड़

वित्तीय वर्ष: 2016-2017
स्वीकृत पीएमएमवाई ऋण की संख्या: 39701047
मंजूर राशि: 180528.54 करोड़
राशि वितरित: 175312.13 करोड़

वित्तीय वर्ष: 2017-2018 ( 23 मार्च, 2018 तक)
स्वीकृत पीएमएमवाई ऋण की संख्या: 45351509
मंजूर राशि: 228144.72 करोड़
राशि वितरित: 220596.05 करोड़

5.46 लाख करोड़ रुपये वितरित
अब तक आठ करोड़ से अधिक लोगों को 5.46 लाख करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं जिनमें ज्यादातर लघु उद्यमी हैं। इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की है जो इससे पहले किसी भी प्रकार के व्यवसाय से नहीं जुड़े थे। मुद्रा ऋण 10 लाख रुपए तक के गैर-कृषि कार्यकलापों के लिए उपलब्ध है। डेयरी, पॉल्ट्री, मधुमक्खी पालन आदि जैसे कृषि से संबंधित क्षेत्र भी इस योजना में शामिल हैं।

पीएमएमवाई के के तहत, लाभार्थी माइक्रो यूनिट/उद्यम क विकास / विकास और वित्तपोषण की जरूरतों के स्तर को दर्शाते हुए ‘शिशु’, ‘किशोर’ और ‘तरुण’ के लिए तीन श्रेणी में बांटा गया है। शिशु के तहत 50 हजार, किशोर में 50 हजार से पांच लाख तक और तरुण में पांच लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं।

जमीनी स्तर पर विकसित हुआ सिस्टम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को इस योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य वित्त सुविधा रहित लोगों को वित्त की सुविधा उपलब्ध करानी है। मुद्रा योजना की सफलता लघु उद्यमियों के सृजन पर केंद्रित है। इस योजना ने जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक उद्यमियों की एक प्रणाली सृजित की है।

इसके अतिरिक्त, इसका रोजगार-सृजन पर विविध और बेहद प्रभावपूर्ण असर पड़ा है। अब, सभी को इसका सीधा फायदा दिखाई दे रहा है। यह बात तो समझ में आती ही है कि सरकार देश में सभी को नौकरियां नहीं दे सकती, लेकिन रोजगार के अवसर और धन उपलब्ध करवा करके सभी का विकास में योगदान सुनिश्चित कर सकती है।

मुद्रा से महिला सशक्तीकरण
मुद्रा योजना महिला सशक्तीकरण का भी एक बेहतरीन उदाहरण है। इस योजना के तहत लाभ ले चुके लोगों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुद्रा योजना किस तरह से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रही है। इस योजना से महिलाओं को ही नहीं, सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों को फायदा मिल रहा है। सही मायनों में यह योजना प्रधानमंत्री मोदी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास का सटीक उदाहरण है।

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