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प्रधानमंत्री मोदी ने की तेल एवं गैस क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और सीईओ के साथ बैठक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज तेल और गैस क्षेत्र के भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से भेंट की। इस अवसर पर उपस्थिति हस्तियों में सऊदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के मंत्रियों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों जैसे कि सऊदी अरामको, एडनॉक, बीपी, रोजनेफ्ट, आईएचएस मार्किट, पॉयनियर नेचुरल रिसोर्सेज कम्पनी, एमरसन इलेक्ट्रिक कम्पनी, तेलुरियन, मुबादाला इन्वेस्टमेंट कंपनी, श्लमबर्गर लिमिटेड, वुड मैकेंजी, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए), एनआईपीएफपी और ब्रुकिंग्स इंडिया के सीईओ एवं विशेषज्ञ भी शामिल थे। इसी तरह तेल एवं गैस की खोज, उत्पादन तथा विपणन में संलग्न भारतीय कंपनियों के सीईओ भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली एवं धर्मेन्द्र प्रधान और नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार के अलावा केन्द्र सरकार एवं नीति आयोग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

ऊर्जा क्षेत्र के वैश्विक विशेषज्ञों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने तेल एवं गैस बाजार में भारत की उल्लेखनीय हैसियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तेल बाजार का संचालन उत्पादकों द्वारा किया जा रहा है और इसकी मात्रा एवं मूल्य दोनों का ही निर्धारण तेल उत्पादक देश करते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो पर्याप्त उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन तेल क्षेत्र में विपणन के लिए अपनाए जाने वाले अनूठे तरीकों के कारण तेल के मूल्य बढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य बाजारों की तर्ज पर तेल बाजार में भी उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच साझेदारी सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे बेहतरी के मार्ग पर अग्रसर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लिए प्रासंगिक माने जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों की ओर विशेषज्ञों का ध्यान आकृष्ट किया। पहला, प्रधानमंत्री ने इस बात पर रोशनी डाली कि कच्चे तेल के बढ़ते मूल्यों के कारण उपभोक्ता देशों को संसाधनों की भारी किल्लत सहित कई अन्य आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस खाई को पाटने के लिए तेल उत्पादक देशों के बीच सहयोग अत्यन्त जरूरी है। उन्होंने तेल उत्पादक देशों से अपनी निवेश योग्य अधिशेष (सरप्लस) राशि को विकासशील देशों के तेल क्षेत्र में वाणिज्यिक दोहन में लगाने का अनुरोध किया। दूसरा, उन्होंने उत्खन्न अथवा खोज क्षेत्र का दायरा बढ़ाने का अनुरोध किया और इसके साथ ही विकसित देशों से प्रौद्योगिकी एवं विस्तार दोनों ही क्षेत्रों में सहयोग करने का आग्रह किया। तीसरा, प्रधानमंत्री ने गैस वितरण में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी का उल्लेख करते हुए उन क्षेत्रों में सहायता देने का अनुरोध किया जहां उच्च दबाव एवं उच्च तापमान से जुड़े तकनीकी अनुप्रयोगों (एप्लीकेशन) को प्राकृतिक गैस के वाणिज्यिक दोहन के लिए प्रासंगिक माना जाता है। आखिर में, प्रधानमंत्री ने भुगतान की शर्तों की समीक्षा करने का अनुरोध किया ताकि स्थानीय मुद्रा को अस्थायी राहत मिल सके।

प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में अपनी सरकार द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत पहलों और विकास संबंधी विभिन्न उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने गैस के मूल्य निर्धारण और विपणन में उदारीकरण पर प्रकाश डाला क्योंकि विशेषकर इस मोर्चे पर भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इसके लिए उच्च दबाव तथा उच्च तापमान पर दोहन से जुड़ी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने खुली रकबा लाइसेंसिंग नीति, कोल बेड मिथेन का जल्द मुद्रीकरण करने, छोटे क्षेत्रों की खोज के लिए प्रोत्साहन देने और राष्ट्रीय स्तर पर भूकंपीय सर्वेक्षण किए जाने का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने फिलहाल जारी वाणिज्यिक दोहन या उपयोग की चर्चा करते हुए विशेषकर उत्पादन साझेदारी अनुबंधों का विस्तार किये जाने का उल्लेख किया।

बातचीत के दौरान अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और सीईओ ने ‘कारोबार में सुगमता’, विशेषकर भारत के ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए केन्द्र सरकार द्वारा पिछले चार वर्षो में उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना की। विशेषज्ञों ने अपस्ट्रीम निवेश की दृष्टि से भारत की प्रतिस्पर्धी रैंकिंग में सुधार का उल्लेख किया जो 56वीं रैंकिंग से सुधरकर अब 44वीं रैंकिंग हो गई है। इस दौरान अनेक विषयों पर चर्चा हुई जिनमें भारत में तेल व गैस क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढांचे का विस्तार करना, खोज एवं उत्पादन का दायरा बढ़ाना, सौर ऊर्जा एवं जैव ईंधनों में संभावनाएं ढूंढ़ना और ऊर्जा क्षेत्र के लिए केन्द्र सरकार की समग्र अवधारणा भी शामिल हैं। विशेषज्ञों ने इस तरह के संवाद की अनूठी पहल की सराहना की क्योंकि इसकी बदौलत विभिन्न हितधारकों को नीतिगत विषयों पर एकजुट होने का मौका मिला।

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