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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं अब दुनिया का नेतृत्व

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब दुनिया की नजर है। जिस तरह से अमेरिका ने पेरिस समझौते से अपने आपको अलग कर लिया है, दुनिया के देश चौंकन्ने हैं। नेतृत्व के लिए वे भारत की तरफ देख रहे हैं जहां नरेंद्र मोदी जैसा ऊर्जावान व्यक्तित्व है और जो लगातार दुनिया को नयी राह दिखा रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने विश्व मंच पर दुनिया को सबका साथ, ‘सबका विकास’ का नारा दिया है जिससे दुनिया प्रभावित है।

जलवायु पर पेरिस समझौते से अलग हुआ अमेरिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में क्रांतिकारी बदलाव के दौर देखे जा रहे हैं, विश्व मंच पर भी भारत अपनी ताकतवर उपस्थिति दर्ज करा रहा है। अब पेरिस जलवायु सम्मेलन में हुए समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास विश्व के नेतृत्व का भी एक अवसर सामने आता दिख रहा है।

ट्रंप ने की समझौते से अलग होने की घोषणा

करीब डेढ़ साल बाद अमेरिका इस नतीजे पर पहुंचा कि धरती और पर्यावरण के तापमान कम करने के लक्ष्य के साथ हुआ पेरिस समझौता उसके हित में नहीं है। वो मानता है कि जलवायु बेहतरी को लेकर किये गए इस समझौते से भारत और चीन जैसे देशों को फायदा होगा जबकि उसे नुकसान होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस से इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि भारत को पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने के लिए अरबों डॉलर मिलेंगे और चीन के सहयोग से आने वाले कुछ वर्षों में वो कोयले से संचालित अपने बिजली संयंत्रों को दोगुना कर लेगा..जबकि अमेरिका पर प्रतिबंधों का बोझ लाद दिया गया है। दरअसल, पेरिस समझौते में विकासशील देशों को कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य को पाने के लिए विकसित देशों की ओर से 100 अरब डॉलर की मदद देने की बात भी शामिल है, जो ट्रंप को खटक रही है।  

भारत से डरे ट्रंप!  

ट्रंप की  घोषणा में भारत का विशेष जिक्र होता रहा। उन्होंने ये कहा कि इस समझौते से भारत अमेरिका पर वित्तीय बढ़त हासिल कर लेगा। यानी अमेरिका को भारत के आगे निकलने का डर सता रहा है। दुनिया में भारत की मजबूती की आज ये शायद सबसे बड़ी निशानी है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिखाई दे रही है। इस नेतृत्व में बदलते इंडिया का असर कुछ ऐसा हुआ है कि विश्व का सबसे ताकतवर देश भी तनाव में घिरा है। 

प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं कई वैश्विक पहल का नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे प्रयास किये हैं जिसके चलते अब ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े मुद्दे पर भी उसके लीड करने की उम्मीद काफी बढ़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA) का गठन हुआ था जिसमें 121 देश शामिल हैं। इस एलायंस का मकसद है सोलर एनर्जी को बढ़ावा देकर उसे ऊर्जा का किफायती, भरोसेमंद और पर्यावरण के अनुकूल जरिया बनाना।

जी-7 देशों को लीड करेंगे प्रधानमंत्री मोदी?

यूरोपियन यूनियन किस तरह से भारत की ओर टकटकी लगाये देख रहा है इसकी बानगी मिली हाल में इटली में संपन्न हुए जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में। इस सम्मेलन में पेरिस जलवायु समझौते पर अमेरिकी रुख से जर्मनी समेत बाकी सभी छह देश गुस्से में नजर आए। उन्हें लग रहा है कि अमेरिका की बदली नीतियों के दौर में उन्हें भारत का साथ बहुत सक्षम बना सकता है। सवाल तो यहां तक उठने लगा है कि नये हालात में क्या जी-7 देशों को लीड करने का मौका भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में आ सकता है? जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दोनों देशों के  द्वीपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने को लेकर बनी सहमति से इस संभावना को और बल मिला है।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की धूम

भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी अपनी टेक्नोलॉजी से दुनिया को लीड करने लगा है। इस साल फरवरी में जहां अमेरिका और इजरायल समेत कई देशों के 104 सैटेलाइट को छोड़कर भारत ने एक रिकॉर्ड बनाया वहीं पिछले महीने साउथ एशिया सैटेलाइच लौन्च कर पाकिस्तान को छोड़कर सार्क के बाकी तमाम देशों को संचार के क्षेत्र में एक नायाब तोहफा दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

पूरी दुनिया देख चुकी है कि कैसे भारत के आह्वान पर 177 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए अपनी हामी भरी। यही वजह है जो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया अब सिर्फ भारत के नजरिये से नहीं, बल्कि उम्मीदों भरे ग्लोबल लीडर के तौर पर देख रही है।

अमेरिका की ढुलमुल नीति से भारत को कूटनीतिक लाभ

पेरिस समझौता अमेरिका में ओबामा प्रशासन के दौरान हुआ था। गौर करने वाली बात है कि तब राष्ट्रपति रहे ओबामा ने कहा था कि ये समझौता भावी पीढ़ियों को सुरक्षित पर्यावरण देने में मील का पत्थर साबित होगा। लेकिन ट्रंप प्रशासन में इस पर अमेरिका की नई सोच सामने आ गई। माना ये भी जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर लागू होने वाले किसी भी प्रतिबंध के दायरे में शामिल किया जाना अमेरिका को लगातार खटक रहा था। इससे उसे अपनी साख पर चोट का अनुभव होता रहा। ऐसे में समझौते से उसका अलग होना किसी अप्रत्याशित कदम के रूप में नहीं देखा जा रहा है। लेकिन अमेरिका का ये कदम भारत के लिए एक नया कूटनीतिक मौका बना गया है। 

क्या है पेरिस समझौता

पर्यावरण और धरती के बढ़ते तापमान को लेकर अप्रैल 2016 में पेरिस जलवायु सम्मेलन (COP-21) हुआ था। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के फोरम–UNFCCC में शामिल सदस्य देशों का सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) कहलाता है। 1994 में इसका गठन हुआ था और 1995 से इसके सदस्य देश हर साल मिलते हैं। पेरिस में हुए 21वें सम्मेलन में हुए इस समझौते के तहत विश्व के बढ़ते तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक कम करने पर सदस्य देश राजी हुए थे। बैठक में शामिल देशों ने कार्बन डायऑक्साइड, मीथेन और ओजोन जैसे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 28 फीसदी तक कमी लाने का निश्चय किया था। भारत ने अपने  कार्बन उत्सर्जन में 30 से 33 प्रतिशत तक की कटौती का लक्ष्य रखा था। इस समझौते से जुड़े 18 पन्नों के दस्तावेज पर अक्टूबर 2016 तक दुनिया के 191 देश हस्ताक्षर कर चुके थे।

भारत जिम्मेदारी भी दिखाएगा, नेतृत्व भी करेगा

अपनी विकास यात्रा के दौरान कुछ समय पहले तक अमेरिका सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करता था। गौर करने वाली बात है कि ये कार्बन उत्सर्जन ही ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजह है। आज जब विकास के अपने दौर से गुजरते हुए भारत जैसे देश कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं तो अमेरिका अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता है और उन्हें निशाने पर ले रहा है। अमेरिका के नये रुख के बाद अब माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व में ग्लोबल वार्मिंग के मोर्चे पर बागडोर थाम सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए वो भारत में भी देशवासियों से आगे आने का आह्वान करते रहे हैं।

ताकतवर देशों के नेताओं पर मोदी का प्रभाव

कई जानकार मानते हैं कि ट्रंप प्रशासन ने ये कदम उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा मोल ले लिया है। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था के पास भी विश्व में खुद को स्थापित करने का अपने आप एक मौका निकल आया है। दुनिया में शक्तिशाली माने जाने वाले तमाम देशों के अपने समकक्षों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव देखा जाता रहा है। ऐसे में पेरिस समझौते से अमेरिका के अलग होने के साये  में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक और मुकाम को हासिल करने की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। 

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